बिलासपुर। औद्योगिक क्षेत्र सिरगिट्टी में बीते दिनों हुए भीषण अग्निकांड ने प्रशासनिक और औद्योगिक सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है। पुलिस जांच में सामने आया है कि कारखाना प्रबंधक की गंभीर लापरवाही के कारण यह हादसा हुआ, जिसमें दो लोगों की जान चली गई। मामले में पुलिस ने प्रबंधक के खिलाफ अपराध दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। यह घटना 24 दिसंबर की दोपहर सिरगिट्टी सेक्टर-डी स्थित मित्तल फर्नीचर कारखाने में हुई थी।
अचानक लगी आग ने कुछ ही देर में विकराल रूप ले लिया, जिससे पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई। पुलिस का कहना है कि यदि समय रहते आग पर काबू नहीं पाया जाता, तो यह हादसा और भी बड़ा हो सकता था। पुलिस विवेचना में सामने आया कि कारखाना प्रबंधक संजय मित्तल द्वारा सुरक्षा मानकों की अनदेखी की जा रही थी। इसी लापरवाही के चलते तिफरा निवासी अभिजीत सूर्यवंशी की आग की लपटों में फंसकर मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई। वहीं गंभीर रूप से झुलसे रितेश शुक्ला ने इलाज के लिए ले जाते समय दम तोड़ दिया। तीसरे मजदूर दक्ष द्विवेदी को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
जांच में यह भी सामने आया कि कारखाने में भारी मात्रा में तारपीन का भंडारण किया गया था, जो आग भड़कने का मुख्य कारण बना। उद्योग विभाग से यह स्थान एस एस केमिकल के नाम पर आवंटित था, लेकिन इसकी आड़ में यहां तारपीन से जुड़ा कार्य किया जा रहा था। मजदूरों से बिना किसी सुरक्षा उपकरण के काम कराया जा रहा था। हैरानी की बात यह है कि कारखाने में फोम आधारित अग्निशमन यंत्र तक मौजूद नहीं थे और न ही आपात स्थिति के लिए ऑटोमेटिक स्प्रिंकलर सिस्टम लगाया गया था। औद्योगिक क्षेत्र सिरगिट्टी के कई कारखानों में ऐसी ही स्थिति है, लेकिन संबंधित विभागों की ओर से नियमित जांच के नाम पर केवल औपचारिकता निभाई जा रही है। पुलिस ने मामले में बीएनएस की धारा 106(1) और 125(ए) के तहत अपराध पंजीबद्ध किया है। धारा 106(1) लापरवाही से हुई मौत से संबंधित है, जिसमें पांच साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान है। वहीं धारा 125(ए) किसी व्यक्ति की जान या सुरक्षा को जानबूझकर खतरे में डालने से जुड़े अपराध पर लागू होती है।