हलचल… सबको घर देने वाले साय बेघर?

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सबको घर देने वाले साय बेघर?

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भले ही सीएम पद की शपथ लेते ही गरीबों के आवास पर पहला निर्णय लिए हैं। गरीबों को जल्दी आवास मिले इस पर उन्होंने तत्परता दिखाई है, लेकिन वह खुद अब तक बेघर हैं। उन्हें घर कब मिलेगा कोई कुछ नहीं बता पा रहा है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को सरकारी आवास मिल चुका है, डॉ. मोहन यादव ने राजधानी भोपाल स्थित सरकारी आवास से काम-काज भी शुरू कर चुके हैं। वहीं विष्णुदेव साय को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री पद की शपथ लिए तकरीबन 2 माह होने को है, लेकिन अभी तक उन्हें सरकारी निवास नहीं मिल पाया है। साय मेहमान बनकर रेस्ट हाउस पहुंना से ही सरकारी कामकाज का संचालन कर रहे हैं। वह रायपुर रहेंगे या नया रायपुर यह तो बाद का विषय है, फिलहाल साय मुख्यमंत्री रहकर भी बेघर हैं।

पहली बार करंट से बाघ की मौत

छत्तीसगढ़ में बेजुबान वन्यप्राणियों के दिन ठीक नहीं चल रहे। जब इनके संरक्षण की जिम्मेदारी जिन कंधों में है, वहीं दोषियों को बचाने मे लग जाए तो भला दिन ठीक चलेंगे भी कैसे? एक-एक करके वन्यप्राणियों की मौत हो रही है। छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार बाघ की मौत करंट से हो गई। क्यों हुई? कैसे हुई? कहां का बाघ है? यह सब तो जांच का विषय है। लेकिन मौत छत्तीसगढ़ की जमीन पर हुई है। इतिहास के पन्नों में यह दर्ज हो चुका है। यहां अभी तक करंट से हाथी ही मरते थे, अब बाघ भी मरने लगे। इस दौरान एक और घटना सामने आई है, जिसमें हाथी के 12 तुकड़े बरामद हुए हैं। वाइल्ड लाइफ का सिस्टम कैसे चल रहा, सवाल तो उठेंगे ही? 17 चौसिंगाओं की मौत में दोषियों को बचाने जांच रिपोर्ट दबा दी गई। जिन्हें वन्य जीवों के सरंक्षण के लिए बैठाया गया है, वह दोषियों के सरंक्षण में डूबे हुए हैं। ऐसे में वन्यप्राणियों को कौन बचाएगा।

राहुल की घर वापसी

आईपीएस राहुल भगत की घर वापसी हो गई है। दरअसल में राहुल भगत सीएम विष्णुदेव साय के कारीबी और विश्वस्थ अफसरों में से एक हैं। विष्णुदेव साय जब केन्द्रीय मंत्री थे। राहुल भगत को उनका सचिव बनाया गया था। उस दरमयान डॉ. रमन सिंह राज्य के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। साय की मांग पर रमन ने राहुल को उनके पास भेज दिया था। विष्णुदेव साय जब से मुख्यमंत्री बने हैं, तब से यह चर्चा थी कि आईपीएस राहुल भगत को बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है, जिस पर सरकार ने मुहर लगा दी। अब राहुल भगत की घर वापसी हो गई है। वह मुख्यमंत्री साय के सचिव बन गए हैं।

हिमांशु या अरुणदेव

राज्य में नए डीजीपी को लेकर अभी भी कयास जारी है। इस रेस से फिलहाल राजेश मिश्रा बाहर हो चुके हैं। हालांकि राज्य सराकर ने मिश्रा को संविदा नियुक्ति दे दी है। राजेश मिश्रा को क्या जिम्मेदारी दी जाएगी, इसके लिए अलग से आदेश जारी होंगे। वहीं दूसरी ओर अभी भी नए डीजीपी को लेकर कश्मकश की स्थिति बनी हुई है। इस बीच में डीजीपी के लिए शांत स्वभाव के अफसर हिमांशु गुप्ता का भी नाम सामने आया है। हिमांशु भूपेश सरकार के शुरुआती में कुछ दिनों के लिए खुफिया चीफ रहे, बाद में हिमांशु को हटाकर आनन्द छाबड़ा को यह जिम्मेदारी दे दी गई थी। अब एक बार फिर डीजीपी के लिए अरुणदेव गौतम साथ हिमांशु गुप्ता के नाम की भी चर्चा है। किस पर मुहर लगेगी फिलहाल कुछ कहा नहीं जा सकता।

गुल्लू कौन है भाई?

एक पूर्व मंत्री के यहां आयकर का छापा पड़ते ही चारों ओर हड़कंप मचा हुआ है। मंत्री जी के यहां छापा की चर्चा कम, गुल्लू की चर्चा इन दिनों खूब हैं। कहते हैं कि आयकर की टीम इस गुल्लू को खोज रही है। सच क्या है यह तो आयकर के अफसर और गुल्लू ही जानेंगे, लेकिन इस बीच मंत्री जी का गुल्लू को गरियाते हुए एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा है, जिसमें लोग खूब चटकारे ले रहे हैं। कहते हैं कि ये गुल्लू भले ही मंत्री जी की हजारों गालियां खाई हों, पर राज यहीं दफन हैं। शायद इसीलिए आयकर की टीम गुल्लू को खोज रही है।

महंगी सोसायटियों से तौबा

राज्य में ईडी और आईटी के छापों के बाद से महंगी सोसायटियों से लोग इन दिनों तौबा करते दिख रहे हैं। रायपुर शहर बड़े महानगरों से भी आगे निकलते हुए दिखाई दे रहा है। सबसे पहले विधानसभा रोड़ में एक महंगी सोसायटी बनी जिसमें शहर के अधिकतम धनाढ्य लोगों ने बंगला खरीद लिया। अब तो उससे भी महंगे 5 करोड़ से 10 करोड़ तक के बंगले रायपुर में बिक रहे हैं। शहर के चारों ओर इन चर्चित सोसायटियों की होर्डिंग लगाई गई हैं। होर्डिंग में विज्ञापन देख ग्राहक कम, ईडी और आईटी के अफसर ज्यादा पहुंच रहे। जाहिर सी बात है इतने महंगे इन बंगलों में वही वर्ग रहेगा, जिसे ईडी और आईटी को तलाश रहती है। शायद इसीलिए छत्तीसगढ़ में लगातार छापामार कार्रवाई के बाद इन मंहगी सोसाटियों में ग्राहकी घट गई है।

संविदा कर्मचारी का आयुष्मान में बड़ा खेल

केन्द्र तथा राज्य सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने लगातार प्रयास कर रहे हैं। शायद इसी के चलते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने छत्तीसगढ़ के बीजापुर से आयुष्मान भारत योजना का शुभारंभ भी किया था। लेकिन पीएम मोदी के सपनों को सकार होने में विभाग के कुछ संविदा कर्मचारी पानी फेर रहे हैं। दरअसल में छत्तीसगढ़ में आयुष्ममान भारत योजना की पूरी जिम्मेदारी संविदा कर्मचारियों के कंधे में डाल दी गई है। कहते हैं कि एक महिला संविदा कर्मचारी मनमर्जी तरीके से अस्पतालों की अघोषित पेशी लगाती हैं। बात न जमने पर उनके बिलों को रिजैक्ट कर दिया जता है, या लटका दिया जाता हैै। शायद इसी के चलते राज्य के हर छोटे से बड़े अस्पताल का इस योजना में भुगतान नहीं हो पा रहा है। हालात यह हो गई है कि जिन अस्पतालों का टोटल बजट ही 7 करोड़ से 10 करोड़ है, उनके भी 1-2 करोड़ जाम हो गए हैं। एक तरफ सरकारी पैसा जाम और दूसरी तरफ बैंक लोन की ईएमआई। इन दिनों अस्पताल संचालकों के लिए सरदर्द बन गई है। आयुष्मान भारत योजना में एक महिला संविदा कर्मचारी के द्वारा बड़ा खेल किया जा रहा हैै। यदि ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं कि जब अस्पतालों में ताला लगना चालू हो जाएंगे।

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