यात्री ट्रेनों में सालों से बंद पड़ी है वरिष्ठ जनों एवं अन्य वर्गों को मिलने वाली रियायती सुविधाएं, केंद्रीय जनप्रतिनिधि सुविधाओं को लेकर उदासीन, पुनः प्रारंभ की जाए यात्री ट्रेनों में रियायती सुविधाएं, अपने वेतन-भत्ते बढ़वाने सांसद- विधायक हो जाते हैं एकजुट

सकती- पूरे भारत देश में रेल यात्री ट्रेनों में वरिष्ठ जनों सहित विभिन्न वर्ग के लोगों को यात्रा के दौरान पात्रता होने पर मिलने वाली रियायत संबंधित सुविधाएं कोविड-19 संक्रमण काल के बाद से निरंतर बंद पड़ी हुई है, और दुर्भाग्य है केंद्रीय जनप्रतिनिधियों का जो इन सुविधाओं को पुनः बहाल कराने पूर्ण रूप से उदासीन है, तथा भारतीय रेलवे ने दशकों से वरिष्ठ जनों एवं अन्य वर्ग के लोगो हेतु रियायती सुविधाओं का शुभारंभ किया था, तथा रेलवे में यात्रा के दौरान संबंधित पात्रता के दस्तावेज प्रस्तुत करने पर रियायत का लाभ मिलता था,विगत कोरोना के संक्रमण काल में रेलवे प्रशासन ने उपरोक्त समस्त सुविधाओं को बंदकर दिया जो आज पर्यंत तक बहाल नहीं हो सकी है

जिसके चलते ऐसे रेल यात्री इन सुविधाओं से वंचित हैं, तो वही यह दुर्भाग्य है कि जनप्रतिनिधि भी इन सुविधाओं को पुनः बहाल कराने कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं,तथा रेलवे प्रशासन भी पूर्ण रूप से उन सुविधाओं को प्रारंभ करने को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं,एवं जब रेलवे के अधिकारियों से इस संबंध में चर्चा की जाती है तो उनका एक टका सा जवाब रहता है कि उच्च रेलवे अधिकारियों से दिशा- निर्देश मिलने पर यह सुविधाएं प्रारंभ होगी, तो आखिर में रेलवे के उच्च पदों पर बैठे अधिकारी क्या आंखें मूंदे हुए हैं, उन्हें यह नजर नहीं आता कि जो व्यवस्थाएं दशकों से चली आ रही है उन्हें पुनः बहाल किया जाए, ज्ञात हो कि भारत देश में देखा जाए तो आम नागरिकों को मिलने वाली प्रमुख सुविधाओं से जनता को वंचित रखा जा रहा है, वही चाहे राज्य की सरकार हो,या की चाहे केंद्र की सरकार हो, लोक- लुभावने वायदे करते हुए चुनाव पूर्व अपने घोषणापत्र में बड़ी-बड़ी बातें की जाती है, किंतु जब ऐसी सुविधाओं को प्रशासन द्वारा बंद किया जाता है तो नागरिक अपने आप को ठगा सा महसूस करते हैं

आज देखा जाए तो भारतीय रेलवे में यात्रा करने के दौरान वरिष्ठ जनों को जहां आरक्षण के दौरान रियायत संबंधी सुविधाएं मिलती थी, तो वही उच्च चिकित्सा उपचार हेतु अन्य राज्यों की ओर आने- जाने वाले कैंसर एवं अन्य रेलवे द्वारा निर्धारित श्रेणी के मरीजों को भी यात्रा के दौरान सुविधाएं मिलती थी, साथ ही दिव्यांग जनों को भी उनके मेडिकल सर्टिफिकेट प्रस्तुत करने के बाद उन्हें छूट दी जाती थी, साथ ही प्रदेश स्तर पर अधिमान्यता प्राप्त पत्रकारों को भी रेलवे में यात्रा के दौरान छूट का प्रावधान था, किंतु आज इन सभी छूट सबधी सुविधाओं से इन वर्ग के सभी लोग सालो से वंचित हैं, तथा इसके संबंध में अनेकों बार केंद्रीय जनप्रतिनिधियों को भी ज्ञापन के माध्यम से एवं अन्य माध्यमों से अवगत कराया गया है किंतु ना जाने क्यों ऐसे जनप्रतिनिधियों के कानों में जूं नहीं रेंगती तथा जनता भी अपनी इन सुविधाओं के प्रारंभ नहीं होने से आक्रोशित है

एवं जनता का कहना है कि नेता अपनी सुविधाओं की बढ़ोतरी करवाने के लिए संसद एवं विधानसभा में एक हो जाते हैं, तथा अपने वेतन भत्तो- पेंशन को बढ़ावा लेते हैं किंतु आम नागरिकों को मिलने वाले इन सुविधाओं की चिंता करने का समय जनप्रतिनिधियों के पास नहीं है

21 अगस्त को सीनियर सिटीजन डे के अवसर पर सोशल मीडिया के माध्यम से किन्हीं वरिष्ठ जन द्वारा प्रस्तुत अपनी भावनाएं निम्नांकित है,भारत में क्या वरिष्ठ नागरिक होना अपराध है?

01- रेल्वे द्वारा सीनियर सिटीजन की छूट बंद कर दी गई है,
02- उन्हें सारे टैक्स चुकाने पड़ते हैं
03- आयकर के नए रिजीम में उनके लिए कोई छूट नही है
04- मेडिकल इंसयूरेन्स के प्रीमियम पर GST देना पड़ता है
05- 70 वर्ष की अवस्था के बाद वरिष्ठ नागरिक चिकित्सा बीमा के लिए पात्र नहीं हैं,उन्हें ईएमआई पर ऋण नहीं मिलता,
-उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस नहीं दिया जाता है,उन्हें आर्थिक काम के लिए कोई नौकरी नही दी जाती
06- बुजुर्गों, असहायों, ग़रीबों को सामाजिक सुरक्षा देना किसी भी सरकार का पहला कर्तव्य होता है, पर वर्तमान सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली सारी रियायतें बंद कर दी हैं,दूसरी तरफ ब्याज दर बहुत कम हो गई है जिस पर आम बुजुर्ग गुज़र बसर करता है
07- सरकार सोचती है,सीनियर सिटीजन कमजोर हैं, उन्हें रियायत देकर सरकार को वोट के रूप में कोई लंबा राजनैतिक फायदा नही होने वाला। यह सोच बहुत ग़लत है, वरिष्ठ नागरिकों को अपनी मांग ज़ोरदार तरीके से रखनी चाहिये और सरकार को चेताना चाहिए कि वरिष्ठ कमजोर नही हैं, और वह बदलाव लाने की ताक़त रखता हैं

21 अगस्त को सीनियर सिटीजन डे के अवसर पर किसी बुजुर्ग जन ने अपनी भावनाएं सोशल मीडिया के माध्यम से व्यक्त की थी, हम उनकी भावनाओं का सम्मान करते हैं, एवं सरकारों से मांग करते हैं कि वरिष्ठ जनों की इन प्रमुख मांगों पर ध्यान दें एवं आवश्यक कार्रवाई करें

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