पटना: प्राइवेटाइजेशन के विरोध में हो रही बैंकों की हड़ताल (Bank Strike) का बिहार और यहां के लोगों पर प्रभाव पड़ रहा है। आलम ये है कि बाजार को हानि, लोगों को समस्या तो हो ही रही है, साथ ही ATM भी साथ छोड़ रहे हैं। कैश कहीं उपलब्ध नहीं है तथा जिस भी एटीएम में जाओ, मायूसी ही हाथ लग रही है। ATM में कैश भी नहीं डाला जाएगा।
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के साथ बैंक कर्मी दो दिन की हड़ताल पर हैं। बृहस्पतिवार मतलब 16 दिसंबर को यह हड़ताल (Bank Strike) आरम्भ हुई। इसी के साथ लोगों को समस्या का सामना भी करना पड़ा। हड़ताल की वजह से केवल कुछ जिलों में ही 80 करोड़ से ज्यादा रुपये का कारोबार रोजाना प्रभावित होने का अंदाजा है। बैंक कर्मियों के साथ-साथ ऑल इंडिया रिटायरिंग फेडरेशन भी इनकी मांगों के साथ खड़ी है। यदि सरकार इनकी मांगों को नही मानती है तो आगे भी उनका आंदोलन जारी रहेगा।
वही आंकड़ों की मानें तो इस दो दिवसीय हड़ताल से बिहार में लगभग एक लाख करोड़ से अधिक का बैंकिंग व्यवसाय प्रभावित रहा। प्रदेशभर में बैंक कर्मचारियों ने हड़ताल पर रहकर शाखाओं के बाहर प्राइवेटाइजेशन विरोधी बैनर लगाकर नारेबाजी तथा धरना-प्रदर्शन किया। पटना में भी इस हड़ताल का व्यापक प्रभाव देखने को मिला। सरकारी बैंकों में तो कामकाज पूर्ण रूप से ठप रहा। जबकि हड़ताल तथा विरोध के चलते प्राइवेट बैंकों का भी कारोबार प्रभावित हुआ। आंदोलित कर्मचारियों ने कई स्थान पर विरोध जुलूस भी निकाला। कुछ स्थानों पर आंदोलनकारियों द्वारा एटीएम भी बंद करा दिए जाने के चलते जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ा।