एल्यूमीनियम इंडस्ट्री ने कोयला आपूर्ति प्रदान करने की मांग की

आज भी एल्युमीनियम उद्योग को चल रहे कोयला आपूर्ति संकट के संबंध में कोई राहत नहीं मिली है। भारतीय एल्युमीनियम प्लांट इस समय कोयले के स्टॉक के बेहद कम होने और सप्लाई नियमित तौर पर ना आने के कारण उत्पादन में कमी का सामना कर रहे हैं। प्लांट्स की बिजली की जरूरतों को पूरा करने और संयंत्रों को चालू रखने के लिए कोई सहारा या वैकल्पिक साधन नहीं है। यदि कोयले की आपूर्ति तुरंत बहाल नहीं की जाती है, तो इससे इन राष्ट्रीय संपत्तियों की अपूर्णीय क्षति होगी। एल्युमीनियम एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने केन्द्र सरकार और कोयला मंत्रालय से प्राथमिकता के आधार पर एल्युमीनियम प्लांट्स के लिए कोयला आपूर्ति तुरंत बहाल करने की मांग की है।
एल्युमीनियम संयंत्र में किसी भी तरह की बिजली की कटौती से विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा और पूरी तरह से बंद हो जाएगा, जिस की रिकवरी में कम से कम 12 महीने लगेंगे, जिसके परिणामस्वरूप 8 लाख से अधिक लोगों की नौकरी चली जाएगी, बैंकों का प्लांट्स पर 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है, जो कि जोखिम में आ जाएगा और करीब 90 हजार करोड़ रुपए यानि 12 बिलियन डॉलर से अधिक विदेशी मुद्रा का नुकसान होने की आशंका है।
देश के 1.4 लाख करोड़ रुपये ($20 बिलियन) के कुल निवेश वाले एल्युमीनियम उद्योग की क्षमता 4.1 एमटीपीए (दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा) है जो 8 लाख से अधिक लोगों और 4,000 एसएमई के लिए आजीविका का सृजन करती है।
एल्युमीनियम उत्पादन 24 घंटे 7 दिन यानि साल के 365 दिनों तक लगातार उत्पादन करने वाला उद्योग है जिसमें स्विच ऑफ और स्विच ऑन करने का कोई प्रावधान नहीं है। यह अत्यधिक बिजली उपयोग उद्योग है, केवल 1 टन एल्युमिनियम को स्पष्ट करने के लिए 14,500 यूनिट निरंतर बिजली की आवश्यकता होती है जो स्टील की तुलना में 15 गुना (1000 यूनिट प्रति टन) और सीमेंट के लिए 145 गुना (100 यूनिट प्रति टन) है।
कड़े और निरंतर बिजली की मांग को पूरा करने के लिए एल्युमीनियम उद्योग ने 50,000. करोड़ रुपए के निवेश से 9,400 मेगावाट  (9.4 गीगावाट यानी देश की थर्मल सीपीपी क्षमता का 34 प्रतिशत) के अपने इनहाउस कैप्टिव पावर प्लांट सीपीपी की स्थापना की है।
एल्युमीनियम उद्योग की 9.4 गीगावाट (9,400 मेगावाट) की निर्बाध बिजली की आवश्यकता देश की कुल मांग (145 गीगावाट) का 6 प्रतिशत और भारतीय ऊर्जा एक्सचेंज (2021 में 7.6 गीगावाट) में कारोबार की कुल ऊर्जा का 123 प्रतिशत है। इसलिए, तकनीकी रूप से पावर ग्रिड से इतनी बड़ी बिजली प्राप्त करना संभव नहीं है।

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