गणेश चतुर्थी के दिन भूल से भी न करें चंद्र दर्शन

गणेश उत्सव की शुरुआत 10 सितम्बर से होने वाली है। यह पर्व हिंदू धर्म शास्त्रों में सबसे अहम होता है हालाँकि इस दिन चंद्रमा का दर्शन नहीं करना चाहिए। कहते है कि यदि गणेश चतुर्थी को अर्थात भादो के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को चांद का दर्शन कर लिया जाए तो लोगों पर झूठे आरोप लगते हैं। यह एक मान्यता है। इसके पीछे एक कथा है जो आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

पौराणिक कथा – एक बार भगवान श्रीगणेश जी माता पार्वती के आदेशानुसार घर के मुख्य द्वार पर पहरा दे रहे थे। तभी भगवान शिव वहां आए और अंदर जाने लगे। इस पर गणेश भगवान ने मनाकर दिया और उन्हें घर के अंदर जाने से रोक दिया। तब महादेव ने गुस्से में आकर भगवान गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया।

इतने पर देवी माता पार्वती जी वहां आ गईं। उन्होंने भगवान शिव जी से कहा कि यह आपने क्या अनर्थ कर दिया, ये तो पुत्र गणेश हैं। आप इन्हें पुनः जीवित करें। तब भगवान शिव ने गणेश जी को गजानन मुख देकर नया जीवन दिया। इस पर सभी देवता गजानन को आशीर्वाद दे रहे थे, परंतु चंद्र देव इन्हें देखकर मुस्करा रहे थे। चंद्रदेव का यह उपहास गणेश जी को अच्छा न लगा और वे क्रोध में आकर चंद्रदेव को हमेशा के लिए काले होने का शाप दे दिया।

श्राप के प्रभाव से चंद्र देव की सुंदरता खत्म हो गई और वे काले हो गए। तब चंद्र देव को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने गणेश जी से क्षमा मांगी। तब गणपति ने कहा कि अब आप पूरे माह में केवल एक बार अपनी पूर्ण कलाओं में आ सकेंगे। यही कारण है कि पूर्णिमा के दिन ही चंद्रमा अपनी समस्त कलाओं से युक्त होते हैं।

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