कमरछठ आज, सीएम भूपेश बघेल ने सभी माताओं को दी बधाई

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेशवासियों विशेषकर सभी माताओं को हलषष्ठी की बधाई दी है। उन्होंने कहा है कि छत्तीसगढ़ में यह त्यौहार कमरछठ के नाम से मनाया जाता है। मुख्यमंत्री ने कामना की है कि सभी माताओं की कामना पूरी हो और सभी बच्चे रहें स्वस्थ और खुशहाल।

भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हरछठ व्रत रखा जाता है. इसे हलषष्ठी या ललई छठ के नाम से भी जाना जाता है. इस साल हरछठ व्रत 17 अगस्त बुधवार यानी आज है. इस त्योहार को भगवान श्रीकृष्ण के बड़े बाई बलराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. इस दिन व्रत रखने से संतान की आयु, आरोग्य में वृद्धि होती है. हलषष्ठी व्रत के दिन श्री बलराम जी के साथ ही भगवान शिव, माता पार्वती, श्री गणेश, कार्तिकेय जी, नंदी और सिंह की पूजा का विशेष महत्व होता है.

हलषष्ठी व्रत कथा

पौराणिक कथा के मुताबिक, एक बार एक ग्वालिन गर्भवती थी. उसका प्रसव काल नजदीक था, लेकिन दूध-दही खराब न हो जाए, इसलिए वह उसको बेचने चल दी. कुछ दूर पहुंचने पर ही उसे प्रसव पीड़ा हुई और उसने झरबेरी की ओट में एक बच्चे को जन्म दिया. उस दिन हल षष्ठी थी. थोड़ी देर आराम करने के बाद वह बच्चे को वहीं छोड़ दूध-दही बेचने चली गई. गाय-भैंस के मिश्रित दूध को केवल भैंस का दूध बताकर उसने गांव वालों से झूठ बोला. इससे व्रत करने वालों का व्रत भंग हो गया. इस पाप के कारण झरबेरी के नीचे स्थित पड़े उसके बच्चे को किसान का हल लग गया. दुखी किसान ने झरबेरी के कांटों से ही बच्चे के चिरे हुए पेट में टांके लगाए और चला गया. जब ग्वालिन वापस लौटी तो अपने बच्चे को देखकर उसे अपना पाप याद आया. उसने गांव में घूमकर अपनी ठगी की बात बताई. उसके सच बोलने पर गांव की महिलाओं ने उसे माफ किया और आशीर्वाद दिया. जब वह वापिस अपने बच्चे के पास आई तो उसने देखा कि उसका बच्चा खेल रहा है.

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