संकटमोचन बना भारत, ऐसे कर रहा श्रीलंका की मदद

आर्थिक संकट से बुरी तरह से घिरे पड़ोसी देश श्रीलंका की मदद करने के लिए भारत हर संभव प्रयास कर रहा है। श्रीलंका में व्याप्त भीषण संकट के दौर में केवल भारत ही एकमात्र देश है जो श्रीलंका के लिए संकटमोचन बनकर सामने खड़ा हुआ है। इसी क्रम में भारत श्रीलंका को एक बड़ी आर्थिक मदद दे चुका है। इस पर श्रीलंका के एक मंत्री का बयान आया है जिसमें उन्होंने भारत की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारत ने सच्चे पड़ोसी होने का धर्म निभाते हुए श्रीलंका की हर तरह से मदद की है, मदद के मामले में भारत ने चीन को भी पीछे कर दिया है।

श्रीलंका के उर्जा मंत्री कंचना विजेसेकारा ने कहा कि चालू वर्ष के पहले चार माह में भारत से मिलने वाली आर्थिक मदद तेजी से बढ़ी है, इस मामले में भारत ने अब चीन को भी पीछे कर दिया है। एक जानकारी के अनुसार श्रीलंका में चल रहे राजनीतिक और आर्थिक संकट को भारत ने गंभीरता से लिया है। इस वर्ष भारत ने जनवरी से अपै्रल 2022 के मध्य ही श्रीलंका को एक बड़ी रकम दी है। यह राशि करीब 37.69 करोड़ डॉलर के आसपास है। वहीं चीन ने इस दौरान श्रीलंका को 6.77 करोड़ डॉलर का कर्ज दिया है। श्रीलंका के वित्त मंत्रालय के अनुसार भारत के बाद एशियाई विकास बैंक 35.96 करोड़ डॉलर के साथ श्रीलंका का दूसरा सबसे बड़ा कर्जदाता रहा है।

गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को पहले चार महीने में कुल 96.88 करोड़ डॉलर का विदेशी कर्ज मिला है। इसमें से 96.81 करोड़ डॉल कर्ज के रूप में जबकि सात लाख डॉलर अनुदान के रूप में प्राप्त हुआ है। भारत के उच्चायुक्त गोपाल बागले ने श्रीलंकाई नेता से मुलाकात के दौरान संसद अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धने को मदद के लिए आश्वासन दिया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा था कि भारत इस द्वीपीय देश के सामने मौजूद गंभीर आर्थिक संकट से निपटने के लिए श्रीलंका की हर संभव मदद की कोशिश में लगा हुआ है। श्रीलंका में न केवल आर्थिक संकट व्याप्त है बल्कि यहां अब भूखमरी की नौबत भी आ रही है। खाद्यपदार्थों की कमी के चलते लोगों के बीच मारामारी की नौबत आ गई है। बताया जाता है कि श्रीलंका में करीब 60 लाख नागरिकों के समक्ष भूखे मरने की नौबत आ गई है। श्रीलंका के अंदर दवा, रसोई गैस, ईंधन जैसी वस्तुओं की भारी कमी हो गई है। यहां पेट्रोल जैसी चीज लेने के लिए लोगों को दो से तीन दिनों तक कतार लगना पड़ रहा है। वहीं वर्ल्ड फूड प्रोग्राम की एक रिपोर्ट की माने तो श्रीलंका में अभी 63 लाख लोगों के समक्ष दो वक्त की रोटी का गंभीर संकट बना हुआ है।

श्रीलंका में पेट्रोल/ईंधन बचाने के लिए सरकार ने शैक्षणिक संस्थानों जैसे स्कूल और कालेजों को पहले से ही बंद कर दिया है। वहीं शासकीय अधिकारियों व कर्मचारियों को जहां तक हो सके घर से ही काम करने के लिए कह दिया गया है। इस पूरे संकट की शुरूआत विदेशों से ली गई आर्थिक कर्ज को माना जा रहा है। श्रीलंका की सरकार विदेशी कर्ज चुकाने के चक्कर में अपना विदेशी मुद्रा भंडार को समाप्त करने के पायदान पर आकर खड़ा हो गया। इसके बाद से ही देश में हाहाकार मचना शुरू हो गया था। ऐसे समय में एकमात्र भारत ही श्रीलंका के लिए संकटमोचन के तौर पर सामने आकर खड़ा हुआ है।

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