तिल्दा नेवरा –— तिल्दा विकासखण्ड के ग्राम निनवा में सन 1933 से आज तक श्रीराम लीला मण्डली का अनवरत मंचन होता आ रहा है। पूरे अंचल में ख्यातिलब्ध यह लीला मण्डली सबसे पुराना है। विशेष उल्लेखनीय है कि आज तक ऐसा कोई वर्ष नहीं ,जब गांव में रामलीला का मंचन नहीं हुआ हो।उक्त लीला मण्डली सनातन धर्म के प्रसार प्रचार के उद्देश्य से अंचल में लीला प्रतियोगिताओं में भाग लेते आये हैं और हर बार अपने बेजोड़ वार्ता,उत्कृष्ट वेशभूषा,जानदार व्यास और दबंग कलाकारी के चलते पुरुस्कार जीतते आये हैं। रायपुर के प्रसिद्ध दुग्दधाधारी मठ के तत्वावधान में रावण भाठा के दशहरा मैदान में कुम्भकरण, मेघनाद,रावण वध की लीला का मंचन कर प्रसद्धि को प्राप्त किया। जब से उक्त लीलामण्डली का संचालन,प्रबन्धन सुप्रसिद्ध भगवताचार्य पंडित नन्दकुमार शर्मा के हाँथ में आया तब से उक्त लीला मण्डली का मानो काया कलप हो गया। शर्मा जी ने कलाकरों का चयन,वार्ता,वेशभूषा और संवाद पर विशेष ध्यान देकर निनवा के लीला मण्डली को पूरे अंचल में प्रतिष्ठित किया।यही नहीं पूरा शर्मा परिवार समर्पित होकर लीला को सजाने,सँवारने में लगा रहता है। सन 1933 से प्रारम्भ होने के कारण इस वर्ष 33 फीट के रावण के पुतला का दहन किया गया।
हजारों की संख्या में यहाँ की दशहरा को देखने दर्शक पहुंचते है।यहां के कुछ कलाकारों को तो अंचल में लीला पात्र के नाम से जाना जाता है। मधु साहू,स्वर्गीय गोपेश्वर निर्मलकर,ऋषि कुमार वर्मा,यशवन्त वर्मा,खूबी यादव,होमलाल वर्मा,कमलनारायण,राजेन्द्र निर्मलकर,गिरेन्द्र साहू,भूषण वर्मा,बोधन शर्मा ऐसे ही कलाकार हैं।वर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण वर्मा ने बताया कि इस वर्ष बृंदावन-मथुरा से विविध वेशभूषा एवं सामग्रियों की खरीदी की गई है। पंडित नन्दक पंडित नदकुमार शर्मा की अनुपस्थिति में संचालन का दायित्व जगदीश साहू निभा रहे है। रावण का पुतला बनाने में भी महेश कुमार साहू, बिशेष यादव,पवन साहू,लिलाधर साहू, भुनेशर साहू,रामजी सेन,महेंद्र वर्मा,कौशल वर्मा,दिनेश जेठी ,महेश निर्मलकर ,मुकेश वर्मा,कैलाश यादव,बलकरण निर्मलकर, उमेश साहू, देवेन्द्र साहू,रतनु साहू,एवं नव जागृति दुगौत्सव समिती निनवा का विशेष सहयोग रहा।