उच्चाधिकारियों के आदेश के बावजूद भी प्राचार्य ने अतिथि व्याख्याताओं की नियुक्ति अधर में लटकाया: कार्यवाही की मांग

कालेजों में प्राध्यापकों की कमी से छात्रों की पढ़ाई बाधित

शिवरीनारायण –– प्रदेश के शासकीय महाविघालयों में शिक्षण सत्र 2022-23 के लिए छात्रों का प्रवेश हो चुका है और पढ़ाई भी प्रारंभ हो गयी है लेकिन कई शासकीय महाविघालयों में विभिन्न विषयों के सहायक प्राध्यापक और प्रोफेसर के पद रिक्त होने कारण छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।इसे मद्देनजर रखते हुए छ.ग. शासन के उच्च शिक्षा विभाग के अवर सचिव ने वित्त विभाग के सहमति पश्चात 29/08/2022 को अपने पत्र क्र.एफ 3-54/2022/ 38-1 के माध्यम से अपने अधीनस्थ उच्च अधिकारियों को प्रदेश के शासकीय महाविघालयों में सहायक प्राध्यापक एवं प्रोफेसर के रिक्त पदों के विरुद्ध गत वर्षों की भांति स्वीकृत दर एवं मापदण्ड़ पर शिक्षण सत्र 2022-23 के लिए इन महाविघालयों में अतिथि व्याख्याताओं की व्यवस्था कराने आदेश जारी किया है। फलस्वरूप पिछले शिक्षा सत्र के दौरान अप्रभावित अतिथि व्याख्याताओं को हाई कोर्ट बिलासपुर के स्थगन आदेश के अनुसार प्रदेश के विभिन्न शासकीय महाविद्यालयों में प्राचार्यों द्वारा सहायक प्राध्यापक एवं प्रोफेसर के रिक्त पदों के विरुद्ध अतिथि व्याख्याताओं की नियुक्ति 1 सितंबर 2022 से की जा रही है। शासकीय लक्ष्मणेश्वर महाविद्यालय खरौद जिला जांजगीर चांपा में पिछले वर्ष अध्यापनरत् अतिथि व्याख्याता अश्वनी केशरवानी और विकास दुबे ने बताया कि वे लोग इस महाविद्यालय में विगत दस वर्षों से अतिथि व्याख्याता के रूप में सेवा दे रहे हैं और उन्हे शिक्षण सत्र 2018-19 से उच्च न्यायालय बिलासपुर से अतिथि व्याख्याता के पदों पर कार्य करने स्थगन आदेश प्राप्त है। इन लोगों ने शिक्षण सत्र 2022-23 के लिए अतिथि व्याख्याता की नियुक्ति व पदभार ग्रहण कर अध्यापन कार्य हेतु 1 सितम्बर 2022 को महाविघालय गये थे लेकिन महाविघालय के प्रभारी प्राचार्य डाॅ. सी. बी. खूंटे ने आदेश स्पष्ट नहीं होने की बात कह कर इन्हें कार्यभार ग्रहण नहीं कराया। इन लोगों के द्वारा प्रभारी प्राचार्य को अवगत कराया कि आसपास के महाविद्यालयों में 1 तारीख से अतिथि व्याख्याताओं को कार्यभार दिया जा रहा है उसके बावजूद भी वह पदभार भी देने से इनकार कर दिये। आसपास व दूरदराज जैसे शासकीय महाविद्यालय कसडोल,सोनाखान ,बिल्हा,बलरामपुर आदि के प्राचार्यों के द्वारा अतिथि व्याख्याताओं की नियुक्ति 1 सितंबर को की गई है।

  
राज्य पिछड़ा वर्ग सलाहकार मंडल छत्तीसगढ़ शासन रायपुर के पूर्व सदस्य डाॅ. शांति कुमार कैवर्त्य का कहना है कि जब से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी है तब से राज्य में अतिथि व्याख्याता की नियुक्त समय पर नहीं हो रहा है प्रतिवर्ष अतिथि व्याख्याताओं को नियुक्ति पाने के लिए आंदोलन का सहारा लेना पड़ रहा है। इस शिक्षण सत्र में भी आंदोलन के बाद और नया शिक्षा सत्र प्रारंभ होने के 2 महीने बाद अतिथि व्याख्याताओं की नियुक्ति आदेश के पश्चात भी शासकीय लक्ष्मेश्वर महाविद्यालय खरौद जैसे महाविद्यालय में यह आलम निश्चित ही प्रभार ग्रहण करने वाले अतिथि व्याख्याताओं को न केवल मानसिक चोट पहुंचाने वाली है ,बल्कि छात्रों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है।


डॉ. कैवर्त्य ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से मुख्यमंत्री और उच्च शिक्षा मंत्री को इन अव्यवस्थाओं पर तत्काल संज्ञान लेकर इन गैर जिम्मेदार प्राचार्यों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने का आग्रह किया है ताकि समय पर इन अतिथि व्याख्याताओं की नियुक्ति हो और अध्यापन कार्य सुचारू रूप से चल सके। उन्होंने मंत्रीद्वय से नियमित सहायक अध्यापकों की पदस्थापना से प्रभावित अतिथि व्याख्याताओं की भी यथा समय नियुक्ति करने की मांग की है ताकि उन्हें आर्थिक परेशानियों से का सामना करना न पड़े।
राज्य पिछड़ा वर्ग सलाहकार मंडल के पूर्व सदस्य डॉ. कैवर्त्य ने जिन महाविद्यालयों में स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर के विभिन्न विषयों पर लंबे समय से जन भागीदारी के तहत अध्यापन कार्य की व्यवस्था की जाती है।इन्हीं विषयों पर सहायक अध्यापक/ प्राध्यापक पद स्वीकृत कर इन पदों के विरुद्ध प्रभावित अतिथि व्याख्याताओं की नियुक्ति किया जाना न्याय हित में उचित होगा।

शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *