विशेष संरक्षित जनजातियों के लिये राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन

केन्द्र शासन द्वारा नामांकित छत्तीसगढ़ में निवासरत पाँच जनजातियाँ अबुझमाड़िया ,पहाड़ी कोरवा ,बैगा ,बिरहोर , कमार और राज्य शासन द्वारा नामांकित पंडों और भुंजिया जनजाति के समग्र विकास के विषय पर राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन रायपुर के एक निजी चिकित्सालय में किया गया . कार्यशाला का उद्घाटन बस्तर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल ने किया. उन्होंने कार्यशाला के आयोजन के विषय के बारे में कहा कि मुख्य धारा के लोगों को समाज के अंतिम व्यक्ति के विकास के लिए चिंतन करना और कार्यक्रम बनाना चाहिए. जनजातियों के विकास के लिये सरकार के आलावा समाज के बाक़ी वर्गों का भी योगदान इस प्रकार के कार्यशाला के माध्यम से सुनिश्चित होगा . मुख्य वक्ता डॉ सत्यजीत साहू ने कहा कि जनजातियों के बारे में समाज मे जानकारी बहुत सीमित है. आधुनिक समय में जब विश्व में टेक्नोलॉजी के विकास के नये आयाम बन रहे हैं वहीं विशेष जनजातियों का विकास नीचे कि ओर जा रहा है. बदलते समय में इन चुनौतियों का नये सिरे से से समाधान ढूँढने का काम इस प्रकार की कार्यशाला से होगा . मुख्यधारा और जनजातियों के परस्पर विचार विनिमय से ही आगे कि दिशा तय होगी .


समाज शास्त्र विभाग की प्रोफ़ेसर मनीषा महापात्रा ने जनजातियों की संस्कृति, उनके रहन सहन और विशिष्ट परंपराओं के अध्ययन पर किये जा रहे कार्यों को बताया.
आईएएस नीलकंठ टेकाम ने सभी आदिवासियों के सशक्तिकरण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला. न्युजर्सी अमेरिका से आये सुमीत त्रिपाठी ने टेक्नोलॉजी के विकास का उपयोग को जनजातियों के विकास के लिये करने की बात कही. रविशंकर विश्वविद्यालय के शंकरलाल कुंजाम ने भाषा और संस्कृति के संरक्षण के उपायों कि चर्चा की .कार्यशाला का संचालन सुनील शर्मा और संतोष ठाकुर ने किया. कार्यशाला के समापन पर भूमि सुता साहु ने अतिथियों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया. कार्यशाला का आयोजन गवर्नर डिग्री गर्ल्स कालेज के समाजशास्त्र विभाग के सहयोग से प्रोग्रेसिव युटिलाईजेशन ऑफ रिसर्च सोसायटी , डाक्टर आन स्ट्रीट ने किया . कालेज के छात्र छात्राओं के साथ कार्यशाला में विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया.

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