अपने पक्ष में राजनीतिक माहौल बनाने के लिए कांग्रेस आज से एक बड़ा अभियान शुरु करने जा रही है। बुधवार से कांग्रेस केंद्र सरकार को घेरने और विभिन्न मुद्दों पर जनता से सीधे संवाद करने के लिए ‘भारत जोड़ो यात्रा‘ शुरू कर रही है। इससे पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज श्रीपेरुम्बुदूर में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के स्मारक पर प्रार्थना सभा में हिस्सा लिया। तीन दशक पहले एक यहीं आतंकवादी हमले में राजीव गांधी की मृत्यु हो गई थी। एक वीडियो संदेश में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सभी लोगों से यात्रा से जुड़ने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि यह यात्रा इसलिए जरूरी है क्योंकि देश में नकारात्मक राजनीति की जा रही है और जनता से जुड़े असली मुद्दों पर चर्चा नहीं की जा रही है।
क्या है कार्यक्रम?
यह यात्रा कन्याकुमारी से कश्मीर तक होगी, जो 3,570 किलोमीटर लंबा सफर तय करेगी। इस दौरान लगभग पांच महीनों में 12 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों को कवर किया जाएगा।
राहुल शाम को कन्याकुमारी के समुद्री तट के निकट एक जनसभा को संबोधित करेंगे और इसके साथ ही इस यात्रा की औपचारिक शुरुआत होगी।
इस दौरान तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी मौजूद होंगे। राहुल को स्टालिन एक राष्ट्र ध्वज सौंपेंगे।
इसके बाद राहुल गांधी कांग्रेस के अन्य नेताओं के साथ उस सार्वजनिक रैली स्थल पर जाएंगे जहां से यात्रा की औपचारिक शुरुआत होगी।
कांग्रेस का कहना है कि उसकी यह यात्रा राजनीतिक है, लेकिन इसका मकसद राजनीतिक लाभ लेना नहीं है, बल्कि देश को जोड़ना है।
राहुल गांधी की राजनीति में री-लॉन्चिंग?
राजनीति विश्लेषकों का मानना है कि राहुल गांधी की इस यात्रा का मकसद उन्हें राजनीति में री-लॉन्च करना है। मकसद है कि तमाम विपक्षी दल और जनता उन्हें साल 2024 में प्रधानमंत्री उम्मीदवार के रुप में स्वीकार कर सके। कांग्रेस इस यात्रा को किसी भी राजनीतिक दल का सबसे बड़ा जनसंपर्क अभियान करार दे रही है। पार्टी दावा कर रही है कि इस यात्रा का चुनाव से लेना-देना नहीं है। लेकिन वर्ष 2024 के चुनाव में सत्ता तक पहुंचने के लिए कांग्रेस को अन्य दलों के साथ तालमेल बढ़ाने की जरूरत है। इसलिए पार्टी ने यात्रा में अपना झंडा भी नहीं रखा है।