‘मानसिकता और कौशल’ हैं भविष्य के लिए ज़रूरी, युवा सिर्फ अकादमिक लर्निंग पर ही निर्भर नहीं रह सकते

 जवाहर लाल नेहरू नेशनल एजुकेशन कॉन्क्लेव 2021 के दौरान जीएएमई ने कहा, सम्मेलन के दौरान जीएएमई के सह-संस्थापक मेकिन माहेश्वरी ने छात्रों के लिए उद्यमिता की मानसिकता एवं 21वीं सदी के कौशल की आवश्यकता पर ज़ोर दिया-
रायपुर l छत्तीसगढ़ सरकार ने आज जवाहरलाल नेहरू नेशनल एजुकेशन कॉन्क्लेव का आयोजन किया, सम्मेलन के दौरान कोविड-19 से मिले सबक के आधार पर बेहतर शिक्षा प्रणाली के निर्माण पर चर्चा की गई। इस अवसर पर उद्यमिता की मानसिकता और 21वीं सदी के कौशल के निर्माण पर विशेष रूप से ध्यान केन्दित किया गया। सम्मेलन के दौरान ग्लोबल अलायन्स फॉर मास एंटरेप्रेन्युरशिप (जीएएमई) का प्रतिनिधित्व करते हुए मेकिन माहेश्वरी ने बताया कि कैसे उद्यमिता का कौशल नई दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी बताया कि जब छात्र शुरूआती अवस्था से ही उद्यमिता प्रणाली में शामिल हो जाते हैं, उन्हें वास्तविक दुनिया के कारोबार एवं सामाजिक परियोजनाओं के साथ जुड़कर उद्यमी बनने का अवसर मिलता है और वे आगे चलकर नौकरियों का सृजन कर देकर देश की अर्थव्यवस्था के विकास में योगदान देते हैं।
जीएएमई के पास भारत के विभिन्न भोगौलिक क्षेत्रों में काम करने का व्यापक अनुभव है, इसने खासतौर पर उद्यमिता के लिए विश्वस्तरीय प्रयास किए हैं और इन्हें भारतीय संदर्भ में अपनाया है। भारत में शिक्षा के लिए जीएएमई के दृष्टिकोण पर ध्यान केन्द्रित करते हुए छत्तीसगढ़ राज्य योजना आयोग ने संगठन को कार्यशील समूह में अपने सुझाव साझा करने के लिए आमंत्रित किया। कार्यशाल समूह का गठन योजना आयोग द्वारा किया गया है, जो कौशल के विकास, उद्यमिता के उन्मुखीकरण एवं उद्यमिता की मानसिकता को प्रोत्साहित करता है। यह कौशल, दृष्टिकोण एवं ज्ञान का उपयुक्त संयोजन है, जिसमें दृढ़ विश्वास, संचार, रचनात्मक सोच और साझेदारी जैसे सभी पहलु शामिल हैं। आजीविका के अवसरों का निर्माण कर समुदाय में सुधार लाना इसका मुख्य उद्देश्य है।
इस अवसर पर मेकिन माहेश्वरी, सह-संस्थापक, ग्लोबल अलायन्स फॉर मास एंटरेप्रेन्युरशिप ने कहा, ‘‘मौजूदा स्थिति में दुनिया में लगातार बदलाव आ रहे हैं, आज छात्र रोज़गार के लिए सिर्फ अकादमिक लर्निंग भी निर्भर नहीं रह सकते। छात्र 21वीं सदी में आगे बढ़ रहे हैं, ऐसे में उनके पास उचित कौशल और मानसिकता होनी चाहिए, ताकि वे जीवन में कुछ नया सीख सकें। दुनिया भर की मौजूदा अर्थव्यवस्थाओं को देखते हुए उद्यमिता को बढ़ावा देना बहुत ज़रूरी हो गया है। इसी के मद्देनज़र युवाओं में उद्यमिता की क्षमता और आत्मविश्वास उत्पन्न करना बहुत ज़रूरी है, ताकि वे महत्वाकांक्षा के साथ अपने लिए सही करियर चुन सकें। जीएएमई में हम, कई हितधारकों के साथ साझेदारी में काम करते हैं और नौंवी कक्षा एवं इससे बड़ी कक्षाओं में पढ़ने वाले छात्रों में उद्यमिता की मानसिकता विकसित करने का प्रयास करते हैं। इससे वे स्वतन्त्र रूप से और आधुनिक तरीके से सोचने, अपने आस-पास की समस्याओं को हल करने और नौकरियों का सृजन कर समाज एवं देश के विकास में योगदान देने के लिए सक्षम हो जाते हैं। युवाओंकी उद्यमिता की भावना देश के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने वाला सबसे बड़ा कारक हो सकती है।’
सम्मेल में नोबल पुरस्कार विजेता अभिजीत बैनर्जी, शिक्षा जगत के जाने-माने दिग्गजों जैसे रूकमणी बैनर्जी अकादमिक एवं सार्वजनिक नीति निर्माताओं तथा देश भर से विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। जो शिक्षा के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

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