PM मोदी ने नौसेना को सौंपा पहला स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत INS विक्रांत, जानें इसके बारे में सबकुछ

नई दिल्ली: भारतीय नौसेना की शक्ति में आज जबरदस्त इजाफा हुआ, जब पीएम नरेंद्र मोदी ने पहला स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत INS Vikrant नौसेना को सौंपा। INS Vikrant की विशेषता ये है कि यह एक स्वदेशी युद्धपोत है। यह वर्ष 2009 में बनना आरम्भ हुआ था। अब 13 बाद ये नौसेना के हाथों में पहुंचा है। इसके साथ ही पीएम मोदी ने इंडियन नेवी के नए Ensign (निशान) का भी अनावरण किया। इंडियन NAV का नया Ensign औपनिवेशिक अतीत से दूर और भारतीय मैरिटाइम हैरिटेज से लैस है।

स्वदेशी विमान वाहक (IAC) विक्रांत में 2,300 कंपार्टमेंट के साथ 14 डेक हैं, जो करीब 1,500 जवानों को ले जा सकती है और इनकी भोजन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए, इसकी रसोई में करीब 10,000 रोटियां बनाई जा सकती हैं। इस युद्धपोत में 88 मेगावाट बिजली की चार गैस टर्बाइनें लगी हैं और इसकी अधिकतम रफ़्तार 28 (नौट) समुद्री मील है। यह 20,000 करोड़ के खर्च से तैयार हुआ है। यह पूरी परियोजना रक्षा मंत्रालय और CSL के बीच डील के तीन चरणों में आगे बढ़ी है। यह मई 2007, दिसंबर 2014 और अक्टूबर 2019 में संपन्न हुई हैं। यह “आत्मनिर्भर भारत” का अद्भुत उदाहरण है, जो ‘मेक इन इंडिया’ पहल पर जोर देता है।

बता दें कि INS Vikrant का कुल वजन 45000 टन है। यानी इसके निर्माण में फ्रांस स्थित एफिल टावर के वजन से चार गुना अधिक लोहा और स्टील लगा है। यही नहीं इसकी लंबाई 262 मीटर और चौड़ाई 62 मीटर है। यानी इसमें फुटबॉल के दो मैदान समा सकते हैं। पहले स्वदेशी युद्धपोत में 76 फीसद स्वदेशी उपकरण लगे हुए हैं। इस पर 450 किमी मारक क्षमता वाली ब्रह्मोस मिसाइल भी तैनात रहेगी। इसमें 2400 किमी केबल लगी है। यानी यब केबल इतनी लम्बी है कि, कोच्चि से दिल्ली तक पहुंच सकती है।

IAC Vikrant (Indigenous Aircraft Carrier) में 30 विमान एकसाथ तैनात हो सकते हैं। इसके साथ ही इससे मिग 29K फाइटर जेट भी उड़ान भरके एंटी-एयर, एंटी-सरफेस और लैंड अटैक में भूमिका निभा सकता है। इससे Kamov 31 हेलिकॉप्टर भी उड़ान भर सकता है। Vikrant के नेवी में शामिल होने के बाद अब भारत उन मुल्कों में शामिल हो गया है, जिनके पास स्वदेशी विमानवाहक पोत के डिजाइन और निर्माण की क्षमता है।

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