बाराद्वार में श्रीमद भागवत अष्टोत्तर सहस्त्र (1008) सप्ताह कथा ज्ञान यज्ञ का भव्य आयोजन,निकली भव्य शोभयात्रा, दूसरे दिन की कथा में श्रोताओ की उमड़ी भीड़

छत्तीसगढ़ की पावन भूमि पर प्रथम बार 25 दिसम्बर 2022 से 01 जनवरी तक होंगा कथा कार्यक्रम

सक्ती-जिला – सक्ती अंतर्गत बाराद्वार नगर में श्री राधा मदन मोहन मंदिर स्थापना के 51 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में मटरू सेठ ब्रिक्स प्लांट जैजैपुर रोड बाराद्वार में भव्य और विशाल भागवत जी की शोभायात्रा के साथ आरंभ हुआ, शोभायात्रा में सर्वप्रथम ताशा बजाने वाले एवं उसके बाद क्रमशः बेनर लिए भक्त कर्मा बैण्ड 1100 ब्राम्हण हाथो में धर्म ध्वजा पताका लिए हुए थे, उनके पीछे-पीछे सौभाग्यवती स्त्रियां शीश पर मंगल कलश लिए चल रही थी, जिनके मध्य सक्ती का महशूर राजू बैण्ड धार्मिक भजनो की धून बजाते चल रहा था, मधुर मधुर धुनों पर स्त्रियां नृत्य करती, पुष्प वर्षा करती चल रही थी, ठीक इनके पीछे मथुरा का प्रसिध्द बैण्ड आनंद बैण्ड भजनो की मधुर धुन के साथ मीठी-मीठी आवाज में भजन गा रहा था जो भक्तो के भी प्रमुख आर्कषण का केन्द्र बना हुआ था

सभी महिला/ पुरूष भक्त जो भारत वर्ष के विभिन्न प्रांतो व शहरों से आए हुए थे तथा छत्तीसगढ के विभिन्न शहर ग्रामों से आए सभी भक्त भी नृत्य कर रहे थे संपूर्ण बाराद्वार भक्तिमय तीर्थस्थल जैसा लग रहा था, सभी घर से भागवत जी की पोथी पर एवं पूज्य गुरूदेव गोस्वामी श्री गोविंद बाबा जी पर पुष्प वर्षा कर रहे रहे थे, साथ शोभा यात्रा में चल रहे थे, पुज्य गुरूदेव गोस्वामी गोविंद बाबा के चार पुत्र आचार्य बांके बिहारी गोस्वामी, आचार्य ब्रन्दावन बिहारी गोस्वामी,आचार्य राजकुमार गोस्वामी आचार्य पवन कृष्ण गोस्वामी एवं पूज्य गुरूदेव के पुत्र चिरंजीव पीयुष गोस्वामी, चिरंजीव अंशुमान गोस्वामी चिरंजीव अक्षय गोस्वामी चिरंजीव नमन गोस्वामी तथा बाराद्वार के नगर वासी अपने को धन्यमान कर विशाल यज्ञ के बाराद्वार में आयोजित होने पर शोभा यात्रा मोदी चौक से नेहरू चौक होते हुए मुख्य मार्ग से बस स्टैण्ड वहां से आइस फैक्ट्री मार्ग से होते हुए अग्रसेन मार्ग से मोदी चौक होते हुए पुनः नेहरू चौक होते हुए जैजैपुर चौक से कथा स्थल मटरू सेठ ब्रिक्स प्लांट परिसर में पहुंची, जहां सभी बाराद्वार वासी भागवत यजमानो एवं विभिन्न शहर ग्राम/ प्रांतो से आए भागवत कथा के यजमानो ने अपने नाम गोत्र से अपनी-अपनी मनोकामना की पूर्ती के लिए संकल्प दिया,एवम बाम्हण पूजन किया गया तथा भागवत जी की आरती के साथ कथा आरंभ हुई। जहां सुंदर भव्य व्यासपीठ को ब्रज के अंर्तगत कुसुम सरोवर की आकृति के रूप में सजाया गया के मध्य ब्यास गद्दी पर विराजमान पुज्य गुरूदेव गोस्वामी गोंविंद बाबा (भागवत मर्मज्ञ) द्वारा अपनी रसमयी वाणी में संगीतबध्द रूप से मंगला चरण करते हुए भागवत जी का महात्मय वर्णन किया एवं पुज्य गुरूदेव द्वारा भागवत कथा को प्रेत पीडा का निवारण करने पाली एवं करोड़ो जन्मो के सूर्य उदय होने पर श्रवण करने का अवसर प्रदान करने वाली है जो साक्षात ज्ञान वैराग एवं भक्ती त्रिवेणी हो जिसमें भागवत कथा रूपी गंगा में स्नान कर जीव अपने जाने अनजाने के पापो का प्रश्चित कर भगवान की भक्ती को प्राप्त कर लेता है

गोस्वामी गोविंद बाबा ने कहा कि भागवत कथा के श्रवण करने से ह्रदय में भगवान की अनुभुति होने लगती हैं। यही प्राणी मात्र का जन्मो उपरांत का मुख्य लक्ष्य होना चाहिए कि वह भागवत ज्ञान को प्राप्त कर अपनी जीवन को कृतार्थ करे,प्रथम दिवस की कथा अंर्तर्गत भक्ती नारद संवाद,नारद सनकारिक संवाद, अंतर्गत भागवत को सदा सेवन करने योग्य महिमा का वर्णन करते हुए पुज्य गुरूदेव द्वारा सूतस्वर्णक संवाद की कथा के साथ बिदुर संवाद, भगवान की बाल लीलाओ की कथा, परम धाम गमन की कथा, उध्दव द्वारा बिदूर को वर्णन, बिदूर जी का नैमी सारण में मैत्री मूनी से दिव्यज्ञान प्राप्त करना, भागवान के नमी कमल से ब्रम्हा की उत्तपत्ती, भागवान की इच्छा से ब्रम्हा जी द्वारा श्रष्टि ब्रधिका प्रयत्न करना तथा भगवान का ब्रम्हा जी को दर्शन देना एवं संपूर्ण भागवत का ज्ञान चार श्लोक में प्रदान करना, चतुष श्लोकी भागवत के ज्ञान से ब्रम्हा द्वारा सृष्टि की वृध्दि करना,अपनी अंगो से भ्रगु मरीज वशिष्ट आदि की उत्पत्ति करने का वर्णन किया गया, साथ ही भागवान के विराट स्वरूप में संपूर्ण जगत का व्याप्त होने का प्रसंग भी बड़े भाव पूर्ण रूप से वर्णन किया गया

व्यास गद्दी से परम पुज्य गुरूदेव गोस्वामी गोविंद बाबा जी द्वारा भगवत कथा रसपान कराते हुए बीच-बीच में सुमधुर संगीत के साथ भगवान का भजन गाकर उपस्थित भक्त जनों को मत्रमुक्ध कर नृत्य करने के विवश कर दिया सभी जय-जय का उदघोष कर रही थी वही व्यासपीठ से पूज्य गुरूदेव आगे का प्रसंग वर्णन करते हुए नारद युधिठिर संवाद के प्रसंग अंर्तगत उन्नचास मरूदगवो की कथा तथा संकादिक मुनियो द्वारा भगवान के पार्षद जय-विजयो को तीन जन्मो तक राक्षस योनि मे जन्म का श्राप देना, संबंधित कथा वर्णन की गयी एवं प्रथम जन्म में जय-विजय का हिरण्याक्ष और हिण्या कश्यप के रूप में कश्यप मुनी की पत्नी दिति से जन्म संबंध कथा श्रवण कराते हुए भगवान वराह द्वारा पृथ्वी के उध्दार के लिए हिरण्याक्ष का वध करने का संबंधी कथा का वर्णन किया एवं कथा यज्ञ के भव्य एवं विशाल आयोजन की संपुर्ण व्यवस्था और कार्यवाही को स्वंय आचार्य बांके बिहारी गोस्वामी एवं उनके अनुज भाता आचार्य पथकृष्ण गोस्वामी देख रहे है और उनके साथ ही बाराद्वार निवासी शिष्य एवं भक्तगण पूर्ण तन-मन से सभी आगंतुको का अभिवादन सत्कार कार्य करते हुए यज्ञ संबंधी कार्यों को पुर्ण करने में मनो योग से लगे हुए है

जिनमें प्रमुख रूप से पुजा यजमान के रूप में सुभाष अग्रवाल खरसिया, पवन बगडिया कलकतता, मदन गर्ग खरसिया, नटवर जिंदल, आकाश जिंदल, राजा जिंदल बाराद्वार, योगेश पोद्दार कलकत्ता वाले, नित्य पुजा के यजमान रहेंगे, साथ ही 1100 पोथियों के लगभग 450 के करीब यजमान गण नित्य प्रतिदिन 50 से 70 की संख्या में 7 दिनो तक एक-एक दिन पूजा करेंगे, कथा के प्रथम दिवस शोभा यात्रा तथा कथा समय में प्रमुख रूप से कमल गर्ग पुर्व नगर पालिका अध्यक्ष खरसिया, एवं श्रीमद् भागवत सामुहिक यज्ञ समिति के सदस्यगण विष्णु जिंदल,ओमप्रकाश केडिया, कैलाश अग्रवाल जैजैपुर वाले, सतीष जिंदल, मनीष सिघांनिया मोनू, कंचन शर्मा, जयकिशन केडिया, उत्तम अग्रवाल, नटवर गर्ग लालू, मदन गर्ग के साथ बाराद्वार के गणमान्य नागरिक ओमप्रकाश अग्रवाल एसटी, नटवर जिंदल, गिरवर जिंदल, महावीर अग्रवाल पीबी, राधेश्याम अग्रवाल, मोहन मित्तल, नरेश जिंदल, आकाश जिंदल, राजा जिंदल, विकास जिंदल, पवन मोदी आनंद मोदी, कैलाश बंसल, दिनेश शर्मा अन्नपूर्णा एवम अन्य शहरो व प्रांतो से आए पवन बगडिया, कमल चौधरी, पवन चोखानी, विजय रुंगटा कलकत्ता, सांवर जी अग्रवाल, पवन अग्रवाल राउरकेला, सौरभ रायका भिलाई, विनोद जिंदल, गोंविद सिघानिया, घनश्याम जिंदल विष्णु मित्तल बाराद्वार, प्रकाश गोयल, पवन गोयल, हरचंद गोयल सक्ती, राजु गोयल दर्री कोरबा, विनोद सिंघानिया जमनीपाली योगेश अग्रवाल, सुरेश जिंदल, सुभाष खंडेलवाल, डी पी पटिया, पवन चोखानी, हर्ष पोद्दार, दीपक शर्राफ, जितेन्द्र गोयल, जीतु एवं हजारो की संख्या में भक्तों की उपस्थिति रही

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