हलचल… जांच को सांच मानना ही पड़ेगा

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जांच को सांच मानना ही पड़ेगा

2003 बैच के आईपीएस अफसर रतनलाल डांगी इन दिनों चर्चा के केन्द्र बने हुए हैं। हालांकि इसके पहले भी डांगी चर्चा में बने रहते थे। उनके एक से एक एक्सरसाइज के वीडियो पब्लिक डोमेन में उपलब्ध हैं, खैर यह उनका निजी मामला है। लेकिन इस बार रतन लाल डांगी का मामला कुछ जुदा है। मीडिया में चल रही खबरों की माने तो आईपीएस रतन लाल डांगी के साथ बहुत ही ज्यादती हुई है, वो भी ज्यादती उनके ही विभाग में कार्यरत एक कर्मचारी की पत्नी ने कर डाला। निश्चित ही रतनलाल डांगी की कथित शिकायत यदि सच है? तो उन्हें न्याय मिलना चाहिए। वरना जनता का विश्वास पुलिस से उठ जाएगा। एक इतना सीनियर अफसर एक महिला से इस कदर प्रताडि़त रहा कि वह सात साल तक इस प्रताडऩा को खामोशी से सहता रहा। पल-पल का वीडियो भी दिखाता रहा, बाथरुम तक में भी वह महफूज नहीं रहा। इतनी प्रताडऩा शायद ही इसके पहले किसी अफसर ने झेली होगी? खैर उम्मीद है रतनलाल डांगी को न्याय मिलेगा। क्योंकि इस जांच में कोई तीसरा पक्ष है ही नहीं। कथित शिकायत के अनुसार पीडित आईजी रैंक के अफसर हैं और उन्हें प्रताडि़त करने वाली महिला भी पुलिस में सब इंसपेक्टर की पत्नी बताई जा रही है, अब जांच दल भी पुलिस विभाग से है, आईजी आनंद छाबडा के नेतृत्व में मामले की जांच की जा रही है। जाहिर सी बात है डांगी साहब को अपने विभाग की जांच को सांच मानना ही पड़ेगा। इस जांच पर अगर पीडित आईपीएस अफसर या सब इन्पेक्टर की पत्नी को ऐतबार न रहा तो पब्लिक भला कैसे ऐतबार करेगी।

एसपी बदले गए, कलेक्टरों की बारी

बीते 13 तारीख को हुई कलेक्टर-एसपी कांफ्रेस में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कानून व्यवस्था की समीक्षा की थी। इस बैठक में अवैध मादक पदार्थ, प्रशासनिक समन्वय, साइबर अपराधों और सडक सुरक्षा को लेकर चर्चा की गई थी। बैठक में साफ तौर पर कहा गया था कि जिलों में कानून व्यवस्था बनाए रखने में कलेक्टर और एसपी दोनों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। वहीं खराब परफारमेंस वाले अफसरों को फटकार भी लगाई गई थी। उसके बाद राजनांदगाव, मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर और कोन्डागांव के एसपी को हटा दिया गया है। इन तीन जिलों में से दो जिलों में महिला अफसरों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। अब कहा जा रहा है कि इसके बाद कुछ कलेक्टरों के खराब परफारमेंस के कारण उन्हें हटाया जा सकता है। हालांकि राज्योत्सव के कारण कलेक्टरों के ट्रांसफर को कुछ दिन के लिए टाल दिया गया है।

और पारदर्शी बनाने की जरुरत तो नहीं?

सुशासन वाली विष्णु सरकार सरकारी सिस्टम को पारदर्शी बनाने में जुटी है। कुछ हद तक इस पर सरकार को सफलता भी मिल चुकी है। मंत्रालय से लेकर तामाम ई-आफिस का काम सफल साबित हो रहा है। अब सरकारी काम-काज में भी गति आ गई है। लेकिन क्या इतना पारदर्शिता पर्याप्त है? दरअसल यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि जनता के हितों को देखते हुए सूचना आयोग की स्थापना की गई। इसका मकसद है सरकारी काम में पारदर्शिता। पारदर्शिता इतनी कि देश का कोई भी नागरिक सरकारी काम-काज की जानकारी हासिल कर सके। वैसे भी जब सरकारी काम-काज पारदर्शी होते हैं तो सूचना देने में समस्या भी नहीं होनी चाहिए। लेकिन सरकार का ध्यान इस ओर शायद नहीं जा पा रहा। दरअसल हम यह इसलिए कह रहे क्योंकि राज्य सूचना आयोग अब विरान हो गया है। यहां मुख्य सूचना आयुक्त समेत दो आयुक्त के पद खाली पड़े हुए हैं। तकरीबन 45 हजार प्रकरण यहां लंबित है। कई करोड़ रुपये का जुर्माना वसूल किया जाना शेष है।  यहां किसी की पदस्थापना ही नहीं की गई। क्यों नहीं की गई? या कब की जाएगी? ऐसे सवाल उठना लाजमी हैं।
वास्तव मे यदि सरकारी सिस्टम को पारदर्शी बनाना है तो ऐसे महत्वपूर्ण आयोगों के प्रति इतनी उदासीनता क्यों?

भाजपा की पसंद युवा, कांग्रेस का क्या?

छत्तीसगढ़ राज्य अपने 25 साल पूरे करने जा रहा है। एक नवंबर से यह राज्य 25 साल की यात्रा पूरी कर लेगा। इन पच्चीस साल में राज्य का चहुंमुखी विकास हुआ है। बीते पच्चीस वर्षों में राजनीतिक, व्यवसायिक और सामाजिक बदलाव से भी इनकार नहीं किया जा सकता। शायद इसीलिए इस युवा राज्य की लीडरशिप को भाजपा ने अब युवाओं को सौंपना उचित समझा। दरअसल इस बार भाजपा ने बड़ी सूझ-बूझ के साथ राजनीतिक प्रयोग करते हुए अगली पीढ़ी को मजबूत करने का फैसला लिया है। राज्य मंत्रिमंडल पर नजर डालेंगे तो महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी रजवाडे की आयु 33 वर्ष है। वहीं मंत्री गुरु खुसवंत साहेब 36 साल के हैं। वित्त मंत्री ओपी चौधरी 44 वर्ष, तो वहीं स्कूल शिक्षा मंत्री गजेन्द्र यादव 47 वर्ष पूरे कर रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल 49 वर्ष, तो वन एवं परिवहन मंत्री केदार कश्यप 51 वर्ष के हैं। उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा 52 तो वहीं उप मुख्यमंत्री अरुण साव 57 वर्ष के हैं। मंत्री राजेश अग्रवाल 59 साल तो वहीं लखनलाल देवांगन 63 के हैं। रामविचार नेताम 64 तो वहीं दयालदास बघेल 71 के हो चुके हैं। इसके साथ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय अभी 61 वर्ष के हैं। मंत्रियों और भाजपा के वर्तमान उभरते हुए नेताओं की औसत आयु को देंखेगे तो यह साफ है कि भाजपा अब यहां युवाओं को कमान सौंपना ही उचित समझ रही है। इसके इतर कांग्रेस की लीडरशिप में भी एक नजर डालने की जरुरत है। खैर पार्टियों की अपनी अलग-अलग रणनीति होती है। अब कांग्रेस भाजपा के विपरीत दिशा में क्यों चलना चाहती है? यह तो कांग्रेस के कर्ता-धर्ता ही जानेंगे।

फिर निकला शराब बंदी का जिन्न

छत्तीसगढ़ राज्य में शराब बंदी की गूंज पूर्व सीएम भूपेश बघेल के पूरे कार्यकाल में होती रही। कांग्रेस के कुछ नेताओं ने गंगाजल हाथ में लेकर कसमें खाईं थी, लेकिन इस पर भी विवाद बना रहा। कांग्रेसी चीख-चीख कर कहते रहे कि हमने शराब बंदी की कसम खाई ही नहीं, बल्कि किसानों की कर्जा माफी की कसम गंगाजल लेकर खाई थी, तो वहीं उस दौर में विपक्ष की भूमिका निभाने वाली भाजपा पूर्ण शराब बंदी को लेकर आवाज बुलंद करते रही, लेकिन सत्ता में आने के बाद अब खामोश है। विपक्ष में रहते हुए भाजपा के तमाम बड़े नेताओं ने शराब बंदी को राज्य का प्रमुख मुद्दा बनाया था, लेकिन सरकार बदलते ही पूर्ण शराब बंदी का मुद्दा ही यहां से गायब हो गया। न कांग्रेस इस विषय पर कुछ बोलनें को तैयार है और न ही सत्ता संभाल रही भाजपा शराब बंदी पर कुछ बोलना चाहती। लेकिन इन दोनों प्रमुख दल के चुप्पी के बावजूद एक बार फिर शराब बंदी का जिन्न बाहर निकल आया है। राज्य में बड़े वाहनों के चालक इन दिनों अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। और इस संगठन की प्रमुख मांग शराब बंदी है। हालांकि इसके अलावा भी संगठन की अन्य मांगें है, लेकिन ड्राइवरों के एसोसिएशन ने पहली बार शराब बंदी की मांग की है। दरअसल इसके पीछे प्रमुख वजह यह मानी जा रही है कि जगह-जगह ढ़ाबों और होटलों में शराब परोसी जा रही है। खैर सच क्या हैं? कारण क्या है? यह तो ड्राइवर एसोसिएशन ही जानेगा, लेकिन इस आंदोलन के बाद राज्य में एक बार फिर शराब बंदी का जिन्न बाहर निकल आया है।

1 लाख लोगों के जुटने का अनुमान

राज्य सरकार मोदी की गांरटी को पूरा करने में सफल हुई है। सरकार के लिए यह राज्योत्सव काफी खास है। जहां एक ओर सरकार नक्सलवाद को समाप्त करने के संकल्प में कामयाब होते दिख रही है, तो वहीं गरीबों को आवास मुहैया कराने में भी सरकार से सफलता हासिल की है। धान की रिकार्ड 3100 रुपये प्रति क्विंटल से खरीदी 15 नवबंर से की जाएगी। छत्तीसगढ़ राज्य का रजत जयंती वर्ष उपलब्धियों भरा है। यहां की जनता को पीएम मोदी नए विधानसभा भवन की सौगात देने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री का दौरा कार्यक्रम भी जारी हो चुका है। साढ़े तीन लाख परिवारों को इस राज्योत्सव में मकान की चाबी सौंपी जाएगी। वहीं तकरीबन एक लाख लोगों के जुटने के अनुमान हैं। इसके लिए सरकार के साथ-साथ संगठन के नेताओं को भी अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी गई है।

 

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