हलचल… हेलो-हेलो….

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हवा के रुख में बदलाव तो नहीं?

7 मई को तीसरे चरण का मतदान होने जा रहा है। इसमें छत्तीसगढ़ की शेष 7 सीटों के लिए मतदान सम्पन्न हो जाएगा। पहले चरण में बस्तर के लिए मतदान किया गया। वहीं दूसरे चरण में राजनांदगांव, कांकेर और महासमुंद लोकसभा के लिए मतदान हुआ। दूसरे चरण के मतदान सम्पन्न होने के बाद बिलासपुर, जांजगीर, सरगुजा, कोरबा और दुर्ग जैसी सीटों में भी मतदाता खमोश होते दिख रहे हैं। हवा के रुख में पहले की अपेक्षा बदलाव देखा जा रहा है, इसके मायने क्या हैं? इस पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। मतदाता खामोश हैं इसलिए परिणाम क्या होंगे इस भी टिप्पणी करना अभी जल्दबाजी होगी। आम तौर पर मतदाता के खामोश रहने से सत्ता पक्ष की चिंता बढ़ जाती है, लेकिन यहां ऐसा भी नहीं है सीएम विष्णुदेव साय समेत तमाम भाजपा नेता 11 की 11 सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं। पीएम मोदी के करिश्माई जादू में यह सम्भव भी हो सकता हैं। वहीं रुपयों का लालच भी अब सर चढ़कर बोलने लगा है। बीते विधानसभा चुनाव में राज्य की महिलाओं ने आर्थिक मजबूती के लिए, मतलब 1000 रुपये प्रतिमाह पाने के लिए भूपेश सरकार की विदाई कर दी थी। अब कांग्रेस ने 1 हजार नहीं बल्कि 1 लाख रुपये सलाना देने का वादा किया है। इसका मतदाताओं पर कितना असर होगा फिलहाल कुछ कहा नहीं जा सकता। लेकिन यह बात जरुर कही जा सकती है कि पहले चरण के मतदान के पूर्व जहां छत्तीसगढ़ में भाजपा की स्थिति मजबूत और कांग्रेस की स्थिति बेहद कमजोर थी, अब हालात वैसे नहीं हैं। कांग्रेसी प्रत्याशी भी जातीय समीकरण को साधने में सफल होते दिख रहे हैं। जातीय समीकरणों के चलते वोटों के धु्रवीकरण से भी इनकार नहीं किया जा सकता।

सरोज की बारी

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जो कह दिया वही इन दिनों भाजपा का संविधान है। विधानसभा चुनाव के पहले उन्होंने ओपी चौधरी को लेकर कहा था कि ओपी चौधरी को जिताइये हम इन्हें बड़ा आदमी बनाएंगे। शाह के कहने पर रायगढ़ की जनता ने ओपी चौधरी को विधानसभा चुनाव जिता दिया। शाह ने भी अपना वायदे अनुसार ओपी चौधरी को बड़ा आदमी बना दिया। ओपी वर्तमान में विष्णुदेव सरकार में केबिनेट मंत्री हैं। वित्त विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई है। अब यही बात अमित शाह ने कोरबा से भाजपा प्रत्याशी सरोज पाण्डेय के लिए कही है। शाह ने चुनावी सभा में खुले तौर पर कहा है कि विकास के लिए हमारे प्रत्याशी को बड़ा बनाइए। दरअसल में सरोज पांडे वर्तमान में भी बड़ी नेत्री हैं, फिर अमित शाह के द्वारा सरोज को बड़ा बनाने का मतलब क्या है? कहीं अमित शाह का मतलब ओपी चौधरी की तरह सरोज पांडे को भी मंत्री बनाने से तो नहीं है? क्योंकि सरोज पांडे विधायक रहीं, महापौर रहीं, सांसद रहीं, राष्ट्रीय महामंत्री रहीं, राज्य प्रवक्ता हैं यही नहीं सरोज महाराष्ट्र की प्रभारी भी रह चुकी हैं। इसके बाद भी अब सरोज को कितना बड़ा बनाया जा सकता है। कुल मिलाकर शाह के बयान से यह कहा जा सकता है कि यदि सरोज कोरबा से चुनाव जीतकर आती हैं, और देश में मोदी सरकार की वापसी होती है तो उनका मंत्रीमंडल में स्थान लगभग तय है।

एक और रिटायर्ड आईएएस के भाजपा प्रवेश की चर्चा

कहते हैं कि भाजपा सरकार में अफसर बड़े कम्फर्ट रहते हैं। यह नजारा अब सरकार से बाहर निकलकर पार्टी में भी दिखने लगा है। शायद यही कारण है कि कहीं रिटायरमेन्ट के बाद, तो कही सेवा से त्यागपत्र देकर अफसरों में भाजपा प्रवेश की होड़ लगी हुई है। इस सूची में ओपी चौधरी, नीलकंठ टेकाम, शिशुपाल शोरी, एसएसडी बडग़ैयां, राकेश चतुर्वेर्दी, समेत अफसरों की लंबी सूची है। ओपी, राकेश, बडग़ैयां, टेकाम और शिशुपाल की रुचि समाज सेवा में रही है यह माना जा सकता है। वह सेवाकाल के दौरान भी समाजिक और जनहित के कार्यों को प्राथमिकता देते रहे हैं। लेकिन अब एक ऐसे रिटायर्ड आईएएस अफसर के भाजपा प्रवेश की चर्चा है, जिसके नाम को सुनकर लोग आश्चर्य में पड़ गए हैं। खैर यह अफवाह है कि सच यह तो आने वाले दिनों में ही स्पष्ट हो सकेगा। यह रिटायर्ड आईएएस भूपेश सरकार में काफी महत्पूर्ण रहे, भाजपा के एक कद्दावर नेता के भी बेहद करीबी माने जाते हैं। एक खास आयोग के चेयरमेन का कार्यकाल पूरे होते ही भूपेश सरकार ने इनके लिए एक और नया आयोग बनाकर चाबी सौंप दिया था। रमन सरकार में भी शीर्ष पदों पर यह विराजमान रहे। यह बात अलग हैं कि रमन सरकार के दौरान इनके पॉवर सीज थे। उस टाइम सारे निर्णय सिविल लाइन्स स्थित एक सरकारी कार्यालय से लिए जाते थे। अब वो भी अपने गले में भाजपा का गमछा डाले कहीं मिल जाएं तो इसमें आश्चर्य मत करियेगा।

खेड़ा का बखेड़ा

कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता रहीं राधिका खेड़ा इन दिनों जमकर चर्चा में है। खेड़ा ने मामूली विवाद पर बखेड़ा खड़ा कर दिया। यह बखेड़ा इतना बढ़ गया कि खेड़ा ने अपना इस्तीफा सौंप दिया। खैर इस्तीफा के पीछे का मकसद कुछ और है या फिर बखेड़ा में ही खेड़ा ने इस्तीफा दे दिया इसका खुलासा अभी तक नहीं हो पाया है। दरअसल में राधिका ऐसे ही चर्चे में नहीं आईं उन्हें दिल्ली से जादा सम्भावनाएं छत्तीसगढ़ में दिख रही हैं। कांग्रेस की सरकार रहते हुए राज्य के पर्यटन उन्हें खूब भाए। शायद इसीलिए उन्होंने पर्यटन के चक्कर भी खूब लगाए। पर्यटन ही नहीं राधिका ने कांग्रेस की सरकार रहते हुए नया रायपुर में खूब संवाद किया। खैर पर्यटन में उन्हें क्या-क्या और कितना देखने को मिला, संवाद से उन्होंने कितना ज्ञान अर्जित किया, यह तो राधिका ही जानेंगीं। लेकिन अब कांग्रेस की सरकार जा चुकी है। नवा रायपुर भी तप रहा है, गर्मी की वजह से पर्यटन की भी पूछ परख कम है। कहते हैं कि वीडियोग्राफी ने ही खेड़ा को यहां लाया अब वीडियो ने ही खेड़ा के लिए बखेड़ा खड़ा कर दिया। कुल मिलाकर वीडियो और वीडियोग्राफी से खेड़ा का पुराना नाता है। कभी तीजा, पोरा मनाने मायके (छत्तीसगढ़ के सीएम हाऊस) आने वाली राधिका खेड़ा, अब यहीं की होकर रह गईं हैं? निश्चित ही राधिका को दिल्ली से ज्यादा छत्तीसगढ़ में संभावनाएं दिख रही हैं। फिलहाल उन्होंने दुशील पर गंभीर आरोप लगाए हैं। अब दुशील और सुशील में क्या समानताएं हैं? कका कौन हैं? यह सब तो जांच का विषय है। एआईसीसी ने इसके लिए जबाब सुनिश्चत करने को कहा था, पीसीसी चीफ बैज के जबाब भेजने से पूर्व ही खेड़ा ने बखेड़ा कर अपना इस्तीफा सौंप दिया।

लोकसभा चुनाव के बाद एक बार फिर सर्जरी

लोकसभा चुनाव के बाद एक बार फिर बड़ी प्रशासनिक सर्जरी की तैयारी है। इसमें बड़े स्तर के अधिकारी प्रभावित हो सकते हैं। सीएम साय के बीते कार्यकाल में अफसरों के परफारमेंस का मुल्याकंन कर उपर स्तर से यह फैसले लिए जा सकते हैं। जिसमें आईएएस, आईपीएस और आईएफएस स्तर के अफसर प्रभावित होंगे। राज्य में सरकार बदलने के बाद भी डीजीपी सहित कई विभाग प्रमुखों को नहीं बदला गया। हालांकि जुनेजा को एक सुलझा हुआ अफसर माना जाता है, इसके साथ ही रिटायरमेन्ट के कारण कुछ हद तक उनकी कुर्सी बच गई। वहीं इस दौरान केन्द्र से कई आईएएस अफसरों की छत्तीसगढ़ वापसी हो चुकी है। जो अपनी अच्छी पोष्टिंग की जुगत में है। इसलिए चुनाव सम्पन्न होने के बाद बड़ी सर्जरी से इंकार नहीं किया जा सकता।

हेलो-हेलो….

वैसे तो टेलीकॉम कंपनी और इनके अधिकारियों का काम हेलो-हेलो करना होता है। लेकिन छत्तीसगढ़ राज्य में हेलो-हेलो वाले अधिकारी सभी काम करने में माहिर हैं। टेलीकॉम विभाग के अफसरों ने छत्तीसगढ़ में बड़े कारनामे किए। एपी त्रिपाठी शराब घोटाले में जेल की हवा खा रहे हैं। अब टेलीफोन विभाग के अफसर मनोज सोनी भी सलाखों के पीछे पहुंच चुके हैं। कभी दुर्ग में टेलीफोन के तार से गुजारा करने वाले एपी त्रिपाठी पर करोड़ों के शराब घोटाले के आरोप हैं। वहीं अब मार्कफेड के एमडी रहे सोनी ने भी अपनी जगह ढूंढ़ ली है। राज्य में चावल, शराब और खनिज में जमकर कारनामें किए गए। जिसकी परत-दरपरत खुलते जा रही है। कहते हैं कि यह सिलसिला यहीं नहीं रुकने वाला लोकसभा चुनाव के बाद राडार पर चल रहे और अफसरों पर भी ईडी की गाज गिर सकती है। अब ईडी की कार्यवाही को देखते हुए सरकारें हेलो-हेलो विभाग के अफसरों से किनारा करने का मन बना लिया है। हालांकि एपी त्रिपाठी और मनोज सोनी को पूर्व की भाजपा सरकार में ही खोजा गया था। भूपेश सरकार में इनके हेलो-हेलो का जादू चल गया। हेलो-हेलो करके चावल और शराब में धांधली कर दी गई।

editor.pioneerraipur@gmail.com

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