भूपेश बघेल को लोकसभा टिकट देकर कांग्रेस ने की बड़ी भूल, राजनीतिक पंडित का मानना

राजनीतिक पंडित का मानना है कि छत्तीसगढ़ को पांच साल तक भय-भ्रष्टाचार-दमन-अत्याचार में रखने वाले कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को राजनांदगांव से टिकट देकर कांग्रेस पार्टी स्वयं का गोल कर बैठी है। आज छत्तीसगढ़ में भूपेश को टिकट देकर पूरी 11 सीटों का माहौल भाजपा की तरफ झुका दिया है। छत्तीसगढ़ महतारी के दामन को छलनी करने वाले व्यक्ति को वोट कैसे दे सकती है। आज राजनांदगांव में चुनावों की स्थिति यह बनी हैं कि भूपेश बघेल की हार निश्चित है। बस कितने वोटों से हारेंगे इसी का जिक्र जनता कर रही है।

खैर, कहना यह भी गलत नहीं हैं कि फिलहाल भूपेश बघेल और उनके खास कुनबे पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई जबकि सारे घोटाले के तार उन तक ही पहुंच रहे हैं। भूपेश बघेल, इनके रिश्तेदार विनोद वर्मा, इनके खास आईएएस -आईपीएस की गिरफ्तारी कब होगी इसका इंतजार छत्तीसगढ़ की जनता को है। क्योंकि इन्हीं के इशारों पर पांच साल राज्य में भय-दमन-अत्याचार-भ्रष्टाचार का राज चला। आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के मतदान में महज अब कुछ ही दिन बचे हुए हैं। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ की दोनों प्रमुख सियासी राजनैतिक पार्टियां अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटी हुई हैं। कांग्रेस ने जहां पूर्व मुख्यमंत्री और छत्तीसगढ़ को भ्रष्टाचार का गढ़ बना देने वाले भूपेश बघेल पर एक बार फिर भरोसा जताया है। वहीं, भाजपा ने जनहित के लिए समर्पित राजनेता संतोष पांडे को अपना प्रत्याशी बनाया है।

खास बात यह है कि कांग्रेस ने जिस राजनांदगांव से बघेल को प्रत्याशी खड़ा किया है चुनाव के ठीक पहले अब वहां भूपेश बघेल को लेकर आंतरिक विरोध आरंभ हो गया है। भूपेश बघेल को लेकर हो रहा यह विरोध कई मायनों में सही भी है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं का सीधा आरोप है कि भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री रहते हुए जब कार्यकर्ता और जनता की एक बात नहीं सुनी तो फिर जनता इन पर दोबारा कैसे भरोसा कर सकती है। जबकि बघेल पर नान घोटाला, पीएससी घोटाला, कोयला घोटाला, महादेव एप घोटाला सहित राशन घोटाला जैसे कई घोटालों के आरोप हैं जिसमें वे सीधे तौर पर आरोपी पाये गये हैं। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान ने बघेल पर दोबारा भरोसा दिखाते हुए भ्रष्टाचार और अनाचार के इस संरक्षक को प्रोत्साहित करने का काम किया है।

राज्य में कांग्रेस का बंटाधार कर चुके हैं बघेल

भूपेश बघेल ने पांच साल तक राज्य के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए पूरे राज्य का बंटाधार कर दिया है। कभी फला फूला कहा जाने वाला छत्तीसगढ़ आज पिछड़े राज्यों की श्रेणी में आ गया है। जिसका सीधा श्रेय भूपेश बघेल को जाता है। बघेल ने प्रशासनिक अमले पर दबाव बनाते हुए राज्य में जबरदस्त भ्रष्टाचार, घोटालों को अंजाम दिया है। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान और राहुल गांधी ने बघेल पर दोबारा भरोसा दिखाया है, यह जानकर मुझे आश्चर्य होता है। अब देखने वाली बात यह है कि क्या बघेल कांग्रेस आलाकमान की उम्मीदों पर खरा उतरते हैं या फिर एक बार राज्य से कांग्रेस का सूपड़ा साफ कराने वाले प्रत्याशी का तमगा इन्हें मिलता है।

देश के सबसे बड़े घोटालेबाज मुख्यमंत्री के रूप में जाने जायेंगे भूपेश बघेल, क्या चुनाव बाद भूपेश, बिट्टू और विनोद वर्मा होंगे गिरफ्तार?

भ्रष्टाचार को अपनी राजनीति का पर्याय और उसे आगे बढ़ाते हुए छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का नाम सामने आया है। छत्तीसगढ़ में हुआ महादेव सट्टेबाजी ऐप घोटाला कांग्रेस के भ्रष्टाचार की यात्रा की एक नई नजीर बनकर सबके सामने है। छत्तीसगढ़ के मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल ने सत्ता में रहकर सट्टा का बड़ा खेल खेला। सत्ता में रहते हुए सट्टा कारोबार में रहना छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की हकीकत है। ईडी की जांच में खुलासा हुआ कि इस ऐप के ‘प्रोमोटर्स’ ने छत्तीसगढ़ के तत्‍कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को नियमित भुगतान किया और अब तक कुल 508 करोड़ रुपये दिए गए हैं। ईडी ने दावा किया था कि फॉरेंसिक विश्लेषण और पैसे का लेन-देन करने वाले एक व्यक्ति के बयान में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं कि महादेव सट्टेबाजी ऐप के प्रवर्तकों ने छत्तीसगढ़ के तत्‍कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अब तक 508 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। यहां तक ईडी की चार्जशीट में उनके पुत्र बिट्टू जो कि भूपेश बघेल की उपसचिव सौम्या चौरसिया के काफी नजदीकी भी थे और विनोद वर्मा जिन पर भी ईडी की चार्जशीट में नाम है उसके साथ कांग्रेस के नेताओं ने ही इन पर फंड अपने बेटे की फर्म को देने का आरोप लगाया है। ऐसे में इन तीनों की गिरफ्तारी से इंकार नहीं किया जा सकता है।

बघेल को राजनांदगांव से क्यों मिला टिकट? फिलहाल अगर इस बार के विधानसभा चुनाव के नतीजों की बात करें तो उसके अनुसार यह सीट कांग्रेस के लिए सुरक्षित मानी जा रही है। बीजेपी ने यहां से सामान्य वर्ग के उम्मीदवार संतोष पांडेय को उतारा है। ऐसे में पार्टी भूपेश बघेल पर दांव खेलकर ओबीसी वोटर्स को साधने की कोशिश की है। वहीं पूर्व सीएम की लोकप्रियता को भी पार्टी भुनाना चाहती है। खैर, इन सब के बाद भी भूपेश बघेल की हालत इस चुनाव में पतली ही है और यह इन्हीं के कर्म है जो यह चुनाव हारने वाले हैं। बदमिजाजी तो इतनी है कि कांकेर में हुए नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन को इन्होंने फर्जी घोषित कर दिया है। भूपेश सरकार के खिलाफ जनता में है आक्रोश भूपेश बघेल ने राजनांदगांव की जनता के साथ पक्षपात किया है, जिसको जनता कभी भूल नहीं पाएगी। एडीबी कार्यालय हो या सेतु निगम का कार्यालय, दुर्ग ले जाते वक्त उन्होंने कभी भी यहां की जनता का ध्यान नहीं रखा। दिग्विजय स्टेडियम की सौगात भाजपा शासनकाल में दी गई, परंतु वह 05 वर्षों तक अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाता रहा। आज जनता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने को तैयार है। जनता मन बना चुकी है और भूपेश सरकार के खिलाफ जनता में आक्रोश है। जरूरत है कार्यकर्ता को तैयार होने की और मोर्चा संभालने की। काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती इसलिए जनता ऐसी कांग्रेस सरकार को अवश्य सबक सिखाएगी। क्या कहतें हैं 2019 के आंकड़ें? राजनांदगांव लोकसभा सीट से अभी बीजेपी के संतोष पांडेय सांसद हैं। बीजेपी ने यहां से फिर से मौजूदा सांसद को ही टिकट दिया है। यह राज्य का वह क्षेत्र है, जहां ओबीसी वोटर्स बड़ी संख्या में हैं। बता दें 2019 के लोकसभा चुनाव में राजनांदगांव सीट से बीजेपी के संतोष पांडेय ने चुनाव जीता था। उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार भोलाराम साहू को एक लाख 11 हजार 966 मतों से शिकस्त देकर जीत दर्ज की थी। वोट प्रतिशत की बात करें, तो कुल मिले मतों में बीजेपी को 50.68, कांग्रेस को 42.11, बीएसपी को 1.31 और नोटा को 1.49 फीसदी मत हासिल हुए थे। फिलहाल भोलाराम साहू मौजूदा समय में खुज्जी विधानसभा से विधायक हैं।

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