Balod: अधिकृत प्रत्याशी संगीता के खिलाफ मैदान में उतरी बागी मीना को कांग्रेस ने 6 वर्ष के लिए किया पार्टी से निष्कासित

बालोद- कांग्रेस से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ रही मीना सत्येंद्र साहू को पार्टी ने 6 वर्षो के लिए निष्कासित कर दिया हैं। नाम वापसी के आखिरी दिन कांग्रेस से बागी होकर निर्दलीय नामांकन भरी मीना सत्येंद्र साहू ने नाम वापस नही लिया था। जिससे उनका चुनाव लड़ना तय हो गया था। जिसके बाद से उन पर निष्कासन की तलवार लटक रही थी। शनिवार देर शाम को छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रभारी मंत्री मलकीत सिंह गैदू ने बागी मीना साहू समेत अन्य 5 लोगों को अधिकृत प्रत्याशी के विरुद्ध चुनाव लड़े जाने पर पार्टी से 6 वर्षो से निष्कासन करने आदेश जारी किया। दरअसल मीना साहू कांग्रेस समर्थित जिला पंचायत सदस्य है। लगातार वे दूसरी बार जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित होकर आई हैं। संजारी बालोद विधानसभा से कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ने उन्होंने भी दावेदारी की थी। किंतु आलाकमान ने पुनः वर्तमान विधायक संगीता सिन्हा पर विश्वास जताते हुए उन्हें अपना अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया हैं। संगीता सिन्हा को पुनः प्रत्याशी घोषित करने के बाद जहां एक ओर अन्य दावेदारों ने संगीता को जिताने का संकल्प लेते हुए कांग्रेस के पक्ष में वोट मांग रहे है, तो वही दूसरी तरफ कांग्रेस समर्थित जिला पंचायत सदस्य मीना साहू टिकट न मिलने की नाराजगी जताते हुए निर्दलीय चुनावी मैदान में है।

एक दशक से जाति वाद हावी नही रहा-
जहां 23 साल तक साहू समाज के विधायक रहे थे। वहां 2013 में संजारी बालोद की तस्वीर बदल गई। बीते एक दशक यानि कि 10 सालों से संजारी बालोद विधानसभा में जातिवाद हावी नही रहा। 2013 में भाजपा के प्रीतम साहू को कांग्रेस के भैय्याराम सिन्हा को हराया था, तो वही 2018 के चुनाव में कांग्रेस की संगीता सिन्हा ने भाजपा के पवन साहू और जनता जोगी कांग्रेस एवं साहू समाज के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष दिवंगत अर्जुन हिरवानी को हराया था। बीते एक दशक से विधानसभा चुनाव में संजारी बालोद और गुंडरदेही क्षेत्र में जातिवाद हावी नहीं रहा। गुंडरदेही विधानसभा में भी 2013 के चुनाव में कांग्रेस की सीट ओर चुनाव लड़े राजेन्द्र राय ने भाजपा प्रत्याशी वीरेंद्र साहू को और 2018 के चुनाव में कांग्रेस के कुंवर सिंह निषाद ने भाजपा के दीपक ताराचंद साहू को हराया था। जबकि यहां अधिकांश साहू समाज से ही विधायक चुने जाते थे। लेकिन अब तस्वीर बदल गई है। इसलिए पार्टी भी सोच समझकर दांव लगाना चाह रही है। जातिवाद का तर्क देने वाले कहते रहे कि साहू समाज के मतदाता एकजुट व संगठित है। पिछला चुनाव भाजपा जीत नहीं पाई। हालांकि समाजिक समीकरण की बात करे तो समाज में भी कई लोग कांग्रेस तो कई भाजपा पार्टी से ताल्लुक रखते है।

मतदाता हुए जागरूक-
2018 के विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी की घोषणा के बाद सोशल मीडिया में जातिवाद को लेकर हो रहे चर्चाओं पर दिवंगत अर्जुन हिरवानी ने कहा था कि राजनीति में सामाजिक स्तर ज्यादा मायने नहीं रखता। हालांकि ये सच है कि समाज की बहुलता भी देखी जाती है। लेकिन अब मतदाता जागरुक हो चुके हैं। इसलिए जातिवाद को लेकर कुछ कमेंट नहीं करता। जब अर्जुन हिरवानी ने उक्त बातें कही रही तब वे साहू समाज के जिलाध्यक्ष थे।

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