14 अप्रैल को जन्म जयंती पर संविधान निर्माता, समाज सुधारक डॉक्टर भीमराव अंबेडकर-( एक आलेख

सक्ती-डॉक्टर बी आर अंबेडकर अर्थात डॉक्टर भीमराव राम जी अंबेडकर जो कि संविधान निर्माता के नाम से विख्यात है का जन्म 14 अप्रैल सन 1891 को मध्य प्रदेश के महू नामक जिले में हुआ था। जन्म से वे मूलतः मराठी थे उनका जन्म महार (दलित) जाति में हुआ था जिसके कारण उन्हें अस्पृश्यता व सामाजिक एवं आर्थिक भेदभाव का सामना करना पड़ा था

जांजगीर-चांपा जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय में पदस्थ छत्तीसगढ़ राज्य प्रशासनिक सेवा के ऊर्जावान डिप्टी कलेक्टर डॉ सुमित कुमार गर्ग ने 14 अप्रैल को संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जन्म जयंती पर अपने आलेख के माध्यम से जानकारी देते हुए बताया है कि डॉ. अम्बेडकर की की प्रारंभिक शिक्षा- दीक्षा एलफिंस्टन हाईस्कूल में संपन्न हुई थी। सन 1906 में 15 वर्ष की आयु में रमाबाई से उनका विवाह हो गया, तत्पश्चात एलफिंस्टन कॉलेज जो कि मुंबई यूनिवर्सिटी से संबंधित था आगे की पढ़ाई संपन्न हुई। बड़ौदा के महाराज सयाजीराव गायकवाड के सहयोग से उन्होंने अपनी स्नातकोत्तर शिक्षा दीक्षा पूरी की ।अंबेडकर ने प्रख्यात कोलंबिया यूनिवर्सिटी व लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से 1927 व 1923 में अर्थशास्त्र के क्षेत्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की,डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने दलितों के उत्थान हेतु अपना पूर्ण योगदान दिया । सन् 1927 में अस्पृश्यता अर्थात छुआछूत के खिलाफ सक्रिय आंदोलन प्रारंभ किया ,जिसमें मंदिर प्रवेश आन्दोलन,महार सत्याग्रह, सार्वजनिक रूप से मनुस्मृति की निंदा न उनकी प्रतिया जलाना इत्यादि शामिल था। इसके अतिरिक्त उन्होंने दलितों के उत्थान हेतु ‘बहिष्कृत हितकारिणी सभा’ नामक केंद्रीय संस्था का भी गठन किया उनके द्वारा मूकनायक, बहिष्कृत भारत,Equality janta नामक पत्रों का प्रकाशन आरंभ किया गया

सन 1932 में ‘पूना पैक्ट’ संपन्न हुआ जिसमें डॉक्टर भीमराव अंबेडकर वंचित वर्गों के प्रतिनिधि के रूप में शामिल थे ,जबकि मदन मोहन मालवीय अन्य हिंदूओं की ओर से पैरवी कर रहे थे ।इस पैक्ट के द्वारा आम चुनावों में प्रांतीय विधानसभाओं हेतु समाज के वंचित वर्गों को आरक्षित सीटें देने का प्रावधान करने का निर्णय संपन्न हुआ,उनके भारतीय मुद्रा रुपए पर लिखी हुई थीसिस ‘The problem of the rupee,its origin and it’s solution’ सन 1935 में भारतीय रिजर्व बैंक(RBI) की स्थापना का आधार बनी

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर 9 दिसंबर 1946 से 26 नवंबर 1949 तक भारत के संविधान का निर्माण करने वाली संविधान निर्मात्री सभा के अध्यक्ष थे, इसके अतिरिक्त वे प्रारूप समिति के भी अध्यक्ष थे। भारतीय संविधान के निर्माण में उनकी भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। स्वतंत्र भारत के प्रथम मंत्रिमंडल में कानून व न्याय मंत्री भी थे इस प्रकार वे कानूनविद,अर्थशास्त्री, समाजसेवी होने के साथ-साथ दलितों के नेता के रूप में भी प्रसिद्ध है,6 दिसंबर 1956 को मधुमेह नामक रोग से पीड़ित होने के कारण उनका देहावसान हो गया उनकी अंतिम हस्तलिखित कृति “The buddha and his Dhamma” थी। ज्ञातव्य हो अपनी मृत्यु से पूर्व अंतिम दिनों में उन्होंने बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया था। चैत्यभूमि ,मुंबई मे उनका समाधि स्थल मौजूद है। सन 1990 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न ‘मरणोपरान्त प्रदान किया गया। ‘जय भीम’का नारा उनके अनुयायी उनके सम्मान में प्रयोग करते हैं एवं सम्मान से उन्हें ‘बाबा साहेब ‘कहा जाता है

भारतीय संविधान के संबंध में उनके विचार दृष्टव्य है-“Constitution is not a mere lawyers document,it is a vehicle of life and its spirit is always the spirit of Age.”

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