हलचल… भूपेश की घेरेबंदी की तैयारी तो नहीं?

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भूपेश की घेरेबंदी की तैयारी तो नहीं?

राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में हर सीट पर मुकाबला दिन-प्रतिदिन रोचक होते जा रहा है। प्रदेश की सबसे हाई प्रोफाइल सीट पाटन में भाजपा सीएम भूपेश बघेल को घेरने की पूरी तैयारी में दिख रही है। भाजपा ने पहले ही बड़ा दांव चलकर पाटन विधानसभा क्षेत्र से सांसद विजय बघेल को मैदान में उतार दिया है। विजय बघेल ही एक ऐसे नेता हैं जिन्होंने सीएम भूपेश को एक दफा चुनाव में पटकनी दी थी, वहीं 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद महज 6 माह में विजय बघेल ने दुर्ग लोकसभा सीट पर 3,91,978 रिकार्ड मतों से जीत दर्ज की थी। अब एक बार फिर भूपेश और विजय बघेल आमने-सामने होंगे। इस बीच एक नया राजनीतिक समीकरण बनते दिखाई दे रहा है। खबर है कि पाटन सीट से छजकां प्रमुख अमित जोगी भी चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। हलांकि अभी तक इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। जानकारों का मानना है कि अमित जोगी पाटन के साथ-साथ एक और किसी सीट से भी चुनाव लड़ सकते हैं। पाटन विधानसभा क्षेत्र में कुर्मी, साहू, और एससी वोटरों की बहुलता है। दिवंगत नेता अजीत जोगी की राज्य के एससी वोटरों पर खासी पैठ रही है, यह बात किसी से छिपी नहीं है। पाटन विधानसभा क्षेत्र में भी स्व. अजीत जोगी राजनीतिक रुप से काफी सक्रिय रहे। अमित जोगी यह भली-भांति जानते हैं कि इस क्षेत्र में एससी वोटरों पर उनके द्वारा सेंध लगाई जा सकती है। अमित जोगी पिता की तस्वीर को आगे रखकर पाटन में भूपेश बघेल से दो-दो हाथ करने के मूड में दिख रहे हैं। वैसे भी सीएम भूपेश बघेल और जोगी परिवार के बीच राजनीतिक अदावत लंबे समय से चली आ रही है, इसलिए इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि अमित जोगी पाटन विधानसभा सीट से ताल ठोंककर मैदान में उतर जांए। भाजपा भी राजनीतिक लिहाज से यही चाह रही है। यदि ऐसा ही हुआ तो पाटन विधानसभा क्षेत्र महासमर में तब्दील हो जाएगा।

सरगुजा साफ-साफ, हाफ-हाफ?

कांग्रेस का 75 पार का दावा फिलहाल खोखला दिखाई देर रहा है। कांग्रेस कहां खड़ी है इसका अंदाजा सिंहदेव के उस बयान से लगाया जा सकता है, जिसमें वह पार्टी लाइन से हटकर साफ-साफ कहते नजर आ रहे हैं सरगुजा हाफ-हाफ। हलांकि उन्होंने यह भी कहा कि यदि समीकरण अच्छा फिट बैठा तब 11 सीटों तक यह आकड़ा पहुंच सकता है। आमतौर पर टीएस सिंहदेव एक ऐसे नेता हैं, जो बेबाकी से और तत्थात्मक बात ही जनता के सामने रखते हैं। चुनावी सवाल -जबाब को लेकर उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव का यह वीडियो चर्चा का विषय बना हुआ है। जिसमें वह कहते नजर आ रहे हैं कि हमने भी सर्वे कराये जिसमें उम्मीदवारों की एक अलग स्थिति है, और पार्टी की अलग स्थिति है। सिंहदेव ने साफ तौर पर इशारा किया यदि टिकट का वितरण ठीक हुआ तो आकड़ा 11 तक पहुंच सकता है। वहीं बुरी स्थिति में यह आकड़ा हाफ- हाफ तक पहुंचने की आशंका हैं। दरअसल में इस आकड़े के लिए कांग्रेस खुद ही जिम्मेदार है। 2018 के चुनाव परिणाम में सरगुजा की पूरी यानि की 14 की 14 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा रहा। उस समय सिंहदेव इस सम्भाग के सर्वमान्य नेता थे। लेकिन 2018 में कांग्रेस की सरकार बनते ही सरगुजा में सिंहदेव के कद को कम कर दिया गया। उनके समकक्ष एक और मंत्री अमरजीत भगत को खड़ा कर दिया गया। इस बीच उनके ही पार्टी के विधायकों ने सिंहदेव की जमकर फजीहत की। आमतौर पर सरल और शांत स्वभाव के सिंहदेव पर हत्या करवाने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए। लेकिन कांग्रेस पार्टी का डंडा नहीं चला। टीएस सिंहदेव उस दौर में घोर उपेक्षा से गुजर रहे थे, तब भी कांग्रेस पार्टी मूक बनी रही। बात यहां तक पहुंच गई कि सिंहदेव ने अपने एक मंत्रालय (पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग) से इस्तीफा दे दिया। पार्टी आलाकमान को यह बात देर से समझ आई कि सिंहदेव जैसे नेता की इतनी उपेक्षा ठीक नहीं, शायद इसीलिए उन्हें 3 माह के लिए डिप्टी सीएम बना दिया गया। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। फिलहाल सरगुजा साफ-साफ, हाफ-हाफ की ओर बढ़ चुका है।

सभी सीटों पर भाजपा की मुहर

भाजपा के चुनावी रणनीतिकार केन्द्रीय गृहमंत्री शाह की उपस्थिति में पूरे 90 सीटों के लिए प्रत्यासियों के नाम लगभग तय कर लिए गए हैं। जिसमें से 21 की सूची पहले ही जारी कर दी गई है। बाकी 21 से 25 प्रत्यासियों की सूची जल्द जारी हो सकती है। बकाया नाम कुछ दिनों बाद जारी किए जांएगे। शुक्रवार देर रात रायपुर पहुंचे अमित शाह ने अखिल भारतीय स्तर के संघ के पदाधिकारी अरुण कुमार, बीएल संतोष, पूर्णेन्दु सक्सेना समेत अन्य के साथ मंथन किये। उसके बाद कोर कमेटी की बैठक हुई, जिसमें लगभग सभी विधानसभा सीटों पर प्रत्यासियों के नाम पर मुहर लगने की खबर है। इस बीच यह बात छनकर सामने आई है कि सीनियर नेताओं के नाम की सूची सबसे लास्ट में जारी की जा सकती है। वैसे भी भाजपा छत्तीसगढ़ में लोकसभा की तर्ज पर 80 प्रतिशत नए चेहरे मैदान पर उतार रही है।

विधायक की पत्नि को टिकट

चुनावी संग्राम में दोनों ही पार्टियां दो-दो हाथ करते दिख रही हैं। विधानसभा चुनाव के बीच ईडी की जद में आये दो कांगे्रसी विधायकों की टिकट कटनी लगभग तय मानी जा रही है। जिसमें से एक विधायक के परिवार से टिकट देने की बात सामने निकलकर आई है। हांलाकि पार्टी फोरम में इस पर विचार होगा कि नहीं यह तो निकट भविष्य में पता चल जाएगा। लेकिन वर्तमान में यह कयास लगाया जा रहा है कि ईडी के जद में आये इन विधायकों पर कभी भी गिरफ्तारी की गाज गिर सकती है। चुनावी साल में कांग्रेस पार्टी अब भ्रष्टाचार से जुड़े और आरोपों में फजीहत नहीं कराना चाहती। इसलिए दुर्ग जिले के एक विधायक की पत्नि को टिकट देने की चर्चा इन दिनों जोरों पर है।

एनजीओ के हवाले विभाग

एक सीनियर आईएफएस की कार्यप्रणाली पर इन दिनों सवाल खड़े हो रहे हैं। दरअसल में साहब एक एनजीओ को 4500 रुपये प्रतिदिन भुगतान करके विभागीय काम करा रहे हैं। वैसे भी इन साहब की कुर्सी पर लगातार खतरा मंडराते रहा है। अब एनजीओ प्रेम की चर्चा इन दिनों सुर्खियां बटोर रही है। कहते है कि मुख्यालय के काम से पहले भी इस एनजीओ से साहब का खासा प्रेम रहा है। जिसके बदौलत एक महिला आईएफएस को 1.50 लाख का पेमेन्ट करने को कहा गया था। महिला अफसर ने 1.50 लाख तो नहीं, लेकिन 4500 रुपये का भुगतान करके रवाना कर दिया। अब साहब एनजीओ की इस महिला को 4500 रुपये प्रतिदिन भुगतान करके अपने केबिन में ही बैठा लिए हैं। जो सरकारी काम-काज में उनका हाथ बटाती हैं।

रानू की मां और अमितेश

आईएएस रानू साहू की मां विधानसभा चुनाव लडऩा चाह रही हैं, उन्होंने इसके लिए दावेदारी भी पेश की है। कथित कोल स्कैम मेें जेल में बंद आईएएस रानू साहू की माता लक्ष्मी साहू राजिम विधानसभा सीट से चुनाव लडऩे की इच्छुक हैं। उन्होंने कांग्रेस पार्टी की ओर से दावेदारी की है। रानू साहू की मां लक्ष्मी साहू वर्तमान में जिला पंचायत सदस्य हैं। हालांकि 2018 के चुनाव में कांग्रेस के अमितेश शुक्ल ने इस सीट पर रिकार्ड मतों से जीत हासिल की थी। लेकिन उस समय का चुनावी समीकरण कुछ और था, वर्तमान में साहू बाहुल्य इस निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा ने पहले ही साहू प्रत्यासी घोषित कर दिया है। हालांकि दूसरी ओर कांग्रेस ने अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं। लेकिन राजिम विधानसभा क्षेत्र में रानू की मां और अमितेश की जमकर चर्चा है।

भाजपा 20

2 सितम्बर को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और भाजपा के अमित शाह का राजधानी में बड़े आयोजन थे। इस दौरान प्रदेश के सभी समााचार पत्र विज्ञापनों से रंगे दिखे। सत्ता से बाहर होने के बावजूद ब्राडिंग और बजट में राज्य भाजपा कांग्रेस से 20 निकली। दरअसल में राहुल गांधी का 2 सितम्बर को नवा रायपुर में युवा मितान सम्मलेन था, जिसमें पीसीसी की ओर से हाफ पृष्ठ का विज्ञापन जारी किया गया। वहीं भाजपा ने राज्य के प्रमुख समाचार पत्रों में फुल पृष्ठ और जैकेट जारी कर कांग्रेस की प्रचार पालिसी को झटका दे दिया।

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