हमारे जिदंगी में क्या चल रहा है,ये सिर्फ हम जानते है न कि कोई और मनुष्य के जिदंगी में बहुत से उतार—चढाव देखने को मिलते है,लेकिन कभी—कभी मनुष्य के जिदंगी में एक ऐसा समय आ जाता है कि मनुष्य को अपनी जिंदगी बोझ लगने लग जाती है,और ऐसा लगता है कि ये मेंरे ही साथ क्यों हो रहा पता नही मैने मेरी किस्मत में क्या लिखा है? कुछ भी अच्छा करने की कोशिश करता हुं लेकिन—लेकिन कुछ—न—कुछ गलती हो जाती है।
क्या? मै जिंदगी में कभी आगें नही बढ नही बढ पाउंगा क्या? हमेशा मेरे साथ कुछ—न—कुछ गलती होता रहेंगा और हमेशा मुझे लोगों के बीच हंसी का पात्र बनना पडेगा ये सब से मै बहुत परेशान हो गया हुं।
अब मुझे अपनी जिंदगी बेकार सा लगने लग गया है। ऐसा लगता है कि बस बहुत हो गया जिदंगी मेंरे से बहुत परीक्षा ले लिया अब बस कही ऐसा जगह जहां सुकुन मिले और वो सुकुन पाने के लिए बस एक ही रास्ता है आत्महत्या।
क्या ऐसे लोगो को आत्महत्या करना एक सही मार्ग है? क्या आत्महत्या करना सभी मुशकिलों का हल है?
नही आत्महत्या कोई मुशकिल का हल नही है,ये तो एक मुुर्ख, अनपढ , अपाहिज, अंधविश्वास, आदि मनुष्य का काम है। अगर हम अपनी जिंदगी से परेशान है,तो हमें दुसरो से अपनी जिंदगी में क्या चल रहा है उसके बारें लोगों से चर्चा करनी चाहिए शायद हमें दुसरों से अपनी जिदंगी के बारे में चर्चा करने से हमारा मन हल्का हो जाए और जिदंगी जीने की उम्मीद जाग जाए और जिदंगी जीने की उम्मीद जाग जाए तथा अपनी जिंदगी को कभी भी बोझ नहीं समझना चाहिए क्योंकि हमारी जिंदगी अमुल्य है न जाने हमारी जैसी जिंदगी कितनी की उम्मीद होगी