जनमत का गुमान, जनता का अपमान

 

जनमत का गुमान, और जनता का अपमान ही कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने का प्रमुख कारण दिख रहा है। वरना अरबों के (प्रत्येक व्यक्ति को मिलने वाले लाभ की राशि) लाभ को छोडकर छत्तीसगढ़ की जनता फि र भाजपा का चुनाव नहीं करती। पिछले विधानसभा चुनाव में 15 साल तक राज करने वाली भाजपा का गुमान उतारने के लिए ही जनता जनार्दन ने 2018 में कांग्रेस को सत्ता सौंपा था, लेकिन कांग्रेस पांच साल भी सत्ता नहीं पचा पाई। जो गुमान भाजपा नेताओं को 15 वर्ष शासन करने के बाद आया, वह गुमान कांग्रेस में पांच साल में ही दिखने लगा।

शायद यही कारण है कि राजधानी रायपुर से लेकर धर्मनगरी कवर्धा तक बहुसंख्यक अपने आप को उपेक्षित महसूस करने लगे। रायपुर की सभी और बस्तर की अधिकांश सीटों पर कांग्रेस का सफया, भूपेश सरकार के 9 मंत्रियों का चुनाव हारना इसका जीता जागता उदाहरण है। बस्तर में धर्मांतंरण की आग फैलते रही, कवर्धा और साजा में बहुसंख्यकों का आक्रेाश खून बनकर ऑखों में टपक रहा था, उसके बाद भी राज्य की कांग्रेस सरकार अपनी आंखें बंद किए हुए थी। मजदूरी करने वाले ईश्वर साहू आज नव निर्वाचित विधायक हैं, उनके बेटे की हत्या के बाद भी मंत्री, साजा विधायक और कथित कद्दावर नेता रविन्द्र चौबे को उनके दरवाजे में जाने की फु र्सत नहीं मिली, या उनपर सत्ता का गुमान इस कदर चढा हुआ था कि वह एक मजदूर के दरवाजे जाना ही उचित नहीं समझे, खैर चौबे जी के गुमान के साथ अब कांग्रेस का भी गुमान उतर चुका है, गरीब-मजदूर ईश्वर विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। वही हाल कुछ कवर्धा का भी दिखते रहा। मंत्री अकबर का नाम एक विवाद से जुड़ गया। इस हादसेे की आग सिर्फ वहां तक ही सीमित नहीं रही, आग की लपटें अन्य सीटों को भी अंदर ही अंदर जलाते रही। वास्तव में यदि इस चुनाव के जीत का मूल्यांकन घोषणाओं से किया जाए तो कांग्रेस ने भाजपा से कहीं जादा बढ़-चढ़ कर घोषणाएं की थीं, फि र भी जनता जर्नादन ने कांग्रेस सरकार को सिरे से खारिज कर दिया। अरबों के (प्रत्येक व्यक्ति को मिलने वाले लाभ की राशि) लाभ को जनता ने ठुकराकर कांग्रेसी नेताओं का गुमान उतारना ही उचित समझा। भूपेश सरकार के मंत्रियों का निम्न स्तरीय प्रदर्शन आम जनता को स्पष्ट दिख रहा था। विधानसभा की कार्रवाई से लेकर बार-बार भूपेश सरकार के मंत्रियों के आचरण और व्यवहार में जनमत का गुमान साफ तौर पर दिखाई देता रहा। जनमत का गुमान इस कदर रहा कि भ्रष्टाचार से जुडे राज्य के कई अफ सर सलाखों के पीछे पहुंच गए। भ्रष्टाचार की खबरों से राज्य के समाचार पत्र रंगे रहे, कथित पीएससी घोटाला, कोयला घोटाला, गोबर घोटाला, शाराब घोटाला, जलजीवन मिशन में घोटाला, कैम्पा में घोटाला न जाने कहां-कहां और कितने- कितने घोटाले उसके बाद भी कांग्रेस सरकार भ्रष्टाचारियों को लेकर शुतुरमुर्ग बनी रही। कांग्रेस के मंत्रियों और विधायकों का गुमान इतना रहा कि वह भाजपा जैसी मजबूत पार्टी को भी इग्नोर करते रहे, परिणाम यह है कि राज्य में कांग्रेस का सफ़ाया हो गया। कांग्रेसी नेताओं को यह नहीं पता था कि यह जनमत आपको राज्य की जनता की सेवा के लिए दिया गया है, न कि सत्ता के गुमान में अपनी मनमानियां करने के लिए। इस जनमत से वर्तमान और आगे के नेताओं को सीख लेना चाहिए, जब भी जनमत का गुमान और जनता का अपमान होगा, तो परिणाम कुछ ऐसे ही दिखेंगे।

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लेखक राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक पायनियर के संपादक

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