दंतेवाड़ा जिले में एम्स की मांग जोर पकड़ रही हैं। बचेली से गणेश कर के नेतृत्व में प्रतिनिधी मंडल नें छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल से मिलने रायपुर पहूंचा। स्वास्थ्य मंत्री द्वारा सम्पूर्ण दस्तावेज का अवलोकन कर आवश्यक कार्यवाही करने का आस्वाशन दिया। उन्होंने एम्स से संबंधित आंकड़ों और स्थापना की सम्पूर्ण योजना के बारे में जानकारी ली और जनहित की मांग उठाने की सराहना की।
नार्थ अमेरिकी छत्तीसगढ़िया एशोसिएशन के संस्थापक गणेश कर नें बताया की दंतेवाड़ा जिले में एम्स स्थापना से दंतेवाड़ा सहित आसपास के 150 किलोमिटर दूरी में 60 लाख लोग निवास करते हैं जिसमें 80 प्रतिशत जनजातीय समुदाय से हैं। जो आजादी के 77 वर्षों बाद भी बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य हेतु संघर्ष कर रहे हैं। अभी केन्द्र एवं राज्य में भाजपा की सरकार हैं। इसलिए सरकार चाहें तो देश के सबसे वंचित लोगों कें जीवन को बदलने का प्रयास कर सकती हैं। इससे लोकतंत्र में भरोसा स्थापित होगा।
समाजसेवी निलेश पटले नें कहा की मोदी जी नें कहा हैं की देश में सुविधाओं में सबसे पिछड़े जिलों को सबसे पहले सुविधाएं प्राप्त होगी। जिन जिलों को विकास की आकांक्षा हैं उन्हें आकांक्षी जिलों का नाम दिया गया हैं। ऐसे में देश में शिक्षा तथा स्वास्थ्य के क्षेत्र में सबसे सबसे पिछड़े दस जिलों में दंतेवाड़ा जिला हैं। साथ लगे सुकमा, बीजापुर, नारायण पुर, बस्तर, सहित उड़िसा का नवरंगपुर, कोरापुट जिला भी सबसे पिछड़े पचास जिलों में हैं। अस्पताल बनाए जाते हैं परंतु दंतेवाड़ा जिले का नाम सुनते ही चिकत्सक नहीं आते हैं। चुंकी एम्स चिकित्सा क्षेत्र में सबसे बड़ी विश्वसनीय संस्था हैं जहां विश्व स्तरीय चिकित्सक पढ़ाई करते हैं। जहां सेवा देना चिकित्सकों का स्वप्न होता हैं। अतः जिले में एम्स की स्थापना हो जाए तो उच्चस्तरीय चिकित्सक आसानी से उपलब्ध हो जाएंगे। साथ ही ग्रामीण आदिवासी जनजातियों में सरकार के प्रति विश्वास जगेगा। राष्ट्र केएम्स निर्माण की आवश्यकता