देश की पहली महिला शिक्षिका थीं सावित्रीबाई फुले

देशभर में आज सावित्रीबाई फुले की जयंती मनाई जा रही है। कई लड़कियों और महिलाओं के लिए प्रेरणा बनीं सावित्रीबाई फुले देश की पहली महिला शिक्षिका थीं। उन्होंने लड़कियों की शिक्षा में एक अहम भूमिता निभाई थी। 3 जनवरी, 1831 को महाराष्ट्र के नायगांव में जन्मी सावित्रीबाई फुले ने जाति और लिंग पर आधारित भेदभाव के खिलाफ भी लंबी लड़ाई लड़ी। साथ ही उन्होंने अपने पति समाज सुधारक ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर पुणे पहला कन्या विद्यालय भी खोला था। महिला शिक्षा और सशक्तिकरण में अहम योगदान देने वाली सावित्रीबाई फुले की 192वीं जयंती है। इस खास मौके पर जानते हैं उनके कुछ अनमोल विचारों के बारे में-

एक सशक्त शिक्षित स्त्री सभ्य समाज का निर्माण कर सकती है,

इसलिए तुम्हारा भी शिक्षा का अधिकार होना चाहिए,

कब तक तुम गुलामी की बेड़ियों में जकड़ी रहोगी।

उठो और अपने,अधिकारों के लिए संघर्ष करो।

दलित औरतें शिक्षा की तब और अधिकारी हो जाती है

जब कोई उनके ऊपर जुल्म करता है

इस दास्तां से निवारण का एकमात्र मार्ग है शिक्षा

यह शिक्षा ही उचित अनुचित का भेद कराता है।

देश में स्त्री साक्षरता की भारी कमी है, क्योंकि यहां की स्त्रियों को,

कभी बंधन मुक्त होने ही नहीं दिया गया।

समाज तथा देश की प्रगति तब तक नहीं हो सकती,

जब तक कि वहां कि महिलाएं शिक्षित ना हो।

कोई तुम्हें कमजोर समझे इससे पहले,तुम्हें शिक्षा के महत्व को समझना होगा।

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