नई मछुआ नीति की बहस में अपने को भागीदार बनाने पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर और मुख्यमंत्री से पिछड़ा वर्ग सलाहकार मंडल के पूर्व सदस्य डॉ. शांति कुमार ने आग्रह किया है

शिवरीनारायण – छत्तीसगढ़ शासन के पूर्व मंत्री एवं कुरूद विधानसभा क्षेत्र के विधायक अजय चंद्राकर ने नई मछुआ नीति को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को बहस के लिए चुनौती दी है। जिसे राज्य पिछड़ा वर्ग सलाहकार मंडल के पूर्व सदस्य डॉ. शांति कुमार कैवर्त्य ने अजय चंद्राकर के बहस करने की चुनौती को मुख्यमंत्री से स्वीकार करने का आग्रह करते हुए खुले मंच पर अतिशीघ्र बहस करने का निवेदन किया है। मछुआ समाज जातीय वर्ग हितार्थ संबंधित होने के कारण मछुआ समाज के लोगों के लिए यह काफी महत्वपूर्ण मुद्दा है। इसे दृष्टिगत रखते हुए डॉ.कैवर्त्य ने मछुआ समाज के एक अंश स्वरूप इस बहस में भागीदारी के लिए मुख्यमंत्री और पूर्व मंत्री को पत्र लिखा है और इस बहस में उन्हें भी शामिल करने के लिए चुनौती दी है।
उन्होंने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि 18 फरवरी 2008 में सप्रे शाला मैदान रायपुर में छत्तीसगढ़ मछुआ महासंघ की विशाल व ऐतिहासिक जनसभा के दौरान मंच पर ही प्रदेश के तत्कालीन कैबिनेट मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के संबोधन के दौरान उनसे इसी मुद्दे विशेषकर मछुआ समाज की योजना पर डॉ. कैवर्त्य की बहस हो चुकी है। और जैसा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 10 जुलाई 2022 को छत्तीसगढ़ निषाद (केवट) प्रदेश संगठन के पदाधिकारियों के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान कहा था कि मछुआ समाज की योजनाओं का लाभ आप लोगों को लेना चाहिए। लेकिन मछुआ समाज के लिए कौन-कौन सी योजनाएं हैं, मुख्यमंत्री ने इन योजनाओं में किसी भी योजना के नाम नाम का उल्लेख नहीं किए। डॉ. कैवर्त्य ने मछुआ समाज को अब तक उनके हक अधिकार नहीं मिलने से वर्तमान में समाज की दिशा और दशा पर अपना पक्ष रखने के लिए इस बहस में भागीदारी चाही है।
उन्होंने मुख्यमंत्री को संबोधित अपने पत्र में उल्लेख किया है जिसमें इस नई मछुआ नीति सहित 36 मुद्दों की मांग हेतु जुलाई 2022 के छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान मुख्यमंत्री व शासन- प्रशासन के ध्यानाकर्षण हेतु छत्तीसगढ़ की धर्म धरा शिवरीनारायण में एकल धरना प्रदर्शन, जल सत्याग्रह व पदयात्रा जैसे आंदोलन करने हेतु अनुविभागीय अधिकारी जांजगीर-चांपा के मार्फत जांजगीर- चांपा जिला दंडाधिकारी को उसने शपथपत्र सहित इसकी अनुमति के लिए आवेदन पत्र प्रस्तुत किये साथ ही रायपुर के अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी के मार्फत जिला दंडाधिकारी रायपुर में भी आवेदन प्रस्तुत किये थे। प्रदेश की राजधानी रायपुर के आयोजन में इन्होंने एकल धरना प्रदर्शन, जल सत्याग्रह व पदयात्रा-जिसमें मुख्य आयोजन छत्तीसगढ़ के स्वतंत्रता संग्राम के प्रथम शहीद वीर नारायण सिंह के शहादत स्थल की पवित्र मिट्टी को प्रणाम कर जयस्तंभ चौक रायपुर से विधानसभा भवन तक पदयात्रा कर मुख्यमंत्री के समक्ष इन सभी बिंदुओं पर चर्चा कर इसकी समाधान हेतु ज्ञापन सौंपना था।लेकिन जांजगीर-चांपा के सक्षम अधिकारियों के द्वारा न तो इन्हें शिवरीनारायण में आयोजन की अनुमति दी गई और न ही रायपुर के अधिकारियों के द्वारा दी गई। बिलासपुर में भी ऐसे आयोजन के लिए इन्होंने अपने एक सहयोगी को आवेदन व शपथ पत्र के साथ बिलासपुर भेजा। लेकिन वहां के अधिकारियों ने आवेदन-पत्र लेने से ही इनकार कर दिये।
यहां तक शासन के निर्धारित आवेदन पत्र में इनके द्वारा दर्शित आंदोलन के अनुमति की स्वीकृति या अस्वीकृति के संबंध में भी इन्हें न तो जांजगीर-चांपा के अधिकारियों ने कोई सूचना दी और न ही रायपुर के अधिकारियों ने ही। जबकि संबंधित अधिकारियों द्वारा अनुमति देने अथवा नहीं देने के निर्णय से संबंधितों को सूचित किए जाने के शासन के निर्देश का कड़ाई से पालन किए जाने का प्रावधान है।


डॉ. कैवर्त्य ने मुख्यमंत्री से इन निर्देशों का पालन नहीं करने वाले जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्यवाही करने का आग्रह किया है। पुलिस प्रशासन, आईबी और सीबीआई के अधिकारियों ने इन आयोजनों को लेकर डां.कैवर्त्य से संपर्क साधे रहे। लेकिन आवेदन पत्र में दर्शित आयोजन करने हेतु किसी से कोई भी सूचना नहीं मिलने पर इन्होंने एसडीएम शिवरीनारायण को राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम आवश्यक कार्यवाही व समाधान हेतु इन 36 मुद्दों का ज्ञापन सौंपा। इसके पूर्व भी इन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तथा तत्कालीन प्रतिपक्ष के नेता धरमलाल कौशिक को इन 36 मुद्दों की ज्ञापन भेजी थी। जिसे इस पत्र के साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर को भेजी गई है।
इन 36 मुद्दों में मुख्य रूप से रामचंद्र जी की माता कौशल्या की जन्मभूमि-कोसला और आदिवासी भीलनी माता शबरी की जन्मभूमि- शिवरीनारायण की धार्मिक पर्यटन के विकास हेतु केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी ” प्रसाद-योजना ” में शामिल कराने हेतु छत्तीसगढ़ शासन का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजने, अनियमित, संविदा, दैनिक वेतन भोगी कर्मियों को रिक्त पदों पर नियमितीकरण करने, शासकीय महाविद्यालयों में सहायक प्राध्यापकों की नई नियुक्ति से प्रभावित अतिथि व्याख्याताओं की पुनर्नियुक्ति कर इनके नियमितीकरण करने, एससी/ एसटी आरक्षण की भांति मछुआ समाज जातीय वर्ग को आरक्षण देने की गई मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की घोषणा को लागू कराने के लिए संविधान के प्रावधानों एवं माननीय उच्चतम न्यायालय के द्वारा तय आरक्षण सीमा के तहत ही आरक्षित वर्गों के कोटे का पुनः निर्धारण करते हुए मछुआ समाज के जातियों की जनसंख्या के औसत अनुसार उचित आरक्षण का प्रावधान कर शासन की राजपत्र में अध्यादेश जारी कराने, प्रदेश में शराब की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने,भू- माफियाओं पर अंकुश लगाने तथा कॉलोनाइजर एक्ट की कड़ाई से पालन कराने, बेरोजगारों को 25000 मासिक भुगतान करने,भोगहापारा (शिवरीनारायण) की बिक्री की गई कोटवारी सेवा भूमि की पंजीयन रद्द करने, धार्मिक मास्टर प्लान बनाकर माता कौशल्या की जन्मभूमि-कोसला का योजना बद्ध विकास कराने, प्रदेश के जलाशयों व रेत खदानों को मछुआ समाज जातीय वर्ग के लिए आरक्षित करने, किसानों के 2 वर्ष का बकाया बोनस राशि का भुगतान करने, प्रत्येक परिवार को प्रतिमाह 35 किलो चावल 1 की दर से प्रदान करने, विधवाओं को 1000 तथा वरिष्ठ नागरिकों को आयु अनुसार 1000 से 1500 तक प्रतिमाह पेंशन, छत्तीसगढ़ की राजधानी का नाम माता कौशल्या की जन्मभूमि- कोसला के नाम पर कोसलापुरी करने तथा प्रदेश का नाम पुरातन पावन दक्षिण-कौशल के नाम से रखने का प्रस्ताव केंद्र को भेजने, माता शबरी-जन्मभूमि मठ-फुलवारी शिवरीनारायण में माता शबरी का भव्य मंदिर बनवाने, फरवरी 2020 में शिवरीनारायण के नटराज चौक स्थित महादेव की नटराज प्रतिमा को ढहाने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करते हुए रामघाट के पास विराजित श्री राम जी की भव्य प्रतिमा को उपेक्षित कर लोगों की आस्था को चोट पहुंचा रहे नगर पंचायत परिषद शिवरीनारायण को भंग करने, वीरांगना माता बिलासा देवी की जन्म-भूमि न्यायधानी बिलासपुर में माता बिलासा का भव्य स्मारक निर्माण कराने व यहां प्रतिवर्ष तीन दिवसीय बिलासा मेला का आयोजन

   

कराने, शिवरीनारायण में शासकीय महाविद्यालय व स्वामी आत्माराम अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलने, जांजगीर-चांपा जिले का मेडिकल कॉलेज शिवरीनारायण में खोलने, मछुआ समाज जातीय वर्ग का जनसंख्या गणना कराने,शहरी क्षेत्रों में संपत्ति का 50% तक कम करने, अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति छात्रावास की भांति प्रदेश के प्रत्येक जिला, ब्लाक व तहसील में मछुआ समाज जातीय वर्ग छात्रावास की स्थापना करने, शिवरीनारायण के सबरी सेतु में भारी वाहनों व आवागमन के दबाव को कम करने के लिए शिवरीनारायण बैराज के नीचे श्री राम सेतु के नाम से उच्चस्तरीय सेतु का निर्माण करने तथा लक्ष्मणेश्वर धाम खरौद के जल घाट पर बनने वाले सेतु का नामकरण श्री राम जी के अनुज लक्ष्मण जी के नाम पर लक्ष्मण-सेतु रखने, उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के दुर्घटना में कृषकों के परिजनों को दिए आर्थिक सहायता राशि की भांति छत्तीसगढ़ के आत्महत्या करने वाले / दुर्घटना से मृत किसानों को भी 50 लाख राशि की आर्थिक मदद करने आदि मुद्दों पर भी इस बहस के दौरान मुख्यमंत्री से चर्चा कर समाधान की अपेक्षा की गई है।
बता दें कि छत्तीसगढ़ विधानसभा मानसून-सत्र जुलाई 2022 के दौरान कुछ विधायकों ने इन मुद्दों में अनियमित, संविदा, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के नियमितीकरण, भू- माफिया जैसे मुद्दे विधानसभा के सदन पटल पर रखे और सदन में इस पर जोरदार बहस भी हुई है। सदन में बहस के दौरान तत्कालीन प्रतिपक्ष के नेता धरम लाल कौशिक , विधायक अजय चंद्राकर , बृजमोहन अग्रवाल , शिव रतन शर्मा आदि की विशेष भागीदारी रही है। वही शराबबंदी के मुद्दे को विधायक रंजना दीपेंद्र साहू ने सदन पटल पर रखा।
इसके अतिरिक्त सदन के बाहर अनियमित,संविदा ,दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियमितीकरण करने, बेरोजगारों को 2500 मासिक भुगतान करने, शासकीय महाविद्यालयों में अतिथि व्याख्याताओं की नियुक्ति संबंधी मामले आदि मुद्दे पर धरना प्रदर्शन, मुख्यमंत्री निवास घेराव आदि आंदोलन पिछले दिनों प्रदेश के अनियमित कर्मचारियों , अतिथि व्याख्याताओं व युवकों ने की।

मुख्यमंत्री को लिखा पत्र में डॉ. कैवर्त्य का यह भी सवाल…

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कहते हैं कि मुख्यमंत्री से जनता सवाल कर सकती है। इस पर डॉ.शांति कुमार कैवर्त्य ने मुख्यमंत्री को संबोधित अपने पत्र में इन मुद्दों को लेकर आगामी शीतकालीन सत्र के दौरान यही आयोजन करने के लिए मुख्यमंत्री से सवाल किया है,क्या इसकी अनुमति मिलेगी हैं? इसके लिए क्या वे संबंधित अधिकारियों को निर्देशित करेंगे? डॉ. शांति कुमार कैवर्त्य ने मुख्यमंत्री से यह भी सवाल किया है कि मछुआ समाज के लिए मुख्यमंत्री द्वारा की गई मछुआ आरक्षण और नई मछुआ पालन नीति में मछुआ से तात्पर्य मछुआ समाज के जातियों को प्रतिस्थापित कर नई मछुआ पालन नीति कब लागू करेंगे और कब तक अनियमित, संविदा, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों सहित शासकीय महाविद्यालयों में प्रभावित/अप्रभावित अतिथि व्याख्याताओं की नियमितीकरण करेंगे?

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