बिलासपुर –दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के प्रमुख जंक्शन बिलासपुर रेलवे स्टेशन (BSP) में अपने गौरवशाली यात्रा पूरी करते हुए शताब्दी समारोह का आयोजन 14 अगस्त 2025 को किया गया । यह स्टेशन न केवल छत्तीसगढ़ राज्य का सबसे बड़ा और व्यस्ततम स्टेशन है, बल्कि भारतीय रेलवे के हावड़ा–मुंबई मुख्य मार्ग एवं कटनी रूट पर एक महत्वपूर्ण कड़ी भी है। प्रतिदिन लगभग 70 हजार यात्रियों का आवागमन और करीब 350 यात्री व माल गाड़ियों का संचालन इस स्टेशन की महत्ता को दर्शाता है। इतिहास के पन्नों में बिलासपुर रेलवे स्टेशन से जुड़ी कई ऐसी यादें है जिन्हें भुलाया नहीं जा सकता। मालगाड़ी से लेकर यात्री ट्रेनों का सफर आज भी निरंतर जारी है। बिलासपुर को दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के मुख्यालय का दर्जा 01 अप्रैल 2003 में मिलने के बाद इसका महत्व और बढ़ गया।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और क्रमिक विकास
बिलासपुर स्टेशन की स्थापना 1889 में नागपुर–छत्तीसगढ़ रेलवे के अंतर्गत हुई, जो आगे चलकर बंगाल नागपुर रेलवे का हिस्सा बना। 1891 में नागपुर से आसनसोल तक की रेलवे लाइन शुरू होने के साथ ही बिलासपुर देश के प्रमुख क्रॉस-कंट्री रूट का अहम पड़ाव बन गया।
20वीं सदी में स्टेशन का कई चरणों में विस्तार और विद्युतीकरण हुआ —
1969-70 में राऊरकेला-बिलासपुर सेक्शन का विद्युतीकरण।
1976-77 में बिलासपुर-नागपुर सेक्शन का विद्युतीकरण।
1981 में बिलासपुर-कटनी सेक्शन का विद्युतीकरण।
ऐतिहासिक स्टेशन बिल्डिंग है खास
बिलासपुर स्टेशन का ऐतिहासिक भवन सबसे खास है। यहां आने वाला हर यात्री अपने आप को तस्वीरों में कैद कर यादें संजोना चाहता है। इसे हेरिटेज भवन माना जाता है। भवन के सामने तिरंगे के नीचे खड़े होकर गौरवान्वित महसूस करता है। रेलवे ने इस स्टेशन को धरोहर के रूप में विकसित किया है। यही कारण है कि शहर ही नहीं प्रदेश के लोगों का विशेष लगाव है। इसके अलावा बिलासपुर का बंगला यार्ड रेलवे कालोनी, एनईआई, रेलवे स्कूल नं 01,यूरोपियन क्लब, सेंट आगास्टिन चर्च जैसे शताब्दी से अधिक पुरानी ऐतिहासिक भवन हैं जो बिलासपुर स्टेशन क्षेत्र की अलग पहचान को दर्शाते हैं।
रवींद्रनाथ टैगोर और ‘फांकि’
1918 में विश्वकवि रवींद्रनाथ टैगोर जब पेंड्रा जा रहे थे, तब उन्हें बिलासपुर स्टेशन पर लगभग 6 घंटे रुके थे । इसी ठहराव के दौरान उन्होंने अपनी प्रसिद्ध कविता ‘फांकि’ यहीं पर लिखी। यह साहित्यिक घटना बिलासपुर स्टेशन को न केवल रेलवे इतिहास में बल्कि भारतीय साहित्य में भी विशिष्ट स्थान देती है।
खेल और आर्थिक योगदान
रेलवे ने बिलासपुर को खेलों में भी पहचान दिलाई है। सेक्रसा ग्राउंड, एनईआई और बॉक्सिंग ग्राउंड से अनेक खिलाड़ी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमके हैं। आर्थिक दृष्टि से भी स्टेशन ने होटल, लॉज, परिवहन सेवाओं, हैंडलूम, और छोटे व्यवसायों को बढ़ावा देकर सैकड़ों परिवारों को रोज़गार दिया है।
पर्यटन और सांस्कृतिक पहचान
बिलासपुर स्टेशन अचानकमार टाइगर रिजर्व, महामाया मंदिर रतनपुर, और ‘छत्तीसगढ़ का कश्मीर’ कहलाने वाले चैतुरगढ़ जैसे पर्यटन स्थलों का प्रवेश द्वार है। यहाँ की सांस्कृतिक विविधता रेलवे कॉलोनी के बंगाली, तेलुगु, और ओड़िया स्कूलों से लेकर जगन्नाथ मंदिर, कोडंडरामा मंदिर और कालीबाड़ी मंदिर जैसी धार्मिक धरोहरों में झलकती है।
यात्री सुविधाओं में अव्वल –
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर स्टेशन यात्री सुविधाओं के मामले में भी सबसे आगे है। स्वच्छता से लेकर सुरक्षा और संरक्षा में एक अलग पहचान है। आरक्षण खिड़कियों के अलावा एटीवीएम मशीन तथा आनलाइन टिकटों के माध्यम से यात्रियों की सुखद यात्रा सुनिश्चित हो रही है। रेल कोच से निर्मित रेस्टोरेंट, आधुनिक स्टॉल, स्वचालित वेंडिंग मशीन, वाटर वेंडिंग मशीन, बाटल क्रशर मशीन, दिव्यांग यात्री सुविधाएं, यात्रियों की बेहतर स्वास्थ्य सुविधा हेतु हेल्थ कियोस्क, जन औषधि केंद्र, व्यवस्थित पार्किंग जैसे अनेक सुविधाएं उपलब्ध है | किसी समय में यहां घोड़ी टांगा के सहारे यात्री ट्रेन से उतरकर अपने घर पहुंचते थे। अब सिटी बस, आटो-टैक्सी से लेकर दिव्यांगों के लिए गाड़ियां उपलब्ध हैं।
वर्तमान स्वरूप और पुनर्विकास
अमृत भारत स्टेशन योजना के अंतर्गत बिलासपुर स्टेशन का विश्वस्तरीय पुनर्विकास जारी है। जिसमें उत्तर-पूर्व दिशा स्टेशन भवन का निर्माण – 14,482.20 वर्ग मीटर, दक्षिण-पश्चिम दिशा स्टेशन भवन का निर्माण – 8,317.00 वर्ग मीटर, कुल प्लेटफार्म क्षेत्रफल – 54,191 वर्ग मीटर,एयर कॉनकोर्स – 5,915.00 वर्ग मीटर, एस्केलेटर – 22 नग, लिफ्ट – 30 नग, पार्किंग क्षेत्र – 28,076.70 वर्ग मीटर, वर्षा जल संचयन – 96.83 KL (16 यूनिट), सौर ऊर्जा क्षमता – 2000 Kwp तथा सुरक्षा हेतु – 400 बुलेट टाइप सीसीटीवी कैमरे का प्रावधान प्रस्तावित है | ये कार्य न केवल यात्री सुविधाओं को बढ़ाएगी, बल्कि स्टेशन को पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा-कुशल बनाएगी।
बिलासपुर स्टेशन अतीत की उपलब्धियों और भविष्य की संभावनाओं का संगम है। यह स्टेशन न केवल यात्रा का केंद्र है, बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक धड़कन भी है। आने वाले वर्षों में यह स्टेशन यात्रियों को विश्वस्तरीय सुविधाएँ प्रदान करते हुए अपने गौरवशाली इतिहास को और समृद्ध करेगा।