बालोद– आज ऋषि पंचमी के पर्व को जिले के ग्रामीण व वनांचल क्षेत्र में बेहद उत्साह के साथ मनाया गया। वनांचल क्षेत्रों में जो जड़ी बूटी की जानकारी रखते है, उनके लिए इस ऋषि पंचमी का अपना एक अलग ही महत्व है। बैगा व जड़ी बूटी से जुड़े लोग प्रकृति से मिले विभिन्न तरह से जड़ी-बूटी व कंद मूल फल की पहचान और उसे हासिल करने गुरुवार की सुबह से ही जंगल की ओर पूरी श्रद्धा के साथ जाते है। इसके लिए बकायदा आज के दिन उपवास रखते हैं। जंगल में जाकर जड़ी बूटी के पेड़ व पौधो का सबसे पहले पूजा करते है और फिर उससे मिलने वाले जड़ी बूटी को हासिल करते है। वही शाम को अपने साथ लाए जड़ी बूटी को लेकर गांव में अपने गुरु के पास जाते है। जहां शाम को विशेष पूजा अर्चना की जाती है। यही नहीं इस दिन प्रकृति से मिले विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटियों से भी अवगत कराया जाता है। बता दे यह परंपरा बेहद पुरानी है। जिसे आज भी ग्रामीण व वनांचल क्षेत्र में बैगा भली भांति निभा रहे है। बैगाओं की माने तो सांप और बिच्छू सहित जहरीले कीड़ों के डसने के बाद वे इन जड़ी बूटी से उनका इलाज कर सकते है। जिसे लेकर भी तरह तरह की मान्यताएं है।