एक दिल को छू लेने वाली और सोचने पर मजबूर कर देने वाली कविता, जिसे शाहरुख़ ख़ान ने अपनी आवाज़ दी है और प्रसिद्ध गीतकार स्वानंद किरकिरे ने इसे लिखा है।
नेशनल, सनफीस्ट डार्क फैंटेसी ने अपनी नई ब्रांड पहल ‘फैंटेसी ज़रूरी है’ की शुरुआत की है। इस अभियान के केंद्र में एक प्रेरणादायक हिंदी कविता है, जिसे एक फिल्म के रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह कविता फैंटेसी के कई पहलुओं को खूबसूरती से दर्शाती है, फैंटेसी क्या होती है, यह कहाँ बसती है, कैसे सामने आती है और हमारी ज़िंदगी में इसकी क्या अहमियत है।
राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित गीतकार और पार्श्वगायक स्वानंद किरकिरे द्वारा लिखी गई और बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख़ ख़ान द्वारा सुनाई गई यह कविता श्रोताओं को रोजमर्रा की जिंदगी की एकरसता से निकालकर कल्पना की असीम दुनिया में ले जाती है, एक ऐसी यात्रा जो मन को रोमांचित भी करती है और सोचने पर मजबूर भी।
अपने ब्रांड संदेश “हर दिल की फैंटेसी” के अनुरूप, सनफीस्ट डार्क फैंटेसी उन अनगिनत तरीकों का जश्न मनाता है, जिनके माध्यम से लोग कल्पना करते हैं, अपनी दुनिया से बाहर निकलते हैं और खुद को व्यक्त करते हैं, चाहे वह छोटे पलों में हो या बड़े मौकों पर। ट्रैफिक जाम से लेकर अंतरिक्ष की लड़ाइयों तक, ऑफिस की एकरसता से लेकर परीकथाओं जैसे बदलावों तक, यह फिल्म फैंटेसी के अनेक रूपों को दर्शाती है, जो व्यक्तिगत होते हुए भी सभी के दिल से जुड़ते हैं। चाहे कोई बादलों में महलों की रचना कर रहा हो या कॉफी ब्रेक के बीच किसी और दुनिया में खो रहा हो, यह फैंटेसी कविता हमें खूबसूरती से याद दिलाती है कि फैंटेसी हमारे भीतर ही कहीं चुपचाप मौजूद रहती है, बस जागने का इंतज़ार करती है।
आईटीसी लिमिटेड के बिस्किट्स और केक क्लस्टर, फूड्स डिवीजन के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर अली हैरिस शेर ने कहा, “फैंटेसी गहरे तौर पर व्यक्तिगत होती है, फिर भी यह सार्वभौमिक रूप से प्रासंगिक है। ‘फैंटेसी ज़रूरी है’ के साथ, हम डार्क फैंटेसी में लोगों को उनके रोजमर्रा के जीवन से बाहर निकलने और उनकी ज़िंदगी में फैंटेसी के रूप में एक परिवर्तनकारी अनुभव को फिर से महसूस करने का निमंत्रण दे रहे हैं। आज की इस हमेशा जुड़ी हुई दुनिया में, फैंटेसी के पल हमारी आत्मा को ताजगी देने और हमारी इंद्रियों को फिर से जागृत करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। यह पहल, जो खुद फैंटेसी के बादशाह शाहरुख ख़ान के नेतृत्व में है, उस साझा मानवता की भावना को ट्रिब्यूट है।”