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मुख्यमंत्री के सलाहकार लड़ेेंगे विधानसभा चुनाव?
सीएम भूपेश के सलाहकारों में से एक सलाहकार का चुनाव लडऩा लगभग तय माना जा रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इन सलाहकार के गृह ग्राम का तीन बार दौरा कर चुके हैं। कहते हैं कि इस विधानसभा क्षेत्र में आयोजित भेंट मुलाकात कार्यक्रम के लिए भी सलाहकार के गांव को ही चुना गया था। बार-बार सीएम के दौरे से स्थानीय कांग्रेसी नेता समझने लगे हैं कि सीएम इस निर्वाचन क्षेत्र से अपने सलाहकार को चुनावी मैदान में लांच करना चाह रहे हैं। हालांकि वर्तमान में यह सीट भाजपा के कब्जे में है। 2018 में छजकां ने पूरा समीकरण बिगाड़ दिया था। इस बार यह माना जा रहा है कि सब कुछ ठीक रहा तो यह सीट कंाग्रेस के पाले में जा सकती। हालांकि सीएम के सलाहकार का नाम सामने आने से इस विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लडऩे के इच्छुक तमाम कांग्रेसी नेताओं की उम्मीदों में पानी फिर गया है।
लखमा के दिन ठीक नहीं
पिछले चार साल की बात करें तो कवासी लखमा अपने बयानों के बदौलत हमेशा सुर्खियों में रहा करते थे। लेकिन जब से 2000 करोड़ का शराब घोटाला सामने आया है कवासी ने मानों मौन धारण कर लिया हो। आबकारी विभाग के कुछ अधिकारी इस घोटाले में सलाखों के पीछे पहुंच चुके हैं। औरों की धड़-पकड़ जारी है। इतने बड़े घोटाले को लेकर आबकारी मंत्री होने के नाते अब तक कवासी ने एक बार भी मीडिया के सामने अपना पक्ष नहीं रखा। इसी बीच महेन्द्र कर्मा के बेटे छवीन्द्र कर्मा ने झीरम घटना को लेकर बडा सवाल खडा करते हुए कवासी लखमा के नार्को टेस्ट कराने की मांग कर दी। जिसके बाद भी लखमा खामोश हैं। कुल मिलाकर लखमा को समझ आ चुका है कि उनके दिन ठीक नहीं चल रहे, इसलिए खामोशी में ही भलाई है।
मरकाम को बिसरे भूपेश
चुनाव के नजदीक आते ही कांग्रेस में गुटबाजी बढऩे की बात कोई नई नहीं है। लेकिन इन दिनों सत्ता और संगठन में ठनी हुई है। इसका दृश्य पाटन में देखने को मिला दरअसल पाटन में भरोसे के सम्मेलन में पहली बार सीएम भूपेश बघेल पीसीसी चीफ मरकाम का नाम लेना भूल गए। सीएम ने अपने भाषण में कुमारी शैलजा से लेकर ब्लाक स्तर तक के सभी पदाधिकारियों के नाम का जिक्र किया, लेकिन पीसीसी चीफ मोहन मरकाम का उन्होंने जिक्र नहीं किया। वैसे तो भूपेश बघेल मंच में बैठे तमाम नेताओं का उद्बोधन में नाम लेते हैं और यहां पर भी लिया, लेकिन मरकाम का नाम न लेना सबको हैरत करने वाला था। अब यह भूपेश की भूल है या मामला कुछ और है? कहते हैं प्रदेश कांग्रेस इन दिनों दो गुटों में बंट गई है। मोहन मरकाम के पीछे टीएस सिंहदेव और कुछ और बड़े नेता साथ खडे हैं। तो वहीं भूपेश बघेल दीपक बैज को पीसीसी चीफ बनाना चाहते हैं।
पुरंदेश्वरी इज द बेस्ट
छत्तीसगढ में महज पांच माह बाद विधानसभा चुनाव होनें हैं। लेकिन भाजपा के संगठन स्तर पर कोई खास गतिविधि नजर नहीं आ रही है। चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ है। ओम माथुर भी कुछ खास नहीं कर पा रहे। अब तो स्थानीय नेता भी कहने लगे हैं पुरंदेश्वरी इज द बेस्ट। कुछ भाजपा नेताओं का मामना है कि डी पुरंदेश्वरी यहां की राजनीतिक तासीर को समझ चुकी थीं, वह सही दिशा में मुखर होकर काम करना शुरु कर दी थीं। लेकिन अचानक से उनको हटाना भाजपा के लिए नुकशानदायक साबित होने जा रहा है। ओम माथुर पिछले कई माह से सिर्फ मीटिंग ले रहे हैं जिसका कोई भी फल अभी तक देखने को नहीं मिल रहा। अब तो कार्यकर्ता भी मुखर होकर कहने लगे है कि सिर्फ मीटिंग से कुछ नहीं होने वाला है। छत्तीसगढ़ में सत्ता वापसी चाहिए तो भाजपा को धान का काट ढूंढऩा ही पडेगा। माथुर के प्रदेश प्रभारी बनने के बाद पीएम आवास मामले को छोड़ दें तो भाजपा एक भी कोई बड़ा आन्दोलन नहीं कर पाई। जिसके कारण अब यह कहा जाने लगा है पुरंदेश्वरी इज द बेस्ट।
रुपये किसके ?
पिछले दिनों एक चपरासी के घर से 41 लाख से ज्यादा की नगदी और जेवर की बरामदगी पुलिस ने की थी। खबरों के मुताबिक महिला के पास मिली रकम वन विभाग के किसी अफसर की है। हालांकि इतनी मात्रा में नगदी पकड़ाने का यह कोई नया मामला नहीं है। इससे पहले भी जगदलपुर के पास एक स्कार्पियों वाहन में एक करोड़ रुपये नगदी पकड़े जाने की खबर सामने आयी थी। बाद में मिलजुलकर इसे रफा-दफा कर दिया गया। जानकारी अनुसार उक्त महिला पूर्व में एक वनमंडल में कार्यरत भी थी। वैसे तो काफी संख्या में नकदी विभिन्न मार्गों से होते हुए राजधानी के देवेन्द्र नगर और नवा रायपुर पहुंचती है। बाद में उन्हें उनके सही स्थान तक सुरक्षित पहुंचा दिया जाता है। (नोट बैंक में नहीं)।
रायपुर, बलौदाबाजार, बस्तर और जशपुर के एसपी बदले जाएंगे
हाल ही में राज्य सरकार ने कुछ आईपीएस अफसरों का तबादला किया है। जिसमें कवर्धा एसपी लाल उमेद सिंह समेत कई अफसरों के नाम शामिल हैं। संप्रदायिक विवाद के कारण बेमेतरा एसपी को भी हटा दिया गया है। दुर्ग एसपी अभिषेक पल्लव को कवर्धा का नया एसपी बनाया गया है। वैसे तो दुर्ग के से कवर्धा जिला काफी छोटा है। लेकिन आगामी समय में पल्लव को कवर्धा में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। तकरीबन 5 माह बाद राज्य में विधान सभा चुनाव होने हैं। ऐसे में चर्चा है कि एक और लिस्ट जल्द जारी हो सकती है। जशपुर, बलौदाबाजार, बस्तर, रायपुर के पुलिस अधीक्षकों को बदला जा सकता है। वहीं बस्तर आइजी सुंदरराज को भी चुनाव आयोग के नियमों को देखते हुए हटाया जा सकता है। सुरंदराज पी. को करीब साढे तीन साल से अधिक हो चुका है।
आयोजन का बायकाट
नवा रायपुर स्थित एक सबसे महंगे होटल में तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। आनन-फानन में आयोजित इस कार्यक्रम में पूरे देश के आईएफएस जुटे हुए थे। लेकिन राज्य के कुछ सीनियर अफसरों ने बहाना बनाकर कार्यक्रम का बायकाट कर दिया। करें भी क्यूं न, उनके बैच के अफसर अन्य प्रदेशों में प्रमुख सीट पर पहुंच चुके हैं। वहीं छत्तीसगढ़ में एक जूनियर अफसर सभी सीनियरों को हांक रहा है। जाहिर सी बात है जब अन्य प्रदेश के अफसर सामने मिलते तो कुछ न कुछ पीड़ा बाहर निकल ही आती। इसलिए आयोजन से खिन्न अफसर ने बायकाट करना बेहतर समझा।
दिल्ली दरबार में सिंहदेव की पूछ-परख बढ़ी
दिल्ली में छत्तीसगढ़ के नेताओं के साथ खडगे और राहुल गांधी विभिन्न विषयों पर मंथन करेंगे। इस बीच दिल्ली दरबार में टीएस सिंहदेव की फिर पूछ-परख बढ़ गई है। बताया जा रहा कि सिंहदेव को आस्ट्रेलिया प्रवास से वापस बुलवाया गया है। इस मीटिंग में राहुल गांधी और राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे, प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा के साथ-साथ राज्य से चार प्रमुख नेता शामिल हो रहे हैं। जिसमें सर्वप्रथम सीएम भूपेश बघेल, स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव, डॉ. चरणदास महंत और मोहन मरकाम के नाम शामिल हैं। कहा जा रहा है कि बैठक में विधानसभा की तैयारियों के संदर्भ में चर्चा होगी। साथ ही संगठन और सत्ता में कुछ बदलाव के भी आसार हैं।
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