बेंगलुरु: बेंगलुरु में सनसनीखेज महालक्ष्मी हत्याकांड के मामले में पुलिस सूत्रों का कहना है कि संदिग्ध ओडिशा का रहने वाला है और इस समय वह पश्चिम बंगाल में हो सकता है। कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वरा के मुताबिक पुलिस ने बीएनएस की धारा 103 (1) के तहत केस दर्ज कर लिया है और आरोपी को गिरफ्तार करने की कोशिश की जा रही है। बेंगलुरु में एक रूम वाले फ्लैट के अंदर फ्रिज में महिला का 30 टुकड़ों में सड़ा-गला शव पाया गया था। बदबू आने के बाद पड़ोसियों की शिकायत पर फ्लैट के अंदर पुलिस दाखिल हुई थी।
महालक्ष्मी के पति हेमंत दास का कहना है कि घरेलू विवाद की वजह से पिछले 9 महीने से महालक्ष्मी उससे दूर अशरफ के साथ रह रही थीं। अशरफ नाई की एक दुकान में काम करता था। दास ने कहा, मुझे अशरफ नाम के शख्स पर शक है। मैंने नेलामंगला पुलिस स्टेशन में उसके खिलाफ शिकायत भी दर्ज करवाई थी। शिकायत के बाद वह बेंगलुरु नहीं आना चाहता था। हालांकि यह नहीं पता चला कि वे कहां चले गए। इस मामले में दूसरा ऐंगल भी है। पुलिस ने कन्फर्म नहीं किया है कि मुख्य संदिग्ध अशरफ ही है। बल्कि इस मामले में अजनबी की तलाश की जा रही है।
दास नेपाल की रहने वाली हैं और उनकी शादी 6 साल पहले हुई थी। उनकी एक बेटी भी है। दोनों में घरेलू विवाद होने की वजह से अलग रहने लगे ते। दास ने बताया, विवाहेतर संबंध के बारे में पता चलने के बाद मैंने शिकायत दर्ज करवाई थी। यह केवल शक नहीं था, बल्कि में अच्छी तरह सब कुछ जानता था। अप्रैल या मई 2023 में मुझे उनके अफेयर के बारे में पता चला। महालक्ष्मी ने अशरफ के बारे में कुछ भी नहीं बताया था। मैं भी बाद में उसके साथ लगातार संपर्क में नहीं रहा।
दास ने बताया कि वह मोबाइल फोन की दुकान में काम करता है और लगभग एक महीना पहले वह दुकान पर महालक्ष्मी से मिला था। 22 सितंबर को कर्नाटक पुलिस को व्यालिकावल इलाके के एक फ्लैट से महालक्ष्मी के शव के टुकड़े फ्रिज से मिले थे। कर्नाटक के गृह मंत्री ने कहा कि मुख्य आरोपी की पहचान कर ली गई है और जल्द ही उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि आरोपी के बारे में काफी जानकारी इकट्ठी कर ली गई है लेकिन फिलहाल हर जानकारी दी नहीं जा सकती।
जानकारी के मुताबिक पुलिस और अन्य लोग जब कमरे में दाखिल हुए तो मंजर दिल दहला देने वाला था। कई मांस के टुकड़े फर्श पर बिखरे पड़े थे। पहले तो पुलिस भी उलटे पांव कमरे से बाहर हो गई। इसके बाद फरेंसिक टीम को बुलाया गया। फरेंसिक टीम को भी शव के टुकड़ों को समेटने के लिए अस्पताल के मेडिकल स्टाफ का सहारा लेना पड़ा। बताया गया कि कमरे का दरवाजा 19 दिनों से बंद था। 21 सितंबर को दोपहर करीब साढ़े तीन बजे यह दरवाजा खुला था। पांच महीने पहले महालक्ष्मी यहां किराएदार के दौर पर रहने के लिए आई थीं। महालक्ष्मी की मां और बहन भी बेंगलुरु में ही रहती हैं। वह सुबह 9 या 10 बजे के करीब घर से निकल जाती थीं और रात में भी 9 बजे के आसपास लौटती थीं। दो सितंबर के बाद से ही महालक्ष्मी का फोन स्विचऑफ हो गया था। मकान मालिक ने बदबू आने पर सबसे पहले महालक्ष्मी की मां को फोन किया था।
उनके पास कमरे की दूसरी चाबी थी। मकान मालिक और पड़ोसियों की मौजूदगी में पहले दरवाजा खोला गया। बदबू इतनी थी कि पहले तो सब बाहर की ओर भागे। कमरे में खून के निशान थे और मांस के टुकड़े पड़े थे। पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस जब किसी तरह कमरे के अंदर गई तो देखा गया कि फ्रिज के ऊपरी खाने में इंसानी पैर रखे थे और सबसे नीचे के खाने में सिर रखा था। तलाशी में पुलिस को बेड पर महालक्ष्मी का फोन मिल गया। पता चला कि 2 सितंबर को आखिरी बार इस फोन से कॉल की गई थी। महालक्ष्मी पड़ोस में किसी से ज्यादा घुली-मिली नहीं ती। पड़ोसियों का कहना है कि कई बार अजनबी शख्स उसे पिक और ड्रॉप करने आता था। हालांकि उसकी पहचान नहीं हो पाई है। पुलिस के मुताबिक मोबाइल की कॉल डीटेल निकालने के बाद शक अजनबी पर ही हो रहा है। हालांकि वह भुवनेश्वर के रास्ते पश्चिम बंगाल जा चुका है। पुलिस के मुताबिक आरोपी के बारे में जानकारी हासिल कर ली गई है लेकिन इसका खुलासा अभी नहीं किया जा सकता।