मानसून का इंतजार, रायपुर को नहीं मिल पाएगा गंगरेल बांध का पानी!

धमतरी। छत्तीसगढ़ की जीवनरेखा महानदी पर बना गंगरेल बांध पहली बार सूखे की मार झेल रहा है। गंगरेल बांध में अब महज 2 टीएमसी पानी शेष बचा है, जो कुल क्षमता का 8 प्रतिशत है। सूखे की नौबत बांध निर्माण के 46 साल बाद पहली बार हुआ है। यदि मानसून समय पर दस्तक नही दिया तो पेयजल जलापूर्ति मे कटौती निश्चित है।

बता दें कि गंगरेल बांध पर राजधानी समेत पांच जिले आश्रित है, जिनको भविष्य में पानी के लिए दो चार होना पड़ सकता है, क्योंकि इस भीषण गर्मी में प्यास बुझाने गंगरेल बांध में करीब 28.31 अरब लीटर पानी है, जो महज 80 दिन का पानी है। यही वजह है कि अब गंगरेल डैम प्रबंधन बीएसपी यानी भिलाई इस्टील प्लांट को पानी देना बंद कर दिया है।

राहत की बात है की गंगरेल डैम से इस साल गर्मी में सूखे की मार झेल रहे करीब 900 तालाबों को पहले ही भरा जा चुका है। गंगरेल को खाली देखकर जिला प्रशासन ने पहली बार जल जगार उत्सव मना रहा है। जल जगार कार्यक्रम में पहुंचे केंद्रीय भूमि जल आयोग की टीम ने भी गंगरेल बांध की स्थति को लेकर चिंता जाहिर की है और जल संरक्षण की ओर धमतरी सहित प्रदेश वासियों को जागरूक होने कहा है।

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