रायगढ़ के कर्मयोगी मुरारी लाल महमिया की स्मृति में 7 सितंबर को होगा विशाल रक्तदान शिविर

महमिया परिवार द्वारा रक्तदान शिविर का आयोजन होगा मंदिर चौक स्थित अग्रोहा भवन में

अग्रबन्धुओं व आमजनों से अपील भारी संख्या में करें रक्तदान- विनोद महमिया

सक्ती-रायगढ़ शहर जिनके अवदानों को कभी भूला नहीं पायेगा। अपनी मेहनत, लगन, परिश्रम व नेक कार्यों से अपने घर परिवार का नाम तो रौशन करते हैं साथ ही समाज की आबोहवा को भी सुवासित करते हैं जिससे समूचा वातावरण भी मंद-मंद खुशबू से महकने लगता है और इनके नेक कार्यों की बदौलत से समाज के अन्य लोगों को भी जीने की प्रेरणा मिलती है। समाज के ऐसे महामानव युग पुरुष को लोग सदैव अपने दिल में बसाकर रखते हैं। शहर के ऐसे ही महामानव समाज सेवी आदर्श व्यक्तित्व के धनी रहे श्रद्धेय मुरारी लाल महमिया जी की स्मृति में रायगढ़ महमिया परिवार द्वारा 7 सितंबर 2022 को प्रातः 9.00 बजे से सायं 5.00 बजे तक अग्रोहा भवन, गौरीशंकर मंदिर चौक रायगढ़ में रक्तदान शिविर का आयोजन सुनिश्चित हुआ है।

समाजसेवी विनोद महमिया ने भारी मन से अपने अग्रबन्धुओं व नगरवासियों से रक्तदान करने की अपील करते हुए कहा कि आपके द्वारा किया गया रक्तदान किसी सुहागिन को विधवा होने से बचा सकता है। किसी वृद्ध माता-पिता को बेसहारा होने से बचा सकता है। किसी का खिलता यौवन असमय किसी काल कलवित होने से बच जायेगा। आप सब आने वाली नई पीढ़ी के लिए हमेशा उदाहरण एवं प्रेरणा के स्रोत बन सकते हो। अतएव आइए! हम सब मिलकर भारी संख्या में रक्तदान करे

महामानव वटवृक्ष का संक्षिप्त जीवन परिचय

जिनका बाल्यकाल महम में बीता। बचपन से सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामयः की पवित्र भावना से लबरेज समाज सेवी स्वर्गीय श्री मुरारी लाल महमिया का जन्म हरियाणा के जिला रोहतक के महम गांव में 28 दिसम्बर 1935 को हुआ था। इनके पिताजी स्वर्गीय श्री मंशाराम महमिया थे व माता जी स्वर्गीय  रामचंद्री देवी थी। माता – पिता में सहज सरल, आध्यात्मिक, जनसहयोग का गुण होने से इसका प्रभाव इन पर पड़ा यही वजह है कि इनका जीवन ता – उम्र उत्साह कर्मठ अनुशासन प्रिय व जनसहयोग विनम्रता से बीता जो उनके विराट व्यक्तित्व की विशेष खासियत रही।

कामयाबी का सफर

सुप्रसिद्ध समाजसेवी महमिया जी ने 1961 से व्यवसाय प्रारंभ किया और 1971 तक कोलकाता में 71से 87 रायगढ़ – संबलपुर में सॉ मिल सहित अन्य व्यवसाय को नई ऊंचाई देने में अपने परिश्रम से कामयाब रहे फिर आगे बढ़ते ही गए। 1988 में जिंदल समूह के चेयरमैन ओ पी जिंदल जी से मुलाकात हुई और मधुर संबंध बना जो आखिर सांस तक निभा यही महमिया जी के व्यक्तित्व की विशेष खासियत रही। यही नहीं महमिया जी सन 2001 से 2005 तक नलवा स्पंज के डायरेक्टर रहकर अपने व्यक्तित्व के तेजस से उद्योग जगत को भी नई दिशा देने में कामयाब रहे ।

नेक कार्यों से समाज महका

महान समाज सेवी महमिया जी ने जीवन में परोपकार को सबसे बड़ा धर्म मानते हुए पवित्र मन से सदैव समाज की सेवा में अंतिम सांस तक समर्पित रहे जो उनके विराट व्यक्तित्व की विशेष खासियत है। शहर में अग्रोहा भवन उपाध्यक्ष व निर्माण में मुख्य भूमिका। अशर्फी देवी चिकित्सालय में समाज के मरीजों की सेवा के लिए 6 कमरों का निर्माण। चक्रधर गौशाला के आजीवन सदस्य व विभिन्न सहयोग। अनाथालय के सक्रिय सदस्य व सहयोग ताउम्र करते रहे। इनके नेक कार्यों की लंबी फेहरिस्त है जिसे बयां कर पाना मुश्किल है।

परिवार को सिखाये समाज सेवा के गुर

समाजसेवी महमिया जी ने परोपकारी कार्यो को नवआयाम देकर समाज में नव इतिहास बनाएं हैं साथ ही अपने सुपुत्र त्रिलोक, पुनम, संजय, विनोद व सुपुत्री उषा, सरस्वती, शारदा, आशा व परिवार के सभी सदस्यों को जीवन में तरक्की व समाजसेवा के गुर सिखाये यही कारण है कि शहर में प्लाईवुड, इलेक्ट्रॉनिक, फर्नीचर, क्रेशर, इंटीरियर सहित अनेक क्षेत्रों में सफलता का कीर्तिमान रच रहे हैं। इतना ही नहीं महमिया जी की छोटी बहू रेखा महमिया परिवार का मान बढ़ाते हुए आज अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन के माध्यम से सामाजिक जनB सेवा के कार्यों में घर परिवार, जिले व राज्य का मान देश में बढ़ा रहे हैं। यह महमिया जी के आशीष का प्रतिफल है, विनोद महमिया ने आगे बताया कि आपके द्वारा किये गये रक्तदान से किसी को जीवन दान मिलेगा। हम सब जानते है कि रक्त किसी कृत्रिम तरीकों से नही बनाया जा सकता है सिर्फ हमारे शरीर से ही रक्तदान करने से उपलब्घ होता है। रक्तदान करने से कई लोगों का जीवन बचाया जा सकता है। किसी को नवजीवन देकर जो आत्मिक आनन्द मिलता है, उसका न तो कोई मूल्य आंका जा सकता है नही उसे शब्दों में व्यक्त किया जा सकता है।

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