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निशाने पर पत्रकार ?
सुकमा के बार्डर में पत्रकारों के साथ घटी घटना बेहद ही निंदनीय है। आम जनता को सुरक्षा देने वाली पुलिस का एक अधिकारी पत्रकारों के गाड़ी में गांजा रखवाने का काम करता है। इस घटना को प्राथमिक रुप से सच माना जा सकता है, क्योंकि आरोपों के चलते सुशासन वाली विष्णु सरकार ने वहां के दागदार दरोगा को फिलहाल निलंबित कर दिया है। बहरहाल वास्तविकता का पता तो विस्तृत जांच के बाद ही चल सकेगा। लेकिन राज्य में पत्रकारों के खिलाफ लगातार घटनाएं सामने आ रही हैं। पत्रकारों की गाड़ी में गांजा रखवाने का प्रकरण ठंडा नहीं हुआ था कि भाटापारा में एक न्यूज चैनल में काम करने वाले पत्रकार ने स्थानीय विधायक के खिलाफ पुलिस अधीक्षक के समक्ष जान बचाने की गुहार लगाई है। टीवी पत्रकार ने आरोप लगाया है कि स्थानीय विधायक ने जान से मारने की धमकी दी है। पत्रकार का आरोप है कि उनकी फोटो दिखाकर कुछ लोगों द्वारा पूछताछ की जा रही है, धमकी के बाद से वह मानसिक रुप से परेशान हैं। कुल मिलाकार सप्ताह के भीतर इस तरह की यह दूसरी घटना है। सवाल यह उठता है कि आखिर पत्रकार ही निशाने पर क्यों हैं?
तो बाकी कार्यकर्ता सिर्फ झंडा उठाने के लिए ?
बृजमोहन अग्रवाल लगातार 35 वर्ष तक रायपुर दक्षिण से विधायक रहे, वह कई बार मंत्री रहे। भाजपा ने पहली बार हिम्मत करके बृजमोहन अग्रवाल से रायपुर दक्षिण सीट खाली करवाने में सफलता हासिल की। बृजमोहन अब रायपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं। व्यक्तिगत रुप से मैं बृजमोहन अग्रवाल के राजनीतिक तौर-तरीकों से काफी प्रभावित रहा हूं। लेकिन सवाल यह उठता है कि बाकी भाजपा कार्यकर्ता सिर्फ झंडे उठाने के लिए हैं? सोचिए बृजमोहन अग्रवाल के निर्वाचन क्षेत्र में यदि कोई 18 साल का युवा राजनीति में रुचि रखते हुए आगे बढ़ा होगा, तो उसकी उम्र आज 53 पार कर रही होगी, मतलब रायपुर दक्षिण के अनेकों भाजपा कार्यकर्ताओं का राजनीतिक सपना सिर्फ सपना बनकर रह गया। यहां एक विषय के दो पहलू हैं एक तरफ बृजमोहन अग्रवाल ने बीते इस 35 साल के दौरान राजनीति में नए-नए कीर्तिमान स्थापित किए, वहीं दूसरी तरफ रायपुर दक्षिण विधानसभा में भाजपा ने यहां के अन्य कार्यकर्ताओं से सिर्फ झंडे उठवाने का काम किया। बहरहाल बृजमोहन अग्रवाल को भाजपा ने दूसरी जगह सेट कर दिया है, अब वह राज्य की राजनीति से दूर दिल्ली का रुख कर चुके हैं। लेकिन कुछ ही दिनों में इस सीट में उपचुनाव होने हैं। ऐसे में यह माना जा रहा है कि बृजमोहन अग्रवाल के अति करीबी पूर्व सांसद सुनील सोनी को यहां से भाजपा टिकट देने जा रही हैं, हालांकि सांसद रहते हुए सुनील सोनी की उपलब्धि कुछ खास नहीं रही। लेकिन भाजपा के द्वारा सुनील सोनी को टिकट देना मतलब सांसदी के साथ ही अघोषित रुप से बृजमोहन को ही विधायकी सौंपना माना जाएगा। बहरहाल यदि ऐसा हुआ तो बाकी कार्यकर्ताओं से भाजपा आगे भी झंडा उठवाने का काम करवाती रहेगी?
सुधीर का दम
आमतौर पर सीनियर आईएफएस (पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ) सुधीर अग्रवाल के लिए उनके विभाग के अफसर कहते हैं कि उनमें दम नहीं है। उनके बारे यह क्यों कहा जाता है? यह तो सुधीर और उनके विभाग के अफसर ही जानेंगे। लेकिन सवाल यह उठता है कि वास्तव में सुधीर में दम नहीं है? शायद नहीं। यह बात अलग है कि सुधीर ने अब तक रास्ते सही नहीं चुने, लेकिन दम नहीं है यह कहना गलत होगा। क्योंकि सुधीर अग्रवाल ही एक ऐसे अफसर हैं जो हेड ऑफ फारेस्ट बनने के लिए पहले कैट का दरवाजा खटखटाया और अब वह हाईकोर्ट पहुंच चुके हैं। इसके साथ ही वह प्रमुख कुर्सी तक पहुंचने के लिए अब डिप्लोमेटिक रुप से भी दांव चलना शुरु कर दिए हैं। दरअसल में 12 अगस्त को विश्व हाथी दिवस के उपलक्ष्य में सुधीर नेे केन्द्रीय वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री से लेकर तमाम राज्यों के अफसरों का रायपुर में जमावाड़ा कर रखा था। हांलाकि इस कार्यक्रम को पहले हेड ऑफ फारेस्ट व्ही श्रीनिवास राव ने हाइजेक करने की कोशिश की, लेकिन बाद में सुधीर फिर दांव चलने में कामयाब हो गए। दरअसल में इस कार्यक्रम में हेड ऑफ फारेस्ट के नाते श्रीनिवास राव का भी स्पीच देना पहले से तय था, लेकिन ऐन टाइम में उनके नाम से परहेज किया गया। मतलब सुधीर के दांव से कार्यक्रम में राव को बोलने तक का अवसर नहीं दिया गया। जाहिर सी बात है कि इस आयोजन के द्वारा केन्द्रीय वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री, राज्य के मुख्यमंत्री और विभागीय मंत्री समेत तमाम राज्यों से आये अफसरों के सामने सुधीर दम दिखाने में कामयाब हो गए।
ओपी चौधरी के खिलाफ सुनियोजित षड्यंत्र तो नहीं?
इन दिनों एक बात सामान्य हो गई है, कुछ भी काम न हो उसके पीछे वित्त मंत्री ओपी चौधरी को अघोषित रुप से जिम्मेदार ठहरा दिया जा रहा है। महतारी वंदन योजना, धान और किसान को छोड़ दें, तो इसके अलावा अन्य योजनाएं और सरकारी काम एकदम धीमी गति से चल रहा है। धीमी गति काम से जनता के अन्दर सरकार के प्रति नाराजगी आना स्वाभाविक है। ऐसे में एक वर्ग धीरे से ओपी चौधरी के खिलाफ हवा छोडऩे का काम कर रहा है। कहा यह जा रहा है कि वित्त मंत्री विभागों को बजट के लिए लटकाते हैं, जिसके कारण सरकारी कामों में विलंब होता है। अब सच क्या है? यह तो वित्त मंत्री ओपी चौधरी ही जानेंगे। लेकिन ओपी चौधरी की राजनीतिक गति भाजपा के अन्दर भी नहीं पच पा रही है। ऐसे में वित्त मंत्री ओपी चौधरी के खिलाफ इस तरह की बातें प्रचारित होना सुनियोजित षड्यंत्र का हिस्सा तो नहीं है?
सरकार ने देवेन्द्र को हीरो बना दिया?
बलौदाबाजार आगजनी कांड छत्तीसगढ़ के माथे पर एक बड़ा दाग है। कमजोर खुफियातंत्र के कारण यह घटना घटित हुई। यदि पुलिस और प्रशासन ने तुरंत एक्सन लिया होता तो शायद यह घटना नहीं घटित होती। खैर मामले को लेकर भिलाई विधायक देवेन्द्र यादव पर गंभीर आरोप हैं। देवेन्द्र पर आरोप है कि उन्होंने भीड़ को उकसाने का काम किया है। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार भी कर लिया है। प्रशासनिक रुप से यह अच्छा निर्णय हो सकता है। लेकिन राजनीतिक रुप से देवेन्द्र यादव को भाजपा सरकार ने हीरो बना दिया है। दरअसल में देवेन्द्र यादव इस बार हुए विधानसभा चुनाव के दौरान हार की दहलीज पर खड़े थे, राज्य में कांग्रेस की सत्ता रहने के बावजूद वह महज 2000 वोटों से भिलाई से चुनाव जीतने में सफल हो पाये। लेकिन इस घटना और भाजपा सरकार के एक्सन से वह फिर हीरो बन गए हैं, जिसके वजह से प्रेमप्रकाश पांडे जैसे अनुभवी नेता का राजनीति भविष्य अधर में पड़ते दिख रहा है।
45 पन्नों की मोइली कमेटी की रिपोर्ट, खींचतान प्रमुख वजह
कहा जा रहा है कि मोइली कमेटी ने अपनी रिपोर्ट कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े को सौंप दी है। 45 पन्नों की इस रिपोर्ट में कांग्रेस के सत्ता से बाहर होने की प्रमुख वजह आपसी खींचतान मानी जा रही है, हालांकि अभी तक रिपोर्ट सामने नहीं आई है। ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री को लेकर कांग्रेस के अन्दरखाने में जमकर खींचतान मची थी। सम्भवत: इसीलिए कांग्रेस ने सरगुजा की 14 में से 14 सीटें गवां दी। कांग्रेस के शासनकाल में मुख्यमंत्री के रेस में रहे टीएस सिंहदेव भी चुनाव हार गए। इसके अलावा मंत्रियों का कार्यकर्ताओं के प्रति अच्छा व्यवहार नहीं रहा, जिसपर खुले तौर पर विरोध के बावजूद सुधार नहीं किया गया। आमजन को मंत्रियों का घंमड साफ तौर पर दिखने लगा था। गुटबाजी के कारण मंत्री मनमानी काम करने लगे थे। वहीं विधानसभा चुनाव के दौरान ऐन वक्त में भूपेश सरकार भ्रष्टाचार में घिर गई।
ब्राह्मण और बनिया पर दांव लगाने की तैयारी
रायपुर दक्षिण में होने वाले उपचुनाव को लेकर भाजपा ने जबाबदारी तय कर दी है। भाजपा की ओर से यहां शिवरतन शर्मा के साथ विष्णुदेव साय के विश्वस्थ मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल को चुनाव की जिम्मेदारी सौपी गई है। इस निर्वाचन क्षेत्र में व्यापारी वर्ग और ब्राह्मणों की बहुलता है। कहा जा रहा है कि यदि भाजपा किसी व्यापारी को टिकट देती है, तो कांग्रेस यहां से ब्राह्मण प्रत्याशी मैदान पर उतार सकती है। कुल मिलाकर यह उपचुनाव बृजमोहन से इतर ब्राह्मण और बनिया होने जा रहा है। भाजपा की ओर से प्रमुख दावेदार संजय श्रीवास्तव, सुनील सोनी, केदार गुप्ता समेत अन्य के नाम प्राथमिक रूप से सामने आए हैं। वहीं कांग्रेस ब्राह्मण प्रत्याशी पर जोर दे रही है। ब्राह्मण प्रत्याशी के रुप में पूर्व महापौर प्रमोद दुबे, और योग आयोग के अध्यक्ष रहे ज्ञानेश शर्मा का नाम प्रमुखता से सामने आ रहा है, वहीं कांग्रेस में व्यापारी वर्ग से सन्नी अग्रवाल और कन्हैया अग्रवाल के नाम की भी चर्चा है।
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