सिद्धाश्रम साधक परिवार छत्तीसगढ़ का कोरबा में विशाल आयोजन- संसार में सबसे बड़ा संबंध मित्र का होता है-गुरू नंदकिशोर श्रीमाली,अमृत महोत्सव शिविर में निखिल जन्मोत्सव भव्य रूप से मनाया गया, उर्वशी हजारों की संख्या में साधक/साधिकाएं

सकती-निखिल सिद्धाश्रम साधक परिवार छत्तीसगढ़ द्वारा औद्योगिक नगरी कोरबा के ट्रांसपोर्ट नगर स्थित अमृत पैलेस मैरिज गार्डन में दादा सदगुरुदेव का अवतरण दिवस भव्य रुप से महोत्सव के रूप में दस हजार से भी अधिक साधक/ साधिकाओं नये शिष्यों को दीक्षा एवं पुराने शिष्यों को विभिन्न रुपों में शक्तिपाद दीक्षाएं देकर देर रात्रि निखिल के भव्य जन्मोत्सव में सबके समक्ष केक काटकर जन्मोत्सव मनाई गई,उक्त अवसर पर जोधपुर से कोरबा पहुंचे गुरु नंदकिशोर श्रीमाली ने निखिल जन्मोत्सव की सफलता का श्रेय उपस्थित सभी साधक शिष्यों को देते हुए कहा कि आज मेरे शिष्य न रह कर आप सब मित्र सखा और दोस्त है वेदों में वर्णित है दोनों संयुक्त होकर प्रार्थना करते हैं गुरु और शिष्य एक दूसरों की सफलता में सहायक सिद्ध होते हैं

नंदकिशोर श्रीमाली ने कहा कि गुरु और शिष्य का संबंध एक सखा का होता है, उन्होंने कहा कि शिष्य शरणागत नहीं होता भाव में याचना नहीं समर्पण का होता है, गुरु से मिलते समय आपके हृदय आत्मभाव से भरा होता हैं आपका भाव स्वतंत्र होनी चाहिए निखिल ने आपको सब कुछ दिया है, आपमें शक्ति भक्ति चेतना ओज दिया है आप किसी के ऊपर आश्रित नहीं है,हमारा दृष्टिकोण व भाव सकारात्मक होनी चाहिए धन से अधिक अनुभव काम आता है, इससे भी बड़ी बात संसार में मित्रों की अधिकता जिसके पास है वह सर्वश्रेष्ठ व्यक्तित्व का धनी होता हैं आप अपने भावों विचारों के अनुसार स्वतंत्र है आप आगे बढ़े और गतिशील रहें,आज हम अमृत महोत्सव मनाने कहां बैठे हैं कोरबा के अमृत पैलेस में यहां कौन बैठा हैं, यहां निखिल की प्रजा बैठी है, प्रेमभाव और आशाओं से परिपूर्ण और थोड़ी उत्सुकता लिए बैठी हुई है,समरसता के लिए गुरु की आवश्यकता होती है आप अमृत भाव से अमृत रस से युक्त रहें और यह रस को सभी पाना चाहते हैं आप ही नहीं देवता व यक्ष किन्नर गंधर्व भी प्राप्त करना चाहते हैं

सुर व ताल का जुगलबंदी होना जरूरी

गुरु नंदकिशोर श्रीमाली अपने सामने बैठे हजारों साधक शिष्यों से कहा कि जीवन में सुर व ताल का संयमित होना आवश्यक है अन्यथा साधनाएं नहीं सधेगी इसलिए जब मार्ग में बाधाएं आती है तब हम बिना ताल के हो जाते हैं उन्होंने संसयग्रस्त,डरकर और अपराध बोध यह तीन बातें साधकों के विरोधी तत्व निरूपित करते हुए कहा कि सुर व ताल में जुगलबंदी होना जरूरी है वाणी व क्रिया में सरसता होनी चाहिए तभी भाग्य आपके आगे निरंतर चलता रहेगा पर आपको साथ ही क्रिया भी करनी ही होगी आपके जीवन में द्वंद,भय, असुरक्षा और अपराध बोध यह चार बातें आपको सता रही है और इन चारों पासों को खोलता है वह गुरु है उन्होंने कहा कि जब आपके जीवन में सोमरस अमृत रस का प्रवाह निरंतर बहता रहेगा आज अमृत महोत्सव है आत्मभाव महोत्सव अपने भीतर की सरस्वती को जगाना है,ज्ञान से युक्त रहना है सदैव सोमनाथ की शरणों में गतिमान रहो आपका जीवन अक्षय हो जाता है आप निखिल के शिष्य है आत्मभाव रखो सरसता मधुरता रहेगी जीवन सदैव रस से युक्त हो आज यही आशीर्वाद प्रदान करता हूं

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