उज्जैन। पूरे भारत में भगवान शिव के सबसे रहस्यमयी स्वरूपों में एक है महाकाल। धार्मिक नगरी उज्जैन में शिव का यह स्वरूप भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस मंदिर में प्रतिदिन सुबह 4 बजे बाबा महाकाल का शृंगार किया जाता है और हर दिन 6 बजे आरती की जाती है। महाकाल मंदिर में बाबा के दर्शन के लिए भक्तों की लंबी लाइन हमेशा ही रहती है। वहीं, भस्मआरती में भी हजारों भक्त बड़ी संख्या में शामिल होते हैं। सुबह 4 बजे की जाने वाली ये आरती बेहद खास मानी जाती है, इसीलिए हर कोई चाहता है कि वे यदि बाबा महाकाल के दर्शन करने आ रहा है, तो भस्म आरती में जरूर शामिल हो,
ये है परंपरा
बता दें कि यह आरती मंदिर में होने वाली सभी आरतियों में बेहद खास है। महाकाल मंदिर के पुजारी पंडित अर्पित गुरु ने बताया कि इस आरती में बाबा महाकाल भस्म धारण करते हैं। जिस समय उन्हें भस्म अर्पित की जाती है उस समय महिलाओं को बाबा महाकाल के इस दृश्य को देखने से रोका जाता है। ऐसा माना जाता है कि उस समय बाबा महाकाल निराकार स्वरूप में रहते हैं। महिलाओं को भगवान शिव के इस स्वरूप के प्रत्यक्ष दर्शन करने की अनुमति नहीं होती।
पहले ऐसे की जाती थी आरती
सुबह 4 बजे होने वाली आरती को भस्म आरती इसलिए कहा जाता है, क्योंकि महाकाल बाबा की पहली आरती के समय बाबा महाकाल का श्मशान में जलने वाली सुबह की पहली चिता की भस्म से शृंगार किया जाता था। इस भस्म से बाबा महाकाल का शृंगार हो इसके लिए भी लोग पहले से ही रजिस्ट्रेशन कराते हैं और मृत्यु के बाद उनकी भस्म से भगवान महाकाल का शृंगार किया जाता था।
भस्मारती में त्रिपुंड से सजे बाबा महाकाल
पौष कृष्ण पक्ष की सप्तमी शुक्रवार पर आज भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल को त्रिपुंड लगाकर शृंगार किया गया फिर भस्म रमाई गई। उसके बाद बाबा महाकाल को नवीन मुकुट धारण करवाया गया। इस दिव्य स्वरूप के दर्शन हजारो भक्तों ने किए।