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प्लान A B C D
भारतीय जनता पार्टी इस बार विधानसभा चुनाव में पुरानी किसी भी भूल को दोहराना नहीं चाहती। भाजपा ने राज्य के 90 में से 21 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिये हैं। यह सभी सीटें कांग्रेस के प्रभाव वाली सीटें मानी जाती रही हैं। जानकारों का मानना है कि भाजपा ने राज्य के 90 सीटों को चार भागों (A B C D) में बांट दिया है। हाल ही में जारी हुई 21 सीटों को D समूह का माना जा रहा है। इन सीटों पर पार्टी सर्वे और जातिगत समीकरणों के आधार पर नाम तय किए गए हैं। वहीं इसी माह के आखिरी या सितम्बर माह के शुरुआती में C समूह की 15 सीटों के नाम घोषित किए जाएंगे। इन 15 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम लगभग तय हो चुके हैं। उसके बाद B समूह और आखिरी में A समूह के उम्मीदवारों के नाम घोषित किए जाएंगे।
सिंहदेव इज बैक
भाजपा ने पहली सूची में रामानुजगंज से पूर्व मंत्री रामविचार नेताम को उम्मीदवार घोषित कर दिया है। बृहस्पति सिंह को नेताम का भय तो सता ही रहा है, उनके अपने पार्टी के नेता भी ताल ठोंक रहे हैं। रामानुजगंज से बृहस्पति सिंह की दावेदारी में भी अड़चने दिखने लगी हैं। दरअसल में बृहस्पति सिंह की सीट से डॉ. अजय तिर्की ने भी ताल ठोंक दिया है। कहते हैं कि अजय तिर्की रामानुजगंज पहुंचे हुए थे, उनके स्वागत के लिए कार्यकताओं की लंबी भीड़ देखने को मिली। वहीं इस बीच एक वीडियो भी वायरल हो रहा है जिसमें डॉ. अजय तिर्की को भावी विधायक बताते हुए नारेबाजी की जा रही है। रामानुजगंज विधायक बृहस्पति सिंह ने कभी टीएस सिंहदेव के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था। शायद बृहस्पति को सिंहदेव की ताकत का अंदाजा नहीं था। अब एक बार फिर टीएस सिंहदेव का कद आलाकमान के सामने बढ़ चुका है, वह राज्य के डिप्टी सीएम हैं। ताजा राजनीतिक हालातों को देखते हुए कहा जा सकता है ‘सिंहदेव इज बैक। चुनावी साल में सरगुजा संभाग में टिकट के लिए बाबा की राय बेहद ही महत्वपूर्ण मानी जाएगी। जाहिर सी बात है बृहस्पति सिंह की टिकट में सिंहदेव अहम भूमिका निभाने वाले हैं। वैसे भी डॉ. अजय तिर्की सिंहदेव के समर्थक माने जाते हैं।
अनिल साहू को एपीसीसीएफ स्तर का पद
सीनियर आईएफएस अनिल साहू वैसे तो काफी ताकतवर अफसर के रुप में जाने जाते रहे हैं। लेकिन वन महकमें में वापसी होते ही उनके साथ बड़ा खेल हो गया। पीसीसीएफ प्रमोट होने के बाद यह माना जा रहा था कि अनिल साहू अरण्य भवन में धमाकेदार वापसी करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ उनको विभाग के सचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई है। अभी तक इस पद पर ज्यादातर एपीसीसीएफ स्तर के अधिकारी पदस्त रहे हैं। कुल मिलाकर अनिल साहू के साथ खेला हो गया।
सितम्बर के पहले सप्ताह में कलेक्टरों की एक और सूची
वर्ष 2018 में 5 अक्टूबर को चुनाव आचार संहिता लग गई थी। इस वर्ष भी लगभग इसी समय अधिसूचना जारी होने के आसार हैं। इससे पहले कुछ और जिलों के कलेक्टरों को बदला जाएगा। जिसमें रायपुर नगर निगम के कमिश्नर आईएएस मयंक चतुर्वेदी समेत अन्य अफसरों को जिले की कमान मिल सकती है।
ओपी जाएंगे रायगढ़ या चंद्रपुर
आईएएस से नेता बने ओपी चौधरी के लिए भाजपा सुरक्षित सीट खोज रही है। 2018 के विधानसभा में ओपी को खरसिया से प्रत्यासी बनाया गया था, लेकिन इस साल खरसिया सीट पर साहू समाज से प्रत्यासी को मैदान पर उतारा गया है। भाजपा का आकलन है कि यदि ओपी को खरसिया से टिकट दी गई तो वह फिर से पटेल परिवार के सामने मुश्किल में पड़ जाएंगे। इसलिए ओपी के लिए रायगढ़ और चंन्द्रपुर सीट पर विचार किया जा रहा है। चन्द्रपुर से वर्तमान में कांग्रेस के रामकुमार यादव विधायक हैं। 2018 में त्रिकोणीय मुकाबले में यादव 4418 मतों से चुनाव जीत गये थे। वहीं चन्द्रपुर में बसपा प्रत्यासी गीतांजली पटेल दूसरे स्थान पर रहीं। जबकि भाजपा यहां पर तीसरे स्थान पर रही। इस बार यादव की स्थिति कमजोर बताई जा रही है। हालंकि कांग्रेस भी इस सीट पर प्रत्यासी बदल सकती है। वहीं रायगढ़ से प्रकाश नायक विधायक हैं। भाजपा ओपी चौधरी को रायगढ़ से भी मैदान में उतारने का विचार कर सकती है। 2018 के विधानसभा चुनाव में रायगढ़ से भाजपा ने रोशनलाल अग्रवाल को प्रत्यासी बनाया था, लेकिन निर्दलीय प्रत्यासी विजय अग्रवाल ने 42914 मत हासिल कर भाजपा का समीकरण बिगाड़ दिया था।
जीती बाजी हार गए बघेल
भाजपा ने विशेष रणनीति के तहत दो माह पहले ही 21 उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिये। जिसमें विजय बघेल जैसे नेता की बलि चढ़ा दी गई। पाटन क्षेत्र में मुकाबला भले ही नजदीकी हो सकता है, लेकिन वर्तमान सियासी हालातों में जीत के चांस सीएम भूपेश बघेल के ज्यादा दिखाई दे रहे हैं। ऐसे सीट पर भाजपा ने विजय बघेल जैसे जिताऊ नेता को उतारकर अपने एक सीट का नुकसान कर लिया है। जबकि पाटन के अलावा भिलाई नगर, वैशाली नगर, दुर्ग शहर, यहां तक कि दुर्ग ग्रामीण में भी विजय बघेल एक मजबूत प्रत्यासी हो सकते थे। फिर भाजपा ने विजय बघेल जैसे नेता को रेस से बाहर क्यों कर दिया? इसको लेकर सवाल उठने लगे हैं। पाटन सीट में कुर्मी समाज से प्रत्यासी देने के बजाय साहू समाज के किसी नेता को प्रत्यासी बनाया जा सकता था। इस क्षेत्र में कुर्मी वोटरों के साथ-साथ साहू वोटरों की संख्या भी काफी ज्यादा है। लिहाजा विजय बघेल के मुकाबले साहू प्रत्यासी ज्यादा असरकारक हो सकता है। फिलहाल विजय बघेल जीती बाजी हार चुके हैं।
चुनाव से पहले सीबीआई की एंट्री?
राज्य में हुए कथित शराब घोटाले के बाद अब कोल स्कैम को लेकर भी ईडी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। ईडी के जांच की जद में आये अभी तक कई अफसर और करोबारी जेल में हैं। करप्शन और मनी लांड्रिंग की जड़ को खोजने के लिए ईडी अब मामले को विशेष रणनीति के तहत सीबीआई को सौंपना चाहती है। जिसको लेकर बार-बार हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया जा रहा है। कानूनी मामलों के जानकारों का मामना है कि वास्तव में यदि इन दोनों केस में सीबीआई की एन्ट्री हो गई तो और कई अफसरों, कारोबारियों समेत नेताओं की मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं। यदि ऐसा हुआ तो विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में सीबीआई की एंट्री हो सकती है। वैसे तो छत्तीसगढ़ में सीबीआई बैन है, लेकिन यदि हाईकोर्ट इस पर विचार करती है तो मामला आगे बढ़ सकता है।
विक्रांत जीते तो कोमल को लोकसभा का तोहफा?
राजनीति का हर पहलु दिलचस्प होता है, खैरागढ़ से लगातार टिकट की मांग कर रहे युवा नेता विक्रांत सिंह को आखिरकर मौका मिल ही गया। लगातार दो चुनाव हारने के बाद भी कोमल जंघेल को पुन: टिकट देना भाजपा के निर्णय पर प्रश्न खड़ा करता है। स्वाभाविक है कि कोमल के बाद दूसरे मजबूत उम्मीदवार विक्रांत ही हैं। विक्रान्त को टिकट देना भाजपा की मजबूरी हो चुकी थी। लेकिन सवाल यह उठता है कि बिना कोमल जंघेल के विक्रांत की राह आसान होगी क्या ? वैसे तो 2018 के विधानसभा चुनाव और खैरागढ़ उपचुनाव में विक्रांत ने कोमल के उम्मीदवारी का दबे स्वर में विरोध किया था। पार्टी फोरम में इस बात की जमकर शिकायत भी हुई। सवाल यह उठता है कि अब क्या कोमल भी विक्रान्त को डैमेज करेगें? वैसे तो राजनीति में सबकुछ संभव है। पर खैरागढ़ में क्या होगा कुछ कहा नहीं जा सकता। कहते है कि भाजपा ने इसके लिए प्लान B तैयार किया है। चूंकि कोमल जंघेल के पास लोधी समाज का का वोट बैंक है, वह इस वर्ग के बड़े नेता हैं। भले ही कोमल जंघेल खैरागढ़ उपचुनाव हार गए हों, लेकिन जिला बनाने की घोषणा के बाद भी कोमल ने अपने वोटरों को टूटने नहीं दिया। यदि विक्रान्त कोमल को अपने पाले में करने में कामयाब होते हैं, तो समीकरण कुछ और हो सकता है। वहीं प्लान B के तहत विक्रान्त की जीत होती है, तो कोमल जंघेल को लोकसभा का प्रत्यासी बनाया जा सकता है।
कोल स्कैम में दो कांग्रेसी विधायकों के नाम
कोल स्कैम, मनी लांड्रिंग और अवैध वसूली के चलते दो कांग्रेसी विधायक देवेन्द्र यादव व चंन्द्रदेव राय का नाम भी ईडी ने आरोप पत्र में शामिल किया है। कहतें है कि ईडी का आरोप है कि स्कैम की राशि इन विधायकों तक भी पहुंची है। वास्तव में यदि इसके दस्तावेज ईडी ने कोर्ट में प्रस्तुत किए हैं, तो आनें वाले दिनों में देवेन्द्र और राय की मुशीबतें बढ़ सकती हैं। फिलहाल ईडी हाईकोर्ट के माध्यम से इस स्कैम की जांच सीबीआई को सौंपने की तैयारी में है।