भारत के पूर्वोत्तर राज्यों (ndia’s northeastern states) में आई विनाशकारी बाढ़ ने 3,000 गांवों के 18 लाख लोगों को बुरी तरह प्रभावित किया है। असम में अब तक कम से कम 72 लोगों और छह गैंडों की जान जा चुकी है। भारत के असम राज्य में आई बाढ़ ने न केवल हजारों गांवों को तबाह कर दिया, बल्कि एक राष्ट्रीय उद्यान को भी प्रभावित किया। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने गुवाहाटी (Guwahati) में एक बयान में कहा कि बाढ़ का असर कुछ हद तक कम होने लगा है। उन्होंने कहा, “ब्रह्मपुत्र और उससे जुड़ी नदियों का जलस्तर बहुत खतरनाक स्तर से नीचे चला गया है।” दक्षिण एशियाई क्षेत्र में जून से सितंबर तक होने वाली मानसून की बारिश गर्मी की तीव्रता को कम करने और पानी की उपलब्धता में सुधार करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। दूसरी ओर, मानसून बड़े पैमाने पर लोगों को नुकसान भी पहुंचाता है। हर साल बाढ़ के कारण लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ता है। हाल के वर्षों में बारिश और बाढ़ की तीव्रता बढ़ी है, जबकि विशेषज्ञों (experts) का कहना है कि गंभीर पर्यावरणीय और जलवायु परिवर्तन उन समस्याओं को बढ़ा रहे हैं। जैसे-जैसे पूर्वोत्तर भारत में बाढ़ का स्तर घट रहा है, क्षेत्र के वन्यजीवों पर आपदा के विनाशकारी प्रभाव स्पष्ट होते जा रहे हैं। असम का काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान खास तौर पर प्रभावित हुआ है। असम के मुख्यमंत्री के अनुसार, “बाढ़ ने इंसानों और जानवरों दोनों को प्रभावित किया है।” सरमा ने बाढ़ के पानी में फंसे एक बच्चे गैंडे का वीडियो भी सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, जिसकी ठोड़ी पानी में डूबी हुई थी।
सरमा ने लिखा कि उन्होंने अधिकारियों को उसे बचाने का आदेश दिया है। बाढ़ से जंगली जानवरों की मौत काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की फील्ड डायरेक्टर सोनाली घोष ने बताया कि अब तक काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में बाढ़ के पानी में डूबने से छह गैंडे, 100 हॉग डियर और दो सांभर की मौत हो चुकी है, जबकि 17 हिरण सुअर, एक-एक दलदली हिरण, रीसस मकाक और ऊदबिलाव की देखभाल के दौरान मौत हो गई। बागवानी प्राधिकरण (horticulture authority) और वन विभाग बाढ़ के दौरान 97 जंगली जानवरों को बचाने में भी कामयाब रहे। राष्ट्रीय उद्यान में बाढ़ की स्थिति में सुधार हो रहा है, लेकिन 233 वन शिविरों में से 69 अभी भी पानी में डूबे हुए हैं। दुनिया के कुल एक सींग वाले गैंडों में से दो तिहाई भारत के काजीरंगा पार्क में पाए जाते हैं। प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संगठन (International Organization) के अनुसार, एक सींग वाले गैंडे की प्रजाति के अस्तित्व पर इतना गंभीर खतरा मंडरा रहा है कि विश्व संगठन ने इस प्रजाति का नाम अपनी रेड लिस्ट में शामिल कर लिया है। 2018 की जनगणना के अनुसार, काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में 2,413 गैंडे (rhinos) हैं। यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल काजीरंगा में लगभग हर साल बाढ़ आती है, जिससे पानी की आपूर्ति को फिर से भरने और पार्क के पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलती है।