कृषि विश्वविद्यालय जोरा में 3 करोड़ 50 लाख की हेराफेरी

रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में मजदूरों के भुगतान में 3,50,00,000 से अधिक की गड़बड़ी ऑडिट में पकड़ी गई है. ऑडिट के बाद विवि के विभिन्न विभागों को पत्र लिखकर मांगे गए जवाब से हड़कंप मच गया है. कृषि विश्वविद्यालय में कृषि फॉर्म एवं अन्य कार्यों के लिए बड़ी संख्या में मजदूरों की नियुक्ति की जाती है.

इन मजदूरों को नियमानुसार मजदूरी का भुगतान किया जाता है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कृषि कार्यों के अलावा कई अधिकालके अलावा कई अधिकारियों के निवास पर काम करते हैं. कृषि कार्य के नाम पर मजदूरों को बंगले में अटैच कर लिया गया है. इसीतरह सौंदर्याकरण के नाम पर भी काम 50 से अधिक मजदूर विश्वविद्यालय में कर रहे हैं.

मजदूरों को सालाना लाखों रूपए का भुगतान विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से किया जाता है. बताते हैं कि कुछ माह पहले विद्यालय पहले ऑडिट में मजदूरों के भुगतान में साढ़े 3 करोड़ रूपए से अधिक की गड़बड़ी पकड़ी गई है. ऑडिट के दौरान विवि प्रशासन द्वारा भुगतान के संबंध में आवश्यक जानकारियों एवं दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा पाए थे. जिसके बाद ऑडिट के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन से मजदूरों के भुगतान में साढ़े 3 करोड़ से अधिक की राशि के बारे में जानकारी मांगी गई है. इससे विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में हड़कम्प मच गया है. कुछ विभाग जवाब देने की स्थिति में नहीं है.

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