हलचल… ये तेरा आदमी, वो मेरा आदमी

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ये तेरा आदमी, वो मेरा आदमी

छत्तीसगढ़ कांग्रेस में इन दिनों ये तेरा आदमी, वो मेरा आदमी चल रहा है। यदि ऐसा नहीं होता, तो बिलासपुर में क्या यादव समाज के नेता नहीं हैं? जो भिलाई विधायक देवेन्द्र यादव को यहां से लोकसभा के लिए उम्मीदवार बनाया जाए। वही हाल पूर्व गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू का है, महासमुंद में साहू समाज में नेताओं की कमी नहीं है फिर भी दुर्ग से ताम्रध्वज की पैराशूट लैडिंग की गई। शिव डहरिया तो आदतन बाहरी हैं ही, वो कभी बिलाईगढ़, कभी आरंग, अब जांजगीर और आगे न जाने कहां से प्रत्याशी बन जाएं। लेकिन ये तेरा आदमी, और वो मेरा आदमी के चक्कर में दुर्ग के राजेन्द्र साहू बुरी तरह फंस गए हैं। दरअसल में राजेन्द्र साहू ने चुनाव तो कई लड़े, लेकिन उनके पास अभी तक पार्षद तक का अनुभव नहीं है। हालात यह हैं कि पाटन क्षेत्र के कार्यकर्ता राजनांदगांव पहुंच चुके हैं, ये पूर्व सीएम भूपेश बघेल के लिए मोर्चा सम्भालने का काम कर रहे। वहीं भिलाई विधायक देवेन्द्र यादव सें जुड़े कार्यकर्ता बिलासपुर में पसीने बहाएंगे। दुर्ग ग्रामीण के खास कार्यकर्ताओं की टोली महासमुंद चल दी है। ऐसे में दुर्ग लोकसभा क्षेत्र कार्यकर्ता विहीन होते दिख रहा है। राजेन्द्र को ये तेरा आदमी और वो मेरा आदमी के चक्कर में टिकट तो मिल गई। लेकिन अब तेरा आदमी, और मेरा आदमी के चक्कर में कार्यकर्ता खोजे नहीं मिल रहे।

मेरे हालात ऐसे हैं कि मैं कुछ कह नहीं सकता….

बृजमोहन अग्रवाल राज्य के एक ऐसे नेता हैं, जो अभी तक चुनाव नहीं हारे। बृजमोहन के लिए कहा जा रहा है कि आमतौर पर वह जैसा विधानसभा चुनाव लड़ते हैं, वैसा लोकसभा में महौल नहीं दिख रहा। मतलब बृजमोहन लोकसभा चुनाव में कुछ खास मेहनत नहीं कर रहे। हलांकि आरोपों से बाहर निकले तो स्वयं बृजमोहन ये कहते नजर आते हैं कि वह किसी भी चुनाव को हल्के में नहीं लेते। खैर बृजमोहन कैसा भी चुनाव लड़ें, जनता ने उनके लिए अच्छा ही सोचकर रखा होगा। वर्तमान परिदृश्यों में इनकी लोकप्रियता के हालात यह हैं कि बृजमोहन अग्रवाल यदि माइक लेकर निकल जाएं और उन्हें यह कहना पड़े कि मुझे मत जिताओ रे….. तब भी रायपुर की जनता का प्रेम बृजमोहन की झोली में ही बरसेगा। परिणाम क्या होंगे फिलहाल कुछ कहा नहीं जा सकता। लेकिन बृजमोहन के खिलाफ उनके विरोधियों का चला हुआ दांव पहली बार सही निशाने पर लगता दिख रहा है। वहीं बृजमोहन के हालात ऐसे हैं कि वह कुछ कह नहीं सकते, और शायद कुछ कर भी नहीं सकते।

बारात बैज की, दुल्हन लखमा को?

पीसीसी चीफ दीपक बैज के साथ जो घटना घटी उससे कांग्रेसी ही नहीं बल्कि सभी हैरत में हैं। दरअसल में दीपक बैज वर्तमान में बस्तर से सांसद हैं, इसके साथ ही वह राज्य कांग्रेस के प्रमुख भी हैं। कहते हैं दीपक बैज की लोकसभा चुनाव की पूरी तैयारी थी। स्वाभाविक भी है, पार्टी प्रमुख होने के नाते एक टिकट पर दावा तो बनता ही है। लेकिन दीपक बैज की बारात में दुल्हन कवासी लखमा को मिल गई। मतलब दीपक बैज की टिकट काटकर कवासी लखमा को बस्तर से मैदान में उतार दिया गया। यह घटना तब घटी जब दीपक के हाथ से समय निकल चुका था, कांग्रेस ने जानबूझकर बस्तर की दो सीटों का नाम आखिरी वक्त में फाइनल किया, ताकि पीसीसी चीफ दीपक बैज की बात किसी भी फोरम में न सुनी जाए। खैर अब तो दुल्हन कवासी लखमा उर्फ दादी की है। कवासी लखमा ने हाल ही में स्वयं कहा था कि मैं तो बहु खोजने गया था, पार्टी ने मुझे ही दुल्हन थमा दी, शायद कवासी लखमा का कहना यह है कि वह तो अपने पुत्र हरीश लखमा के लिए टिकट की मांग रहे थे, लेकिन उन्हें ही मैदान में उतार दिया गया। बहरहाल इस दुल्हन और बहु के चक्कर में पीसीसी चीफ दीपक बैज की भद्द पिट गई। राज्य प्रमुख होते हुए अन्य सीटों की टिकट वितरण तो छोड़ दें, बैज अपनी ही सीट नहीं बचा पाए। कुल मिलाकर दीपक की बारात में दुल्हन कवासी को मिल गई।

हमारे महंत

राज्य में महंत जितना ही प्रिय उनको हैं, उतना ही प्रिय इनको भी हैं। शायद यही कारण है कि 2019 और उसके पहले भी महंत के प्रति इधर और उधर वालों का प्रेम झलकते दिखा। महंत भी उतने ही उदार हैं, वह इधर वाले और उधर वाले से उपर उठकर विचारों की भक्ति में डूब जाते हैं। वैसे तो महंत शांत स्वभाव के होते हैं, इसलिए स्वाभाविक है कि उनके जादातर मित्र भी शांत ही दिखने वाले होते हैं। खैर राज्य में महंत का अपना एक स्थान है, वह इधर वाले और उधर वाले से परे हैं। इसीलिए उन्हें हमारे महंत कहा जाता है।

शराबबंदी तो दूर, बना नया रिकार्ड

कुछ दिन पहले तक शराबबंदी और गंगाजल की गूंज चारों ओर सुनाई देती थी, अब शराबबंदी की मांग करने वाले और कसमें खाने वाले दोनो खामोश हैं। इस खामोशी के बीच रायपुरियंस ने शराब पीने का नया रिकार्ड बना दिया। दरअसल में होली पर्व के अवसर पर शराब पीने के पिछले पूरे रिकार्ड ध्वस्त हो गए हैं। रायपुरियंस ने इस होली पर तकरीबन 50 करोड़ से अधिक की शराब पी डाली। शराब का खुमार ऐसा चढ़ा कि लोग पहले से ही खरीददारी करके स्टॉक करते रहे। 50 करोड़ के आकड़ा के साथ होली का अब नया रिकार्ड बन चुका है। धंधा करने वाले तो आकड़ा देखकर खुश होंगे, लेकिन राजनीति करने वाले खामोश हैं। शराब की खपत पर सवाल उठना लाजमी हैं। वहीं अब 1 अप्रैल को नई शराब नीति लागू होते ही देशी शराब की भी कई वेरायटी बाजार में नजर आयेंगी। राजस्व बढ़ाने, शराब की दरों में भी वृद्धि की जा सकती है। यह वृद्धि 10 रुपये से लेकर 200 रुपये तक हो सकती है। फिलहाल शराब पर कसमें खाने वाले और वादे याद दिलाने वाले दोनों खामोश हैं।

नेताम की सादगी और विरोधियों का दांव

रामविचार नेताम आमतौर पर सहज नेता माने जाते हैं। नेताम के पास राजनीति का लंबा अनुभव भी है, वह रमन सरकार में भी गृहमंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेंदारी सम्भाल चुके हैं। रामविचार नेताम राज्यसभा सदस्य भी रहें। तमाम पदों पर रहने के बाद भी सहजता का दामन उन्होंने नहीं छोड़ा, शायद इसीलिए वह अपने क्षेत्र की जनता के करीब रहकर उनके रंग में रंगकर होली खेलने पहुंच गए। लेकिन राजनीति में हर किसी के विरोधी होते हैं, नेताम के भी होंगे। होली मिलन समारोह में नेताम ने जनमानस के इच्छा अनुरुप उनका स्वागत और सत्कार किया । अब होली, तो होली है.. कुछ लोगों को जादा रंग चढ़ गया। अब इसमें बेचारे नेतााम जी का क्या कसूर, लेकिन मौका पाते ही नेताम का विरोधी खेमा सक्रिय हो गया। बहरहाल होली का रंग उतर चुका है, लेकिन नेताम अभी भी लोगों के जुवां पर नजर आ रहे हैं।

editor.pioneerraipur@gmail.com

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