योगेश्वरी साहु द थिंक मिडिया,
इस दुनिया में सबको पता है कि लड़की होना आसान नहीं है, लड़कियो के जिंदगी में कितने सारे परेशानियां होती है, ये सिर्फ एक लड़की ही समझ सकती है| लड़कियो को बचपन से ही रोक-टोक करना चालू हो जाता है उसे बार—बार बताया जाता है, कि तुम एक लड़की हो तुुम ये नहीं कर सकती, तुुम से नही हो सकता, तुम यहां नही जा सकती, तुम उसे बात नहीं कर सकती, देर रात तक तुम बाहर नहीं जा सकती, तुम ज्यादा हस के बात नही कर सकती, तुम ऐसी कपड़े नही पहन सकती, और न जाने ऐसी कौन—कौन सी बात होती है जो लड़कियो को दबाव मे रखा जाता है
इन सारी चीजों को लड़कियो को ही क्युं? बताया जाता है सिर्फ चार लोगों के बीच में लड़की को समान मिला जाता है ऐसा क्युं? क्या लोगों लड़कियों को खुल कर सास लेने का कोई अधिकार नहीं है, आज के जनरेशन में सिर्फ कुछ ही ऐसे परिवार है जहां लड़कियो को सभी प्रकार स्वतंत्रता प्राप्त् हो आज हमारे प्रदेश मे बहुत सारे ऐसे परिवार जहां लड़कियो को अपने हिसाब से कपड़े पहनने का अधिकार नही है शाम 6 बजे के बजे के बाद घर से बाहर जाने नहीं देते और अगर वो कही अपने मित्र दोस्त से कही घुमने चली भी जाये तो उसके चरित्र पर बात करना चालु हो जाता है
क्या लड़कियों को खुल कर जिने का कोई अधिकार नहीं है? क्या लड़कियो की जिदंगी …जिदंगी नहीं होती?