वासना से इंद्रियां दुष्ट होती है, उपासना से इंद्रियां पुष्ट होती है : प्रमोद शास्त्री

साजा :– गोलोक वासी संत भागवत भूषण मानस केसरी पंडित मिथिलेश पांडे की पुण्य स्मृति में आयोजित श्रीमद् भागवत महापुराण की कथा सुनाते हुए धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी के कृपा पात्र शिष्य भागवत भूषण मानस केसरी पंडित प्रमोद शास्त्री जी ने कहा कि भगवान कृष्ण ने पूतना जैसी राक्षसी जहर पिलाने वाली को भी अपने धाम भेजें जो वहीं माता यशोदा 11 वर्ष तक भगवान को माखन-मिश्री खिलाई उनको भी अपने धाम भेजें, इसलिए भगवान का कृपा और क्रोध एक है क्योंकि भगवान की दृष्टि अभेद्य है और जीव की दृष्टि में भेद है, क्योंकि जीवन में भक्ति ही सर्वस्व है |भगवान यह नहीं देखते जीव मेरे पास क्या लेकर आए हैं चाहे भगवान को आप जहर पिलाए चाहे भगवान को आप दूध पिलाओ केवल कृपा का मूर्ति है भगवान ,इसलिए संत लोग कहते हैं ज्ञान के बाद भक्ति का होना जरूरी नहीं है लेकिन भक्ति के बाद ज्ञान होगा ही होगा |इसलिए समस्त इंद्रियों को भगवान के सेवा में लगाना चाहिए तभी इंद्रियां पुष्ट होगी आज की कथा में कंस वध ,रुकमणी विवाह प्रसंग की कथा का रसपान कराया गया | पांडेय परिवार राखी द्वारा आयोजित कथा स्थल में संतों का आगमन लगातार जारी है स्वामी ज्योतिर्मयानंद (सपाद लक्षेश्वर धाम) , आचार्य पं बलदेव शास्त्री ,आचार्य पं झम्मन शास्त्री ,आचार्य पं रामप्रताप शास्त्री एवं छत्तीसगढ़ के सभी संत विद्वानों का आगमन प्रतिदिन हो रहा है |

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