बालोद- सूबे के मुखिया भूपेश बघेल और परिवहन मंत्री मो. अकबर की मंशा पर आरटीओ विभाग पानी फेर रहा हैं। इनके निर्देश और आमजनों को दी जाने वाली सुविधा जिले में बेअसर है। यहां अपने काम के लिए जनता को आज भी दलालों का सहारा लेना पड़ रहा है। ड्राइविंग लाइसेंस, परमिट, लाइसेंस का नवीनीकरण कराना हो या फिर वाहनों का रजिस्ट्रेशन, बिना दलालों के यहां कुछ भी संभव नहीं है। दलालों के लिए बदनाम आरटीओ विभाग में दलालों का बोलबाला हैं। ग्राम पाकुरभाट स्तिथ जिला परिवहन कार्यालय में सुबह दफ्तर खुलते ही दफ्तर के आसपास दर्जनों की संख्या में दलाल मंडराने लगते हैं। कईयों ने ठीक सामने ही दुकान सजा रखी हैं। इन दलालों का संपर्क सीधे संबंधित बाबुओं व आरटीओ से रहता है। यदि जनता सीधे अधिकारियों के पास जाती है तो उन्हें डाट-फटकार कर भगा दिया जाता है। या काम को पेचीदा बताकर काम करने में देरी की जाती हैं। लेकिन वही दलालों के संपर्क से काम चंद घन्टो में हो जाता हैं। हालांकि निर्धारित तय शुल्क से डेढ़ से तीन गुना राशि अतिरिक्त देनी होती है। लेकिन काम कुछ घन्टो में हो ही जाता हैं। यहां यह कहना गलत नही होगा कि जिले का आरटीओ विभाग भ्रष्टाचार की गर्त में डूब चुका है। यहां के बाबू से लेकर अधिकारी ने अच्छी खासी दुकानदारी खोल कर रखी हैं। हर काम में कमीशन और अवैध वसूली के खेल में ऊपरी कमाई कर ये मालामाल हो रहे हैं। बताया जाता है विभाग के एक बाबू ने तो ऊपरी कमाई से कई जमीनों के टुकड़े भी ले रखे हुए हैं। ऊपरी कमाई से अच्ची खासी आय अर्जित कर ली हैं।
परमिट, फिटनेस व लायसेंस के नाम पर लूट-
आरटीओ में अब आनलाइन सिस्टम होने के बाद भी दलालों के बगैर कोई काम नहीं होता। आरटीओ कार्यालय में लायसेंस बनाने व रिनेवल कराने से लेकर बसों एवं अन्य वाहनों के परमिट व फिटनेस देने तथा नाम परिवर्तन में जमकर लूट मची है। बाहरी जिले के वाहनों में भी फिटनेस का खेल यहां जमकर चल रहा हैं। वही सूत्र बताते है कि बाहरी जिलों के वाहनों का फिटनेस कार्य जिले में बंद है, बावजूद अन्य जिलों से आने वाले वाहनों का फिटनेस काम यहां किया जाता हैं। वो भी तय शुल्क से अधिक और ऊपर का पैसा लेकर। इस मामले में अधिकारी से अन्य जिलों के वाहनों का फिटनेस करने सम्बन्धी आदेश दिखाने कहा गया, तो उन्होंने न कहकर पल्ला झाड़ दिया। यह भी देखा गया है, की बिना पैसे दिए काम नहीं होता। यहां हर काम दलालों पर चल रहा है। फिटनेस के लिए शुल्क के अलावा भी वाहन मालिकों से रकम मांगे जा रहे हैं। स्पेशल परिमिट के लिए तो बगैर चढ़ावे के बात ही नहीं बनती। दफ्तर में परिवहन विभाग के कर्मचारी सिर्फ कार्यालयीन कार्य में ही लगाए गए। जबकि लायसेंस, फिटनेस से लेकर वाहन मालिकों से जुड़े कार्यो के लिए दलाल लोग तैनात हैं। इतना ही नहीं तमाम प्रोसेस आनलाइन होने के बाद भी दलालों की सक्रियता पहले की तरह बनी हुई है।
ऑनलाइन प्रोसेस जटिल-
ऑनलाइन प्रोसेस इतनी जटिल है कि आम आदमी इससे दूर भागता है। ऑनलाइन होने से घर बैठे अपना काम करवा सकते है। यह दावा सिर्फ सरकारी बनकर रह गया है। इससे परेशान उपभोक्ताओं को मजबूरी में ऑनलाइन प्रक्रिया से काम ना कर एजेंट के माध्यम से काम करवाना ही आसान लगता है। ऑनलाइन प्रक्रिया में नाना प्रकार के सवाल पूछे जाते है। इन सब कारणों से लोग ऑनलाइन प्रक्रिया नहीं अपनाते साथ ही काम भी देरी से होता है। एजेंट हाथों-हाथ काम करा लेता है। और इसमे विभाग के बाबू और अधिकारी की सहभागिता होती हैं।
कही भी सड़क किनारे या एनएच पर सजती है दुकान-
जिला परिवहन विभाग के अधिकारी कर्मचारी या उड़नदस्ता की टीम कही भी कभी भी सड़क किनारे या नेशनल हाईवे-30 पर अपनी दुकान खोल बैठ जाते है। आने जाने वाले वाहनों से दस्तावेज चेकिंग के नाम पर कुछ न कुछ कमी बताकर तय शुल्क से अधिक जुर्माना लेते है। चालानी कार्यवाही और जुर्माने के नाम पर अनाप शनाप वसूली की जाती हैं। कई मामलों में तो चालानी कार्यवाही नही की जाती है। अधिकारी-कर्मचारी सीधे माण्डवली कर अपनी जेब गर्म कर लेते हैं।
दलालों का आज भी दबदबा-
आरटीओ कार्यालय में भले ही सभी कार्य अब आनलाइन होने का दावा किया जा रहा हो बावजूद आज भी वहां हर काम के लिए दलाल सक्रिय हैं। लायसेंस बनवाने व नवीनीकरण कराने के लिए भी लोगों को दलालों का ही सहारा लेना पड़ता है। समय की कमी व छोटे-छोटे कामों के लिए भी बार-बार की दौड़ और लंबा इंतजार के चलते लोग दलालों के माध्यम से ही इस तरह के काम करवाने मजबूर हैं। हालाकि दलाल भी अब सारा प्रोसेस आनलाइन ही करते हैं लेकिन उनके माध्यम से काम एक तय समय में हो जाने का आधार बन जाता है। इसका दलाल भी फायदा उठाते है और काम के लिए तय शुल्क का तीन गुना वसूलते हैं। जिसकी मुख्य वजह है इनकी अधिकारियों से साठगांठ।