बीजापुर। बस्तर संभाग के ग्रामीण क्षेत्रों में लगने वाले साप्ताहिक हाट-बाजारों में कटे-फटे विकृत नोटों को खरीदने वाले दुकान मिल जाते हैं, ग्रामीणों की पहुंच सामान्यत: साप्ताहिक हाट-बाजारों तक होती है, जहां वे अपने पास रखे कटे-फटे विकृत नोटों को खरीदने वाले दुकानदार को देकर जितना भी पैसा मिलता है, उसका उपयोग करते हैं। देखने में कटे-फटे विकृत नोटों का कारोबार छोटा लगता है, लेकिन यह कारोबार बड़े फायदे का कारोबार है, जिसमें प्रतिवर्ष एक कारोबारी लाखों की कमाई कर लेता है।
गीदम निवासी खिलौनों और रोल्ड-गोल्ड नकली ज्वेलरी के व्यापारी निखिल हलधर बताते हैं कि वे करीब 10 वर्ष से इस कारोबार से जुड़े हैं। कुछ पैसे काटकर वे ग्राहक को फटे नोट के बदले रकम अदा कर देते हैं। उन्होंने बताया कि सालभर में वे करीब तीन से चार लाख तक के पुराने नोट खरीद लेते हैं। इसके बाद वे हर छह माह में कोलकाता या फिर नागपुर में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के कार्यालय में इसे बदलने जाते हैं। एक वर्ष में इस कारोबार से वे दो लाख रुपये तक कमा लेते हैं। इस पैसे से वे कोलकाता या नागपुर से मेले के लिए खिलौने या नकली ज्वेलरी खरीदकर लाते हैं। उन्होंने बताया कि अन्य विकृत नोटों को खरीदने वाले व्यापारी आरबीआई नहीं जाकर किसी व्यापारी को फटे नोट दे देते हैं।