बालोद- सरकारी अमले की सख्ती के बावजूद भूमाफिया तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर अवैध कॉलोनियां काटने से बाज नहीं आ रहे हैं। ताजा मामला बालोद नगर पालिका क्षेत्र अंतर्गत पाररास मुक्तिधाम के पास वाली जमीन पर बन रही कॉलोनी का है। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (टीएंडसीपी) से बगैर परमिशन लिए विकसित की जा रही कॉलोनी का प्रवेश मार्ग खरखरा नहर नाली तरफ से है। इसे बनाने में कॉलोनाइजर ने जो तिकड़म भिड़ाई है वह चौंकाने वाली है। पहले सरकारी नहर में पानी निकासी के लिए सीमेंट का पाइप डाला। उस पर कॉलोनाइजर ने पक्की पुलिया बना डाली। जिससे आसपास के रहवासी खासे नाराज हैं।
नाले पर पुलिया बनाने के लिए ऐसे भिड़ाई तिकड़म-
दरअसल प्लाटिंग एरिया में जाने के लिए सिर्फ सरकारी नाला था इसलिए भूमाफिया ने पहले उसमे सीमेंट का पाइप डाला। जिसके बाद वार्डवासी और किसानों ने आपत्ति जताई। जिस पर संबंधित विभाग के द्वारा नहर से अतिक्रमण हटाने नोटिस भी जारी हुआ। बावजूद इसके राजनीतिक रसूख और विभागीय मिलीभगत से भूमाफिया ने सरकारी नहर में पुलिया बना ली।
टी आकार के 112 प्लाॅट काटे हैं-
कृषि भूमि में बन रही अवैध कॉलोनी के भूखंडों के सौदे भी 4 लाख रुपए डिसमिल की ऊंची कीमत पर हो रहे हैं। वह भी कच्चे नक्शे के आधार पर। 5.47 एकड़ की कुल कृषि भूमि में करीब 172063.21 स्क्वेयर फीट में बन रही कॉलोनी में टी आकार के लगभग 112 प्लाॅट काटे गए हैं। फिलहाल इन्हें एंग्रीमेंट के आधार पर बेचा और खरीदा जा रहा है। दशकों पुराने नहर नाले को पाटकर भू माफिया से मिलीभगत के आरोप लगने के बाद अब प्रशासनिक अधिकारी डैमेज कंट्रोल में लगे हैं।
भूमाफिया का दुस्साहस, आपत्ति फिर भी बना डाली पुलिया-
आइए तो पहले जानिए इस स्थान और पुलिया के बारे में। नगर पालिका बालोद क्षेत्रान्तर्गत वार्ड क्रमांक 20 पाररास मुक्तिधाम से लगे खरखरा सरकारी नाले से नहर का पानी छोड़कर किसान अपनी फसलों को सींचते हैं। तकरीबन दो-तीन माह पूर्व भूमाफिया ने नाले से लगी आसपास की कृषि भूमि को सस्ते दामो में खरीदकर प्लाटिंग करने की नियत से नाले को अवैध रूप से पाटा और पुलिया बना दी। शिक़ायत के बावजूद भू माफिया ने उस नाले को पाटकर अवैध रूप से पुलिया बना डाली। फसलों की सिंचाई बाधित होने की आशंका से किसानों में आक्रोश है। पिछले कई दिनों से किसान लगातार शिकायत कर रहे है बावजूद इसके प्रशासन की नींद नही टूट रही है।
नहीं लिया लाइसेंस-
नियमानुसार निजी भूमि पर कालोनी का निर्माण कराने से पहले लाइसेंस लेना पड़ता है। कालोनाइजर को संबंधित नगर पालिका से डायवर्सन के लिए एनओसी लेना होता है। कालोनाइजर को ट्रांसफार्मर, पानी, सड़क का निर्माण कराना होगा। पार्क के लिए भूमि आरक्षित रखनी होगी। टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग से भी कालोनी निर्माण के लिए अनुमति लेनी होगी। एक एकड़ से कम क्षेत्र में कालोनी बनाई जा रही है तो पालिका में वर्तमान रेट का 15 प्रतिशत आश्रय शुल्क जमा करना पड़ता है, अगर एक एकड़ से ज्यादा जमीन है तो एयर डिस्टेंस दो किमी के भीतर ईडब्ल्यूएस बनाने के लिए जमीन छोड़नी पड़ती है।
औपचारिकता पूरी नहीं कर रहे-
कृषि योग्य भूमि को प्लाट के रूप में विकसित कर खरीदी बिक्री के लिए नियमानुसार डायवर्सन करना पड़ता है। एक से अधिक प्लाट काटने के बाद नियमानुसार कॉलोनाइजर एक्ट के तहत सभी औपचारिकता पूरी करने के बाद उसकी खरीदी बिक्री होनी चाहिए। लेकिन बिना पंजीयन के ही न केवल आवासीय कालोनी की तैयारी हैं बल्कि खेत खलिहान को भी आवास के रूप में धड़ल्ले से अवैध प्लाटिंग तक कर रहे हैं।
गोलमाल जवाब दे रहे अधिकारी:
दशकों पुराने नाले को भी भू माफिया ने जमीनों की प्लाटिंग के चक्कर में पाटकर पुलिया बना दी। अब ग्रामीण खुलकर आरोप लगा रहे कि शासन प्रशासन शह पर ऐसा किया जा रहा है। The Think Media ने इस मामले को प्रमुखता से लेकर जब सिंचाई विभाग के ईई टीएस वर्मा से बात की तो उनका कहना था कि मुझे कोई जानकारी नही तो वही एसी दिनेश धिगरोंनियाँ से बात हुई तो उन्होंने कहा कि नवम्बर 2022 से मुझे प्रभार मिला है, मुझे भी इस बात की जानकारी नही। मेरे बालोद दौरे के दौरान बताना।