हलचल… मंत्री का कुर्सी प्रेम और बड़बोलापन

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मंत्री का कुर्सी प्रेम

राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री ने हरेली के दिन विष्णु सरकार की फजीहत कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। दरअसल मंत्री लक्ष्मी रजवाड़े कुर्सी लेकर रोपा लगाने खेत पहुंची थी। अब जैसी मंत्री की सोच, वैसी ही उनके पीआर टीम की दृष्टि। मंत्री कुर्सी लेकर खेत पहुंची तो पीआर टीम भी आंखों में पट्टी बांधकर वहां मौजूद रही। मंत्री ने कुर्सी में बैठकर रोपा लगाते हुए तस्वीर खिंचवाई तो पीआर टीम ने उसे जनता के बीच राकेट की स्पीड से सोशल मीडिया में पोष्ट करने का काम किया। अब यहां न ही मंत्री के विवेक पर सवाल उठाया जा सकता, न ही उनकी टीम की योग्यता पर। लेकिन उनकी इस तस्वीर ने सरकार की चारों ओर फजीहत करने का काम किया है, सरकार की छवि बिगाडऩे का काम किया है। यह बात अलग है कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव की सरलता और उनकी टीम की सजगता की वजह से मंत्री रजवाड़े की तस्तीरें अखबारों में कम दिखी या यूं कहें कि समाचार पत्रों में नहीं छपीं। लेकिन सोशल मीडिया में मंत्री रजवाड़े ने धूम मचाकर रख दिया। मंत्री की इस तस्वीर को कांग्रेस ने किसानों के अपमान और स्वाभिमान से जोड़ दिया और भाजपा सरकार को किसान विरोधी बताने में जुट गई। खैर सरकार पर कांग्रेस के आरोप और इस तस्वीर का कितना प्रभाव पड़ेगा फिलहाल कुछ कहा नहीं जा सकता। लेकिन यह जरुर कहा जा रहा है कि मंत्रियों की बिगड़ती कार्यप्रणाली से सरकार पर सवाल उठने लगे हैं।

मंत्री का बड़बोलापन

महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी रजवाड़े ही नहीं वित्त मंत्री ओपी चौधरी भी इन दिनों अपनी पब्लिसिटी और कार्यप्रणाली को लेकर जमकर चर्चा में हैं। दरअसल हाल ही में वित्त मंत्री ओपी चौधरी का राज्य के एक अखबार में इंटरव्यू प्रकाशित हुआ है। जिसके शीर्षक में यह बताया गया है कि छत्तीसगढ़ अंजोर विजन बनाने के लिए तीन करोड़ जनता के बीच वह गए। अब यह बात अलग है कि राज्य में तीन करोड़ जनता के आकड़े मंत्री जी को किसने उपलब्ध कराये? छत्तीसगढ़ की वास्तविक जनसंख्या क्या है? यदि मंत्री चौधरी सच कह रहे हैं तो वह राज्य में 0 से लेकर सभी उम्र के लोगों के बीच अंजोर विजन लेकर जा चुके होंगे। ऐसे में लोग समाचार पत्र की कटिंग एक-दूसरे को भेजकर पूछ रहे हैं कि अंजोर विजन के लिए मंत्री जी आपके बीच पहुंचे क्या? खैर यह वित्त मंत्री ओपी चौधरी की चूक है या बड़बोलापन यह तो वही जानेंगे। लेकिन इन तमाम घटनाओं को देखकर यह कहा जा सकता है कि सरकार की फजीहत कराने का काम सिर्फ लक्ष्मी रजवाड़े ही नहीं कर रहीं और भी मंत्री इस काम को बखूबी करना जानते हैं।

कांग्रेस हाईजेक?

छत्तीसगढ़ कांग्रेस इन दिनों हाईजेक हो चुकी है। राज्य में कांग्रेस सीनियर आदिवासी नेता तीन बार के विधायक रहे पूर्व मंत्री कवासी लखमा के लिए सड़क पर नहीं उतरी, वह पिछले कई महीनों से जेल में बंद हैं, तब भी आंदोलन नहीं हुए। भिलाई विधायक देवेन्द्र यादव कई महीनों तक सलाखों के पीछे रहे, तब भी कांग्रेस सड़क पर नहीं दिखी। लेकिन चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी पर कांग्रेस सड़क पर उतर गई? चैतन्य बघेल पार्टी के पदाधिकारी हैं? मेम्बर हैं? विधायक है? सांसद है? महापौर हैं? आखिर क्या हैं? जो उनके लिए कांग्रेस को सड़क पर उतरना पड़ा। क्या वास्तव में राज्य में कांग्रेस हाईजेक हो गई हैं? क्या भूपेश बघेल ने राज्य कांग्रेस को हाइजेक कर लिया है? कवासी लखमा तो आदिवासियों, वनवासियों की हक की लड़ाई लड़ते रहे, पार्टी के लिए अपना जीवन समर्पित किया। देवेन्द्र यादव कांग्रेस पार्टी से विधायक है, राष्ट्रीय पदाधिकारी भी हैं। फिर इन नेताओं के लिए पार्टी सड़क पर क्यों नहीं उतरी? राज्य में खेती-किसानी का समय शुरु हो चुका है, छत्तीसगढ़ राज्य एक कृषि प्रधान राज्य है, यहां पर किसानों, मजदूरों, आदिवासियों से जुड़े अनेकों मुद्दे हैं, लेकिन कांग्रेस इन तमाम मुद्दों पर सड़क पर नहीं दिखी। पार्टी का ध्येय तो जनहित है, जनहित का मुद्दा है। फिर व्यक्ति विशेष तक सीमित रहना कितना वाजिव है? खैर यह कांग्रेस को तय करना है कि उन्हें जनता के लिए लडऩा है, जनहित के मुद्दों पर सवाल खड़ा करना है या फिर व्यक्ति विशेष के लिए लड़ाई लडऩा है।

आबकारी अधिकारियों पर मेहरबानी?

पूरे हिन्दुस्तान में छत्तीसगढ़ राज्य अब नक्सल प्रभावित राज्य के लिए कम बल्कि शराब घोटाले के लिए ज्यादा जाना जाने लगा है। इस राज्य के अधिकारियों, कारोबारियों और नेताओं से प्रभावित होकर अन्य राज्य में भी शराब घोटाले हो गए। लेकिन छत्तीसगढ़ राज्य में जिन 22 अफसरों की मिली भगत के कारण यहां इतना बड़ा घोटाला हुआ उन तक राज्य की पुलिस नहीं पहुंच पा रही है, यह सभी को आश्चर्य करने वाला है। दरअसल राज्य के यह आबकारी अफसर शराब घोटाले के सहभागी हैं। ईओडब्ल्यू-एसीबी ने इन अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है। एक भाजपा नेता के प्रेशर के बाद इन्हें सस्पेंड भी कर दिया गया है। लेकिन पुलिस ने अभी तक आबकारी विभाग के इन 22 अफसरों को गिरफ्तार नहीं किया है। जिसको लेकर पक्ष-विपक्ष दोनों के बीच जुबानी जंग छिड़ी हुई है। यहीं नहीं एक नेता ने तो पीएमओं को चिट्ठी भी लिख दी है, जिसमें बताया गया है कि दो आबकारी अफसरों को छोड़ दिया गया है, जबकि घोटाले के वह सहभागी हैं। अब एक ओर ईडी ने शराब घोटाले मामले में पूर्व सीएम भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल को गिरफ्तार कर लिया है, वहीं दूसरी ओर यह 22 आबकारी अधिकारी आज भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। यह मेहरबानी नहीं तो और क्या है?

एक और आईएफएस का इस्तीफा?

राज्य में सीनियर आईएफएस लगातार इस्तीफा दे रहे हैं। कुछ दिन पहले आईएफएस अरुण प्रसाद ने सरकारी सेवा से इस्तीफा दे दिया। अब एक और सीनियर आईएफएस के इस्तीफा के आसार दिख रहे हैं। दरअसल सरकारी सेवा से इस्तीफा देकर या तो अफसर बड़ी कंपनियां ज्वाइन कर रहे हैं, या फिर राजनीति का रुख कर रहे हैं। अरुण प्रसाद के संदर्भ में कहा जा रहा है कि वह देश के एक बड़े उद्योग घराने में सेवा देने के लिए आईएफएस से इस्तीफा दिए हैं। वही इस्तीफा के कगार पर वर्तमान आईएफएस अफसर की राजनीति में जाने के आसार ज्यादा हैं। कहा जा रहा है कि राजधानी से लगे हुए इस सरकल के सीसीएफ साहब लगातार छुटटी में हैं। उनकी रुचि अब सरकारी सेवा में न के बराबर हैं। माना जा रहा है कि वह अपने गृह राज्य में जाकर राजनीति में प्रवेश कर सकते हैं। खैर अभी तक इस संदर्भ में कोई पुष्टि नहीं हो सकी है। लेकिन साहब के लगातार छुट्टी में रहने के कारण अब एक महिला आईएफएस अफसर को इस सरकल का प्रभार देने की तैयारी चल रही है।

छिकारा या राजू

राज्य सरकार का महत्वपूर्ण बोर्ड तकरीबन दो माह से प्रभार पर चल रहा है। यहां मनपसंद को लेकर मामला उलझ गया है, या यूँ कहें कि मन भटक गया है। दरअसल मामला छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल का है। जहां पर सदस्य सचिव के इस्तीफा के बाद नये पूर्णकालिक सदस्य सचिव की पदस्थापना अभी तक नहीं हो पाई है। कहते हैं कि इसमें विभागीय मंत्री का मन भटक गया है। वैसे तो इस पद में डॉ. रमन सिंह की सरकार के कार्यकाल से ही आईएफएस अफसरों की तैनाती की जाती रही है। कहा जाता है कि आईएफएस अफसर इस विभाग की कार्यप्रणाली को बेहतर ढंग से समझते हैं। शायद यही कारण है कि अन्य राज्यों में भी आईएफएस अफसरों को प्राथमिकता दी जाती है। लेकिन राज्य सरकार का मन अब भटक गया है। दरअसल इंजीनियरिंग बैकग्राउंट से आईएएस की सेवा में आए 2017 बैच के आईएएस अफसर आकाश छिकारा को छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मण्डल का नया सदस्य सचिव बनाया जा सकता है। वैसे छिकारा वर्तमान में इसी विभाग में उप सचिव का कार्यभार संभाल रहे हैं। वहीं दूसरी ओर रायपुर सीसीएफ 2006 बैच के आईएफएस राजू अगासिमानी का नाम भी नए सदस्य सचिव के रुप में सामने आया है। बहरहाल सरकार इस बोर्ड में पूर्व की भांति आईएफएस अफसर को प्राथमिकता देती है या फिर इस बार आईएएस को बोर्ड में बिठा कर नया प्रयोग किया जाएगा, इस पर स्थिति जल्द ही साफ हो जाएगी।

स्मार्ट सिटी के कारनामे

रायपुर स्मार्ट सिटी में जमकर अनियमितता के आरोप लगे। भाजपा के एक विधायक ने विपक्ष में रहते हुए समाचार पत्रों की कटिंग दिखाते हुए विधानसभा में कहा था कि तत्कालीन सीएस 30 बार बूढ़ातालाब का निरीक्षण करने जा चुके हैं। खैर बूढ़ातालाब के सौदर्यीकरण के आलावा भी स्मार्ट सिटी रायपुर पर कई गंभीर आरोप लगे हैं। कहा तो यह भी जाता है कि रायपुर स्मार्ट सिटी में पीआर का काम देख रही कंपनी के कम्प्यूटर आपरेटर को 75000 रुपये प्रतिमाह की मासिक सेलरी दी जाती रही है, खैर यह जांच का विषय है। दरअसल यह बात हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि कुछ दिन पहले स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत रायपुर में हुए कार्यों में अनियमितता को लेकर स्टीयरिंग कमेटी जांच करने पहुंची थी। इस कमेटी में वह विधायक भी मौजूद थे जिन्होंने कभी विपक्ष में रहते हुए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ जमकर आवाज बुलंद की थी। जांच समिति के सदस्यों और अधिकारियों ने सांइस कालेज के पास निर्मित चौपाटी, बूढ़ातालाब म्यूजिकल फांउटेन, जयस्तंभ चौक स्थित मल्टीलेवल पार्किग एवं बी पी पुजारी स्कूल आदि के तकनीति और गुणवत्ता संबंधी कार्यो का निरीक्षण किया है। कार्यों का निरीक्षण तो हो गया, पर कारनामों का खुलासा होगा कि नहीं यह तो निकट भविष्य में ही स्पष्ट हो सकेगा।

editor.pioneerraipur@gmail.com

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