रायगढ़। धरमजयगढ़ विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पुरूंगा में प्रस्तावित कोयला खदान परियोजना के विरुद्ध ग्रामीणों का विरोध तेज हो गया है। ये कोयला खदान पहले अंबुजा सीमेंट क़ी थी जिसे अडानी ग्रुप ने खरीद लिया है। आगामी 11 नवंबर को निर्धारित जनसुनवाई को निरस्त करने की मांग को लेकर हजारों आदिवासी ग्रामीण, महिलाओं, बुजुर्गों और नवजात बच्चों सहित सडक़ों पर उतर आए हैं। ग्रामीणों की प्रमुख मांग है कि कोयला खदान की जनसुनवाई को तत्काल निरस्त किया जाए।
इस प्रदर्शन मे एक दर्जन से अधिक गांव के लोग कल सुबह से कलेक्टर कार्यालय के सामने विरोध करते हुए अपनी मांग पर अड़ गए है, प्रशासन से कोई जवाब नहीं मिलने पर खुले आसमान के नीचे भूखे प्यासे रहकर रात सडक़ पर ही बिताई। अभी भी नवजात बच्चों को लेकर आदिवासी महिलाएं और उनके साथ पुरुष और युवा बैठे हुए हैं।
प्रदर्शनकारियों में महिलाओं, बुज़ुर्गों और बच्चों की मौजूदगी के कारण प्रशासनिक सतर्कता बढ़ा दी गई है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है किकोयला खदान से भूमि, जलस्रोत और पर्यावरण पर प्रतिकूल असर पडऩे की आशंका है। जब तक स्पष्ट और संतोषजनक जवाब नहीं मिलता, विरोध जारी रहेगा। आंदोलन कर रहे इनके साथ जुड़े पदाधिकारियों ने बताया कि ग्रामीणों ने शुक्रवार सुबह से ही जिला कलेक्टर कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। विरोध के बीच लोगों ने खुले आसमान के नीचे पूरी रात सडक़ पर ही बिताई, वहीं महिलाओं और नवजात बच्चों ने भी सर्द रात में सडक़ पर सोकर अपना विरोध दर्ज कराया।
ग्रामीणों के साथ आये राजेश त्रिपाठी कहना है कि कोयला खदान से उनकी जमीन, जलस्रोत और पर्यावरण को गंभीर नुकसान होगा। उनका दावा है कि यह विरोध पहली बार इतना बड़ा आदिवासी जनआंदोलन बन गया है, जिसमें 12 से अधिक गांवों के लोग एकजुट होकर प्रदर्शन कर रहे हैं। ग्रामीणों के अनुसार, यह आंदोलन भूमि अधिग्रहण, मुआवज़ा और पर्यावरणीय प्रभाव से संबंधित चिंताओं पर आधारित है। प्रदर्शन के दौरान माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है, हालांकि अब तक किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली है।