तिल्दा नेवरा भू-माफियाओं के बढ़ते कदम तिल्दा-नेवरा क्षेत्र में खासा चर्चा का विषय बन गया है । एक तरफ शासन प्रशासन भूमाफियाओं पर लगाम कसने की बात कह रही है ,वहीं इसके विपरीत दुसरी ओर भूमाफियाओं का हौसला बुलंद होता नजर आ रहा है । प्रशासन भी इस मसले से बेचैन नजर आ रहे हैं, चुंकि यहां पर देखा जा रहा है कि संबंधित अधिकारी भी दो मुही तलवार के मध्य काम करने को मजबुर नजर आ रहे है। सूत्रो का माने तो अतिक्रमणकारियों पर प्रशासन की बुलडोजर चलने के पहले राजनीतिक गलियारो से एक ऐसी ताकत का रोड़ा सामने आ जा रहा है।जो प्रशासन के कार्यों में हस्तक्षेप करने में बाज नहीं आ रहे हैं। नतीजतन तिल्दा-नेवरा नगर में भूमाफियाओं का बोल बोला दिख रहा है। यही नहीं शासकीय जमीनो में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण की खबरें नगर में चर्चा का विषय बन गया है। बताया जा रहा है कि भूमाफिया कहीं ना कहीं अपने आप को सत्ता धारी पार्टी के करीबी बताकर शासकीय जमीनों का दोहन करने में लगे हुए। इस खेल में छुटभैय्या नेताओ का दबाव भी माना जा रहा है। हद तो यहां तक पार कर गई कि नियमानुसार जनहित हेतु मांगी गई सुरक्षित भूमि पर भी नेताओं का वरदहस्त होने का हवाला देकर कब्जा करने में जरा भी कुरेज नहीं किया जा रहा है। बीते दिन तिल्दा से सिमगा मार्ग पर पत्रकारों के भवन हेतु शासन से सुरक्षित भूमि पर मांग पत्र का जो मामला न्यायालय में लंबित है। उस भूमि पर ही कथित भाजपा के सिपलहरो के द्वारा कब्जा करने के नीयत से हमला बोल दिया गया। लोकतंत्र के चौथा स्तंभ को भी छुटभैय्या नेताओ के द्वारा नहीं बक्शा जा रहा है ,तो अन्य समाज का क्या बिसात? जानकारी में आया है कि कुछ लोग राजनीति पांवर के दुरूपयोग कर बड़े पैमाने पर शासकीय जमीन पर कब्जा जमाये बैठे हुए हैं । इसके अलावा भूमाफियाओं को भी संरक्षण देने का खेल खेला जा रहा है।