चिकित्सा न मिल पाने के कारण प्रतिदिन आदिवासी ग्रामीणों की मौत होते रहती हैं। अब तक हजारों ग्रामीणों की मृत्यु सहीं समय पर चिकित्सा न मिल पाने के कारण हो चुकी हैं। बैलाडीला खदान से हजारों करोड़ का राजस्व प्रतिवर्ष भारत सरकार छत्तीसगढ़ सरकार एवं रेल्वे को प्राप्त होता हैं। परंतु आजादी के 77 वर्ष पश्चात भी यहां के आदिवासियों को उपयुक्त चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध नहीं हैं। शिक्षित न होने, मुख्य धारा से दूर होने एवं भाषा की अनभिज्ञता के कारण यहां के ग्रामीण शहर जाकर चिकित्सा करवाने में असमर्थ हैं। प्रशासन और एनएमडीसी प्रबंधन से कई बार मांग करने पर भी समाधान नहीं हुआ। अस्पताल में डाक्टर आने से कतराते हैं, यह स्थाई बहाना हैं। अतः इसका स्थाई समाधान एम्स की स्थापना से ही संभव हैं। एम्स की स्थापना से ही चिकित्सको की उपलब्धता सुनिश्चित हो पाएगी ।
भांषी सरपंच अजय तेलाम नें आदिवासी जनप्रतिनिधियों का संयुक्त दल शीघ्र ही एम्स स्थापना की मांग लेकर जिला कलेक्टर से मिलने की बात कहीं। और जब तक एम्स स्थापित न हो तब तक एम्स के चिकित्सकों की साप्ताहिक उपलब्धता शासन द्वारा सुनिश्चित करने की बात कही।

सर्व आदीवासी समाज के यूवा अध्यक्ष बलराम भास्कर नें कहां जिला ऐसा कोई परिवार नहीं जिसने चिकित्सा के अभाव में अपना परिजन न खोया हो। बड़ी बिमारी की छोड़िये छींद (खजूर) पेड़ के कांटे गड़ने से भी मौत हूई हैं। आयरन ओर डस्ट और लाल पानी से भी क्षेत्र के लोग प्रभावित हैं। इन सब कारणों से यहां के ग्रामीणों की औसत आयु 60 वर्ष से भी कम हैं।
बचेली उप सरपंच सिद्धू नाग नें कहा की सिकल सेल की समस्या भी बहुतायत हैं। एम्स आने से इस पर रिसर्च की संभावनाएं बनेगी। सिकल सेल रोगियों को वर्तमान में रक्त सीधा चढ़ा दिया जाता हैं। जबकि रक्त के विभिन्न अवययो को तीन भागो में पृथक कर प्लाज्मा, प्लेटलेट्स , आर बी सी आवश्यकता अनुसार चढ़ाया जा सकता हैं जिसकी व्यवस्था भी यहां उपलब्ध नहीं हैं। अत्याधुनिक उपकरणों एवं चिकित्सकों का भी अभाव हैं। जनप्रतिनिधियों की ओर से शासन से मांग की जाएगी। शीघ्र मांग पूरी न होने पर जन आंदोलन द्वारा इस कार्य के लिए प्रयास किया जाएगा। एम्स स्थापना हेतु प्रत्येक नागरिक प्रयासरत हैं। स्वास्थ्य सुविधाएं हमारा मौलिक अधिकार हैं। सार्वधिक राजस्व देने वाले जिले की छोटी सी मांग को सरकार को सहर्ष पुर्ण करना चाहिए।