जांजगीर के किशोर न्याय बोर्ड द्वारा विधि के छात्रों को जानकारी दी गई
सक्ती-टीसीएल कालेज के अंतिम वर्ष के छात्रों को किशोर न्याय बोर्ड जांजगीर में उपस्थित होकर किशोर न्याय अधिनियम के तहत अपनाई जाने वाली प्रक्रिया की विस्तार से जानकारी दी गई, कोई भी बच्चा बचपन से अपराधी नहीं होता, समाज की व्यवस्था ही उसे अपराध के गर्त मेँ धकेल देती है। यह जानकारी किशोर न्याय बोर्ड जांजगीर के प्रधान मजिस्ट्रेट शिव प्रकाश त्रिपाठी के द्वारा विधि के विद्यार्थियों को प्रदान की गई और इस अधिनियम के तहत अपनाई जाने वाली प्रक्रिया की विस्तार से जानकारी दी गई
मजिस्ट्रेट महोदय के द्वारा बताया गया, कि किशोर न्याय बोर्ड में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया अन्य न्यायालयों से पूरी तरह भिन्न है। यहाँ जमानतीय, अजमानतीय नहीं देखा जाता। किशोर न्याय अधिनियम के तहत 3 प्रकार के अपराध के वर्गीकरण बताए गए हैं – छोटे, गंभीर एवं जघन्य अपराध। इसी वर्गीकरण को आधार बनाकर अभिकथित अपराधों की जांच की जाती है। किशोर न्याय बोर्ड में विधि से संघर्षरत बालकों के संबंध में सीआरपीसी की समंस मामले मेँ विचारण की प्रक्रिया को अपनाया जाता है, प्रधान न्यायाधीश के द्वारा इस बात को बल देकर बताया गया कि विधि से संघर्षरत बालकों के द्वारा यदि छोटे या गंभीर अपराध कारित किए जाने का अभिकथन हो तब ऐसे मामलों मेँ एफ आई आर दर्ज नहीं की जानी चाहिए अपितु, रोजनामचा मेँ विशिष्ठियाँ दर्ज करने के उपरांत बालकों से वचनपत्र भरवाकर संरक्षकों के सुपुर्द किया जाता है एवं जघन्य अपराधों में ही एफ आई आर दर्ज की जानी चाहिये
किशोर न्याय अधिनियम 2015 के तहत विधि से संघर्षरत बालकों के संबंध मेँ किशोर न्याय बोर्ड के महत्व, देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों के संबंध मेँ बाल कल्याण समिति की प्रयोज्यता एवं दत्तक ग्रहण आदि के संबंध मेँ भी प्रधान मजिस्ट्रेट द्वारा जानकारी दी गई,किशोर न्याय बोर्ड कि सदस्य डॉक्टर इन्दु साधवानी के द्वारा विधि के विद्यार्थियों की जिज्ञासा का समाधान करते हुये उन्हें किशोर न्याय अधिनियम के प्रमुख प्रावधानों के संबंध मेँ विस्तार से जानकारी दी, जिससे वे विधि की शिक्षा को व्यवहार रूप मेँ अपनाने हेतु अग्रसर हो सकें। उन्होनें बच्चों को प्रारम्भिक निर्धारण और उसके लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया की भी विस्तार से जानकारी दी,किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य सुरेश कुमार जायसवाल ने विधि के छात्रों से चर्चा के दौरान किशोर न्याय अधिनियम के सिद्धांतों के संबंध मेँ जानकारी दी एवं बताया कि किशोर न्याय बोर्ड के सदस्यों का कर्तव्य बच्चों से संबन्धित सामाजिक पहलू को उजागर कर उन्हें समाज मेँ पुनः मिलने एवं उनके पुनर्वास करने के लिए प्रयास करना है। साथ ही बच्चों की पहचान गुप्त रखे जाने के प्रावधान की भी जानकारी दी। विधि के विद्यार्थियों का उक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम अधिवक्ता जयपाल राठौर के कुशल मार्गदर्शन मेँ किया गया।